किस्मत और कर्म
चिंता, दुःख, तकलीफें शायद ही कोई इंसान हो जो इन सब से बच सकता हो. जैसे एक परमाणु के अंदर स्पेशल ओरबिटिंग जोन में इलेक्ट्रॉन (ऋण आवेशित) चक्कर लगाता है, वैसे ही दुःख भी इंसान का पार्ट ऑफ लाइफ है, पीछा नहीं छोड़ता.
गणित में एक अध्याय "प्रोबेबिलिटी" का होता है, जैसे हम किस्मत शब्द का इस्तेमाल करते हैं वैसे ही साइंस भी यह मानती है कि दुनिया में संयोग जैसी चीजें अतित्व में हैं. उदाहरण के तौर पर अगर आप एक पत्थर 20 मीटर की दूरी से किसी पोल में जानबूझकर मारते हैं तो अक्सर वो उसमे नहीं लगता क्योंकि आप कोई निशानेबाज नहीं हैं, लेकिन अगर आप 10 छोटे से (या बड़े से) पत्थर निशाना बनाकर उसी 20 मीटर की दूरी से एक पोल में मारेंगे तो संभावना है कि 10 में से एक या दो पत्थर उसमें जरूर लग जाएंगे चाहे आप निशानेबाज ना भी हों, दूसरे केस में आपको किसी व्यक्ति या वस्तु पर गुस्सा आ रही हो या आप बहुत खुश हों. तभी आप अचानक एक पत्थर उसी 20 मीटर की दूरी से उसी पोल में मार दें तो एक संभावना ये भी है कि वह उससे टकरा जाता है जो कि आपने बिना कोई निशाना साध कर मारा था.
वैसे ऐसा सबकी लाइफ में होता ही है यह कोई किस्मत नहीं वल्कि प्रोबेबिलिटी है. ठीक वैसे ही किस्मत नाम की चीज भी इसी ओर इशारा करती है कि आप अपने कार्यों के लिए कोशिश तो करें, इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप निशानेबाज है या नहीं, परंतु इससे फर्क पड़ता है कि आप अपनी कोशिश अपने जुनून से निशानेबाज बन कर दिखाना चाहते हैं. इच्छा हर इंसान में होती है लेकिन तीव्र और ना डगमगाने वाली इच्छा हर किसी में नहीं होती, उसी को इच्छा की शक्ति कहते हैं.
बेशक जिंदगी में हर किसी को जीतना पसंद है लेकिन हार भी जिंदगी की सच्चाई है और यही हार आपको फिर से जीतने को मजबूर करती है. जिस प्रकार एक डेढ़ साल का छोटा बच्चा जो घिसटकर चलता है, वह दूसरों को चलते हुए देखता है तो वह भी चलने की कोशिश करता है. लेकिन वह तो उठने की कोशिशों में बार-बार गिरता है. फिर कोशिश करता है और जब तक उठकर चलने नहीं लगता तब तक वह वैसे ही सीखता है. पर इतना ही नहीं, जब वह चलना सीख जाता है तो वह उसी क्रम में दोड़ना भी सीखने लगता है और उसे धीमे-धीमे यह एहसास होता है कि कुदरत ने उसे मनुष्य इसीलिए बनाया था कि वह सीखता रहे और बढ़ता रहे.
अच्छे कर्म व्यक्ति के जीवन को प्रगति की दिशा में ले जाते हैं, वही बुरे कर्म उसे एक न एक दिन बुरी हालत में पहुंचा देते हैं. मानव के विकास के अब तक के सफर में मनुष्य द्वारा किए गए अच्छे या बुरे कर्मों का फल उसे अवश्य भोगना पड़ता है. इसमें कोई संदेह नहीं कि कुदरत या समस्त ब्रह्मांड दया के सिद्धांत पर काम नहीं करता बल्कि विज्ञान के नियमों से चलता है. यदि सूर्य अपना ईधन खत्म कर देगा तो निश्चय ही पृथ्वी जैसे ग्रह पर जीवन समाप्त हो जाएगा और सूर्य किसी दया के नियम से नहीं बंधा है क्योंकि तय समय सीमा के बाद यह निश्चित है. यानी ब्रह्मांड में जिसने भी जन्म लिया है उसका अंत निश्चित है.
परिस्थितियां मनुष्य को तभी हारने पर विवश कर सकती हैं जब वह स्वयं घुटने न टेक दे, हालांकि कई बार परिस्थितियां अथवा जमीनी सच्चाई यह भी है कि मनुष्य चाह कर भी कुछ नहीं कर पाता परंतु धीरे-धीरे ही सही परिस्थितियों को अपने वश में वह कर सकता है. साधारण तौर पर हम कह सकते हैं कि इंसान कर्म किए बगैर नहीं रह सकता, कर्म हमारे अधीन है और कर्म ही तय करते हैं कि परिणाम कैसे होंगे?
हमारे चारों ओर अनेकों ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाते हैं कि हमारे बीच कुछ व्यक्ति सदैव सफलता पाते हैं वहीं दूसरी ओर कुछ व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में असफल होते चले जाते हैं.दोनों प्रकार के व्यक्तियों के गुणों का यदि हम आकलन करें तो हम पाएंगे कि असफल व्यक्ति अक्सर निराशावादी तथा हीन भावना से ग्रसित होते हैं.
ऐसे व्यक्ति पहले ही हार स्वीकार कर लेते हैं धीरे-धीरे उनमें यह प्रबल भावना बैठ जाती है कि वे कभी भी जीत नहीं सकते. वहीं दूसरी ओर सफल व्यक्ति ज्यादातर आशावादी तथा कर्म करने वाले होते हैं जीत के लिए हमेशा प्रयास करते हैं कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सफलता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहते हैं.
इंसान अपनी संपूर्ण मानसिक एवं शारीरिक क्षमताओं का अपने कार्यों में प्रयोग तभी कर सकता है जब उसके कार्य मन से किए गए हों.यदि उसका आत्मविश्वास प्रबल है तब वह सफलता के लिए मन लगाकर संघर्ष करता है.सफलता प्राप्ति में यदि देरी भी होती है या अनेक प्रकार के कष्टों का सामना भी करना पड़ता है तब भी वह क्षण भर के लिए भी अपना धैर्य नहीं खोता है.
एक दो चरणों में यदि उसे सोची हुई सफलता नहीं मिलती है तब भी वह सही दिशा में संघर्ष करता रहता है और एक दिन उसे सफलता प्राप्त होती है.हमारी पराजय का सीधा अर्थ है कि विजय के लिए पूरे मन से और सही दिशा में प्रयास नहीं किया गया.आपको हमारा आज का ये लेख कैसा लगा? हमें अपनी प्रतिक्रिया कमेंट कर बता सकते हैं.
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