क्या वाकई हमें कर्मों का फल मिलता है?

सामने वाले मैं बुराई ढूंढने से पहले एक विचार अवश्य करें कि शायद उसमे हज़ारों बुराइयां होंगी, लेकिन कुछ अच्छाई तो उसमें भी छुपी होगी, बस हमें उसी को पहचानना है. इंसान का जन्म लेकर कोई गलती ही न करे ये असंभव है. जब हम खुद अपनी हज़ारों गलतियों को माफ कर लेते हैं तो किसी की एक छोटी सी गलती को क्यों न माफ करें. हम खुद किसी की छोटी मोटी गलती की सज़ा देकर कुदरत के नियमों का अपमान नही कर सकते. कुदरत ने सबकुछ निर्धारित किया है, किसी की छोटी गलती पर वो सिर्फ मुस्कुराती है सज़ा नही देती, जब गलती बड़ी होने लगती है तो थोड़ी सज़ा देती है लेकिन गलती जब पाप में बदल जाती है तो कुदरत माफ नही करती और न ही पछतावे का कोई मौका छोड़ती है. क्योंकि वो दया उन्ही पर करती है जो दया के काबिल हैं. हर माँ-बाप को अपने बच्चो पर अभिमान होता है, पर क्या कभी अपने ये नोटिस किया है कि कोई अपने बच्चो का नाम न्यूटन, आइंस्टीन, आर्यभट्ट क्यों नही रखता? क्योंकि माँ-बाप को अपने बच्चों की कबिलियत पर भरोसा ही नहीं होता, जितना कि दूसरों के बच्चों पर होता है. उन्हें इस बात का डर होता है कि उनका बेटा इन प्रसिद्द प्रतिभाओं जैसा नही हुआ तो लोग उनपर हँसेंगे. एक इंसान ने दूसरे से पूछा कि भाई एक बात बता, अगर भगवान कहीं हैं, तो वे हमसे बात क्यों नही करते? जब हम इतना मुसीबत में, भूखे और परेशान होते हैं, तब क्या उन्हें हमपर तरस नही आता? दूसरे ने जवाब दिया कि अगर ईश्वर सच में सबसे बात करना शुरू कर दें तो दुनिया में उथल-पुथल मच जाएगी, कोई कहेगा मुझे आज ही करोड़पति बना दो, कोई कहेगा पड़ोसी का नुकसान कर दो, कोई कहेगा खेतों में फसल की जगह हीरे ऊगा दो, कोई कहेगा मुझे अभी मंगल ग्रह पर पहुचाओ, कोई कहेगा धरती पर बर्फ बहुत अच्छी लगेगी इसलिए धरती पर बर्फ ही बर्फ कर दो. हर कोई कुछ न कुछ कुदरत के विररुद्ध इच्छा रखेगा और दुनिया कुछ ही पलों में या तो स्वर्ग जैसी होगी या तबाह हो जाएगी. सभी की इच्छाएं पूरी करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन एक यूनिवर्सल नियम, जो सभी पर समान रूप से लागू हो; जरूर बनाया जा सकता है वो ये कि जो जैसा कर्म करता जाएगा उसके ही अनुसार परिणाम मिलना शुरू हो जाएंगे. कुछ का तुरंत कुछ कर्मों का कुछ समय बाद लेकिन मिलेगा जरूर. अब पहले वाले इंसान को इसे परखना था, वो एक दूसरे इंसान के पास गया और जोर जोर से उसकी पिटाई कर दी, और आगे बढ़ गया. थोड़ी ही देर बाद वही इंसान 2-4 लोगों के साथ वापस आया और उसने अब इसकी पिटाई कर दी. अब ये बात भी सही निकली. अब वह आगे बढ़ा तो एक इंसान भूखा था जिसने उसे खाना खिलाया और गले लगाया. और आगे बढ़ा, तभी अचानक इसका एक गड्ढे में पैर फिसला और वह गड्ढे में गिर पड़ा, तभी उसे खयाल आया कि मैंने तो अभी एक अच्छा काम किया पर मुझे भगवान ने गड्ढे में गिरा दिया, वाह. कुछ पलों के बाद ही उसने महसूस किया कि किसी ने उसका हाथ थामा और गड्ढे से बाहर खींचकर निकाला और गले लगाकर कहा आपके दिए भोजन से मुझे इतनी ऊर्जा मिली कि मैं ऐसा कर पाया. अब इस इंसान को ये तो समझ आया कि कर्मो का फल मिलता है. लेकिन परख अभी अधूरी थी. इसने सोचा कि अब में बलशाली बनना चाहता हूँ, तो इसने फल, दूध, राबड़ी आदि सब अपने सामने रखी और खा गया, लेकिन देखा कि कुछ खास असर तो हुआ नहीं. फिर सोचा चलो ऐसा रोज़ करके देखता हूँ शायद कुछ महीनों बाद मैं