क्या निराशावादी होना कोई बीमारी है?

ज़िंदगी में काम एक बार करो, और ऐसा करो कि या तो दुनिया तुमसे सीखे या तुम दुनिया से सबक सीख जाओ।
जीवन का मूल आधार दुःख, तकलीफें, धोखा, अपमान, गरीबी, असफलता ही तो है, क्योंकि इंसानी उम्र के अंत में सब कुछ व्यर्थ लगता है। यदि इंसान इन सभी के बीच से गुजरता है तब वह स्वयं को बिल्कुल अकेला पाता है, यही तब हुआ था जब वह इस दुनिया में आया था, यही तब होगा जब वह जाएगा। यह जानते हुए भी कि व्यर्थता सु:ख तो देती ही है, इंसान स्वयं के साथ-साथ उनको भी ढो रहा है जो आखिर में बिछडने वाले हैं। इस बात से अनभिज्ञ कि अपना तो दुनिया में कोई है ही नहीं। महँगा कोहिनूर भी किसी को 5 मिनट की साँसे उधार नहीं दे सकता।

निराशावादी होना कोई बीमारी नहीं है, निराश व्यक्ति ही आशाओं के सच्चे अर्थ को समझ पाता है। जैसे मधुमक्खी किसी को डंक मार दे तो व्यक्ति दर्द का उपचार ढूँढता है ठीक वैसे ही निराशावादी व्यक्ति भी नकारात्मकता में असफलता, क्षति, परिणामों पर गहन अध्ययन करता रहता है जो उसे अपनी तैयारी और गलतियों के बीच फर्क बताती हैं। अर्थात सफलता सीधा गंतव्य है जो कि कई विफलताओं या प्रयासों से सार्थक रूप लेता है। निचोड़ यही है कि निराशावादी सोच के साथ-साथ आशावादी सोच होना ही जीवन को सही ध्येय है।

  • जो चीजें आसानी से प्राप्त हो जाती हैं वो ज्यादा लंबे समय तक नहीं टिकतीं,और जो ज्यादा लंबे समय तक टिकतीं हैं वो आसानी से नहीं मिलतीं.अगर आपको किसी का प्रेम चाहिए तो आपको भरोसा और समय खर्च करना ही होगा,सिर्फ पैसा खर्च करने से लालच बढ़ सकता है प्रेम नहीं.रिश्ता और अधिक मजबूत हो जाता है जब दोनों तरफ से गलतियों को समझा जाता है और माफ किया जाता है,सिर्फ दीवार को देखने पर आप उसके दूसरी तरफ की दुनिया नहीं देख सकते.यदि किसी इंसान ने आपको ज़िन्दगी में 2 से अधिक बार गिराया है तो उसपर आप तीसरी बार संदेह ही करेंगे,पहली बार में वो आपको चेतावनी देता है और दूसरी बार में सीख.अच्छे रिश्ते इसपर निर्भर नहीं करते कि आप उन्हें किस नज़रिये से समझते हैं वल्कि इसपर निर्भर करते हैं कि आप उनमें होने वाली गलतफहमियों को किस तरह से मैनेज कर पाते हैं.
  • हर रिश्ता यदि अच्छा नहीं है तो हर रिश्ता बुरा भी नहीं है,एक फल खराब होने से आप उस फल के सभी पेड़ों को खत्म नहीं कर सकते.खुशमिज़ाज़ लोग इस बात से खुश रहते हैं कि उनके पास अभी क्या है और दुःख मिज़ाज़ लोग इस बात से दुखी होते हैं कि उनके पास कुछ मिलने को रह गया है.जिंदगी के सबसे अच्छे तीन शिक्षक हैं:खाली जेब,विफलता और दिल टूटना.खाली जेब आपको एहसास कराती है कि आपकी मुसीबत में आपके साथ कौन आर्थिक रूप में मौजूद था,विफलता में आपको एहसास होता है कि किसने आपको होंसला दिया था और दिल टूटने के बाद आपको पता चला कि आपको किस पर भरोसा करना चाहिए था.वो हर शख्स आपका मित्र बनना चाहेगा जो आपसे वो चीज़ चाहता है जिस चीज़ की उसको जरूरत हो और वो आपके पास हो.किसी को खुशी देना और प्रेरित करना,ये दो ऐसी चाबियां हैं जिनसे किसी के भी दिल के ताले को खोला जा सकता है.अपनी भावनाओं को किसी के प्रति इतनी गहराई में मत ले जाइए,वो कभी भी आपके लिए बदल सकते हैं जिनपर आपको बेहद यकीन था.

कभी भी आसान ज़िन्दगी की कामना न कीजिये,क्योंकि हर आसान चीज़ अक्सर मुश्किलें खड़ा कर देती है,वल्कि आप हर मुश्किल से मजबूती के साथ जीत सकें ऐसी इच्छा रखिये.कोई भी ये याद नहीं रखता कि आपने उसके लिए क्या किया है लेकिन वो जरूर याद रखता है जो आपने उसके लिए नहीं किया.सबसे कठिन लड़ाई है कि आप क्या जानते हैं और उसके लिए क्या महसूस करते हैं.माना कि गलतियां काफी दुःख देती हैं लेकिन एक वक्त ऐसा आता है कि इनका संग्रह भी आपको अनुभवी बना देता है,जब आप उनसे सीख लेते रहते हैं.हालांकि खामोश आंसू बहुत गहरा दर्द समेटे होते हैं लेकिन किसी मुसीबत या तकलीफ के बारे में इतना भी मत सोचिये कि एक ऐसी मुसीबत जन्म ले ले जो वहां थी ही नहीं.हर व्यक्ति जानता है कि प्रेम कैसे करना है,लेकिन बहुत सीमित लोग ये जानते हैं कि उसे एक व्यक्ति के साथ ज़िन्दगी भर निभाना कैसे है.

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