कॉपीराइट से जुड़ी आम ग़लतफ़हमियां क्या हैं?
किसी भी व्यक्ति का क्रिएटिव एवं मौलिक कार्य उसका अपना कॉपीराइट होता है। यदि वह अपने ऐसे किसी कार्य को अपने पास पेन ड्राइव, डिजिटल नोट्स, डिजिटल कंटेंट, डीवीडी, वेबसाइट, कंप्यूटर या मोबाइल पर सुरक्षित रखता हो। कॉपीराइट एक लीगल शब्द है जो किसी भी व्यक्ति या क्रिएटर का उसका अधिकार है जिसका कोई अन्य व्यक्ति संबंधित क्रिएटर की स्वीकृति के बिना उसके उलंघन का अधिकार नहीं रखता। जब कॉपीराइट के मालिक के बारे में उलझन हो तो अदालत कानूनी तौर पर सही मालिक का निर्णय देती है। लेकिन कॉपीराइट से जुड़ी आम ग़लतफ़हमियां जो प्रचलन में हैं आज हम गहराई से आपको बताते हैं। कॉपीराइट से जुड़ी कुछ आम ग़लतफ़हमियाँ कुछ इस प्रकार हैं:
01. यूट्यूब से जुड़ी पहली आम ग़लतफ़हमी
▪ मैंने संबंधित कॉपीराइट होल्डर को उसके कार्य का क्रेडिट दिया है:
यदि आप किसी भी कॉपीराइट होल्डर का कंटेंट बिना उसकी स्वीकृति के इस्तेमाल करते हैं और अपना बचाव ये कहकर करते हैं कि मैंने उसको उसके कार्य का क्रेडिट दे दिया है तब भी आपको उसके कंटेंट को इस्तेमाल करने का अधिकार स्वतः नहीं मिल जाता। इसलिए अपना कंटेंट तैयार करने से पहले ये सुनिश्चित कर लें कि उसका प्रसार करने के लिए सभी अधिकार आपके पास हैं या नहीं। चाहे वह कार्य fair use या non profit के अंतर्गत ही क्यों न आता हो।
02. यूट्यूब से जुड़ी दूसरी ग़लतफ़हमी
▪ फेयर यूज़ या फेयर डीलिंग शब्द इस्तेमाल करने से आप कॉपीराइट के दावों से नहीं बच सकते : यदि आप किसी के मौलिक कार्य को ये कहकर इस्तेमाल करते हैं कि आपने उसका उपयोग fair use के तौर पर किया है या किसी अपवाद जैसे कि न्यूज़ रिपोर्टिंग या शिक्षा के तौर पर किया है तब उसकी सत्यता का निर्धारण अदालत करेगी कि क्या आपके द्वारा उस कंटेंट को फेयर यूज़ के तौर पर इस्तेमाल किया जाना उचित है या अनुचित, इस बारे में कानूनी सलाह आवश्यक है।

03. यूट्यूब से जुड़ी तीसरी मुख्य ग़लतफ़हमी
▪ दूसरे क्रिएटर्स ऐसा करते हैं तो आप क्यों नहीं कर सकते: भले ही यूट्यूब पर ऐसे कंटेंट मौजूद हों जो किसी अन्य के कॉपीराइट अधिकारों का उलंघन कर रहे हों, तब भी आपको ऐसा करने की अनुमति नहीं है। क्योंकि हो सकता उन क्रिएटर्स ने संबंधित कॉपीराइट होल्डर से इसकी स्वीकृति ले ली हो अथवा कुछ क्रिएटर्स अपना कंटेंट दिखाने की स्वीकृति देना चाहते हों पंरन्तु इसका अर्थ ये नहीं कि उनका सम्पूर्ण कंटेंट ही कोई इस्तेमाल कर सकता है। इसलिए ये कहना मात्र आपको कॉपीराइट के दावों से नहीं बचाता।
04. यूट्यूब से जुड़ी चौथी भ्रामक ग़लतफ़हमी