बलशाली हो जाऊं. और इस तरह कई महीनों तक खूब खाया पिया और शारीरिक मेहनत किया तो उसने देखा कि वो अब पहले जैसा नही है सच में मोटा तगड़ा और बलशाली हो गया है. अब इसे थीमे-धीमे ये समझ आया कि कुछ कर्मो का फल तुरंत मिल रहा है और कुछ का कुछ समय बाद. एक राजा के राज्य में एक व्यक्ति पहुँचा और दरबारियों से कहा कि अपने राजा से कहो कि दूर देश से एक विद्वान ज्योतिषी आये हैं जो आपका भविष्य बताने को आये हैं. दरबारियों ने ये सूचना राजा को दी तो राजा ने थोड़ा सोचा और दरबारियों से कहा ठीक है उन्हें 3 दिन तक कारागार में डाल दो, ये आदेश सुनकर दरबारियों ने ज्योतिष को कारगर में डाल दिया, और 3 दिन बाद राजा के सामने पेश किया गया. राजा ने आदर पूर्वक कहा कि छमा करना अब आप हमारे मेहमान हैं. विद्वान जोतिष तिलमिला गया और कहा हे राजा तुमने मेरे घोर अपमान किया है ये जानते हुए की मैं एक विद्वान ज्योतिषी हुन और तुम्हारा भविष्य बताने को ही आया था. तब राजा ने मुस्कुराकर उत्तर दिया, बेशक आप विद्वान जोतिषी होंगे लेकिन यहां आने से पहले आपको अपना भविष्य नही पता था कि आपको कारगर मैं डाल दिया जाएगा तो आप मेरा भविष्य कैसे बता दोगे. हम भी तो ऐसा करते हैं कि कोई हमारा भविष्य बता दे तो मज़ा आ जाये, अगर कुदरत सबको भविष्य बताकर भेजती तो इंसान कभी कोई काम नही करता, कभी प्रयास नही करता, क्योंकि उसे तो सब पता है. और दुनिया वहीं की वहीं रुक जाती. इसलिए कुदरत ने इंसान को सर्वोत्तम बात कही कि कर्म करते रहो एक न एक दिन तुम्हारे सारे सवालों के जवाब खुद मिल जाएंगे. एक इंसान को यूं ही सबकुछ मिल जाये, तो क्या वो उसकी कीमत समझ सकता है, नही न? लेकिन अगर उसने संघर्ष करके कुछ हासिल किया है तो वो और लोगों को भी प्रेरित करेगा कि देखो में कर सकता हूँ तो तुम भी कर सकते हो. मंज़िल पर पहुचने से ज्यादा मज़ा तो सफर में होता है, और आप किसी भी चीज़ के लिए मेहनत करना और देखना कि वो जब तक मिल नही रही तब तक वो असाधारण है और जैसे ही मिल जाती है तब वो आपको साधारण लगने लगती है. ऐसी ऐसी तो मै हज़ारों कर दूंगा, ये काम तो मेरे बाएं हाथ का खेल है. होता है न ऐसा? अब आप समझ गए होंगे कि मैं क्या कहना चाह रहा था? जिदंगी बेहतर तब होती है जब आप खुश होते है, लेकिन जिंदगी बेहतरीन तब होती है, जब आपकी वजह से लोग खुश होते हें.
इसलिए ये न सोचें कि सामने वाले में कमियां कितनी ज्यादा हैं, वल्कि ये सोचें कि कोई न कोई अच्छाई तो उसमें भी छुपी होगी. जिस तरह बिना आईने के हम खुद का चेहरा नही देख सकते ठीक वैसे ही बिना बुराई जाने हम खुदकी कमियां नही समझ पाते इसलिए जो हमारी कमियां गिनाये उसे धन्यवाद दें और अगर लगे कि वाकई में उन्हें सुधारना चाहिए तो उनपर काम करें, क्योंकि ज़िन्दगी कभी आसान नही होती इसे आसान बनाना पड़ता हैं, कुछ नज़र अंदाज करके कुछ को बर्दाश्त करके. ये न सोच कि अकेला इंसान क्या कर सकता है, उस सूरज को देखो जो हर पल चमकता है. न चमकना छोड़ता है न शिकायत करता है कि मेरे साथ कोई नही है.
           इंसान ने वक़्त से पूछा,
           "मै हार क्यूं जाता हूँ ?"
                वक़्त ने कहा,
             धूप हो या छाँव हो,
        काली रात हो या बरसात हो
        चाहे कितने भी बुरे हालात हो
         मै हर वक़्त चलता रहता हूँ
          इसीलिये मैं जीत जाता हूँ,
               तू भी मेरे साथ चल,
                कभी नहीं हारेगा.
समस्याएं इतनी ताक़तवर नहीं हो सकती जितना हम इन्हें मान लेते हैं. ऐसा कभी नहीं हुआ कि अंधेरों ने सुबह ही ना होने दी हो. चाहे कितनी भी गहरी काली रात हो उसके बाद सुबह होनी ही है. बुरे वक्त को कितना तजुरवा होता है, सारे दोस्तों और अपना कहने वालों की पहचान करा देता है. अगर साथ देना हो तो मुसीबत में देना किसी का, क्योंकि मुसीबत में इंसान अनाथ होता है. इंसानियत इन्सान को इंसान बना देती है , लगन हर मुश्किल को आसान बना देती है, लोग यूँ ही नहीं करते मेहनत, ये मेहनत ही तो इंसान की तकदीर बदल देती है. एक बार एक शिष्य ने अपने गुरु से पूछा, कि शिक्षा का निचोड़ क्या है? क्या शिक्षा सिर्फ नोकरी पाने के लिए ली जाती है. गुरु ने मुस्करा कर कहा, एक दिन तुम खुद-ब-खुद जान जाओगे. बात आई और गई. कुछ समय बाद एक रात गुरु ने उस शिष्य से कहा, इस किताब को मेरे कमरे में बेड पर रख दो. शिष्य पुस्तक लेकर कमरे में गया लेकिन तुरंत लौट आया। वह डर से कांप रहा था. गुरु ने पूछा, क्या हुआ? इतना डरे हुए क्यों हो? शिष्य ने कहा, गुरुजी कमरे में सांप है. गुरु ने कहा, यह तुम्हारा भ्रम होगा. कमरे में सांप कहां से आएगा.  तुम फिर जाओ और अपने हाथ पैर हिलाना. सांप होगा तो भाग जाएगा. शिष्य दोबारा कमरे में गया. उसने अपने हाथ पैर हिलाये लेकिन सांप उसी स्थान पर था। वह डर कर फिर बाहर आ गया और गुरु से बोला, सांप वहां से जा नहीं रहा है. गुरु ने कहा, इस बार दीपक लेकर जाओ. सांप होगा तो दीपक के प्रकाश से भाग जाएगा. शिष्य इस बार दीपक लेकर गया तो देखा कि वहां सांप नहीं है। सांप की जगह एक रस्सी लटकी हुई थी. अंधकार के कारण उसे रस्सी का वह टुकड़ा सांप नजर आ रहा था। बाहर आकर शिष्य ने कहा, गुरुजी, वहां सांप नहीं रस्सी का टुकड़ा है. अंधेरे में मैंने उसे सांप समझ लिया था. गुरु ने कहा, इसी को भ्रम कहते हैं. ज्ञान के प्रकाश से ही इस भ्रम को मिटाया जा सकता है लेकिन अज्ञानता के कारण हम बहुत सारे भ्रम पाल लेते हैं और ज्ञान के अभाव में उसे दूर नहीं कर पाते. जब तक ज्ञान के आंतरिक दीपक का प्रकाश नहीं होगा, तब तक इंसान भ्रमजाल से मुक्ति नहीं पा सकता. जब मनुष्य मुसीबत में होता है तो उसे अपने परायों की सही परख  हो जाती है, इसलिए मुसीबत के समय में अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं, ये न सोचें कि मेरा अपमान हो रहा है बस ये सोचें कि ये वक़्त भी मैं बदलकर रहूंगा. अभी आप जिस जगह हो वहां अगर लोग आपकी बुराई करें और अपमान करें तो घबराएं नहीं, इसमे उनका कोई दोष नहीं वे तो अपना काम ईमानदारी के साथ कर रहे हैं. जैसे ही आप उस जगह से कुछ अच्छा कर दिखा दोगे तो वे ही आपका उदाहरण देना शुरू कर देंगे और गर्व से कहेंगे, ये तो हमारे साथ ही काम करते थे बड़ा अच्छा स्वभाव है इनका. इसलिए याद रखें विपरीत समय में भी आपका स्वभाव नम्र रहे यही महान इंसान की पहचान है. किसी का सीधा सरल स्वभाव उसकी कमजोरी नही होती, आप जानते हैं दुनिया में पानी से ज्यादा सरल क्या है, लेकिन जब वो सरलता से बहता है तो चट्टानों के भी टुकड़े कर देता है. आपके शब्दों में ऊर्जा होनी चाहिए, जो किसी को सोचने पर विवश कर दे, वाणी जितनी प्रभावकारी होगी लोग उतना ही आपको सुनेंगे, वरना लोग अपनी सुनाना शुरू कर देंगे।
अगर आप दुसरों को खुश देखकर खुशी का अनुभव करते हैं तो निश्चित ही आप हमेशा खुश रहने वाले हैं, क्योंकि खुशी वेवजह हो तो जीवन ही एक जश्न है और शर्तों पर हो तो जीवन ही व्यर्थ है. वही इंसान जीवन में आगे बढ़ता है जो धोखा खाता है, और सीखता है, अपमान सेहता है लेकिन बढ़ना नही छोड़ता, हर खराब चीज़ मैं भी कुछ अच्छाई ढूंढ लेता है, क्रोध करने के वजाय शांत और मुस्कुराकर अपनी बुराइयों को सुनता है और उनसे अपने काम में सुधार करता रहता है. ऐसे इंसान के लिए हर असंभव काम आसान हो जाता है. ये लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें.

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