▪ अब कॉपीराइट होल्डर दुनिया में जीवित नहीं है इसलिए कोई भी उसके कॉपीराइट का इस्तेमाल कर सकता है : आम ग़लतफ़हमियों में ये भी प्रचलन में है कि अब कॉपीराइट होल्डर जीवित नहीं है इसलिए हम उसका कंटेंट इस्तेमाल कर सकते हैं, जबकि सत्यता ये कि तब भी आप किसी के कॉपीराइट का उलंघन नहीं कर सकते, संबंधित कॉपीराइट होल्डर की मृत्यु उपरांत जो भी उसका nominee या उसके अधिकारों का कानूनी संरक्षक होगा तब वही उस क्रिएटर या कॉपीराइट होल्डर के अधिकारों को प्राप्त कर सकता है, इस संदर्भ में अदालत का निर्णय ही सर्वमान्य है। यदि आप उस क्रिएटर के कंटेंट का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो संबंधित व्यक्ति से ही ( जो कानूनी रूप से अधिकार प्राप्त करता हो) आपको इसकी स्वीकृति लेनी चाहिए।
05. यूट्यूब से जुड़ी पाँचवीं अनभिज्ञता की ग़लतफ़हमी
▪ मैंने ऑनलाइन साइट्स से किसी कॉपीराइट होल्डर का कंटेंट खरीदा है इसलिए मैं उसका इस्तेमाल कर सकता हूँ: आपके द्वारा किसी कॉपीराइट होल्डर की सामग्री को खरीद लेना ये साबित नहीं कर देता कि उसका कॉपीराइट अब आपको मिल गया है, कोई भी अपनी सामग्री बैंच रहा है तो उसके सभी अधिकार उसी के पास सुरक्षित हैं, बिना उसकी स्वीकृति के आप उसकी किसी सामग्री का इस्तेमाल करने के लिए वर्जित हैं।


06. यूट्यूब से जुड़ी छठी कॉमन ग़लतफ़हमी
▪ आपने टीवी, रेडियो, मोबाइल या सिनेमा हॉल से स्वयं वीडियो को रिकॉर्ड किया है इसलिए आप उसका प्रयोग उचित समझ रहे हैं : यदि आप ऐसा कुछ भी करते हैं तब भी आप किसी के कॉपीराइट का उलंघन कर रहे हैं और संबंधित क्रिएटर के कॉपीराइट के दावों से बच नहीं सकते।
07. यूट्यूब से जुड़ी सातवीं जानबूझकर की जाने वाली ग़लतफ़हमी
▪ अपने वीडियो में यह कह देना कि आपका कॉपीराइट के उलंघन का कोई इरादा नहीं था, तो आप कॉपीराइट के दावे से बच जाते हैं : यह कह देना कि आपने संबंधित कॉपीराइट होल्डर को क्रेडिट दे दिया है, उसके सारे अधिकार लेख़क या क्रिएटर के पास सुरक्षित हैं अथवा आप उस कंटेंट के आधिकारिक मालिक नहीं है, ये वाक्यांश अपने वीडियो में कह देना या description में लिख देने से भी आप कॉपीराइट के दावों से नहीं बच सकते, इसलिए अधिकार लेने के लिए संबंधित क्रिएटर की स्वीकृति अत्यंत अवश्य है।
08. यूट्यूब से जुड़ी आठवीं पेचीदा ग़लतफ़हमी
▪ कॉपीराइट होल्डर के वीडियो का कुछ सेकंड का हिस्सा आप इस्तेमाल कर सकते हैं : यह ग़लतफ़हमी आमतौर पर प्रचलन में है कि हम किसी के भी वीडियो के कुछ सेकंड्स का हिस्सा बिना कॉपीराइट होल्डर की स्वीकृति के इस्तेमाल कर सकते हैं। जबकि सत्यता ये है कि आप बिना कॉपीराइट होल्डर की स्वीकृति के उसके वीडियो का 10 सेकंड का हिस्सा भी इस्तेमाल करने का अधिकार तब तक नहीं रखते जब तक कि आपने संबंधित creator से उसके कंटेंट के इस्तेमाल की स्वीकृति न ली हो। और भी ऐसी ही सटीक और सही जानकारी पाने के लिए आप हमारे stuff sky ब्लॉग को follow अवश्य कर लें।
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