ऐसे पहचानें उसे आपसे प्रेम है या नहीं?



रिश्ते इंसानी समझ के सबसे जटिल पहेलु हैं,इन्हें जितना समझा जाये उतना ही कम है.जहां आप एक इंसान के लिए अपना सबकुछ लुटा देते हैं वहीं दूसरे को लगता है कि आपने कौनसा उसके लिए अनोखा काम कर दिया.अगर सामने वाले को आपकी हर चीज़ को जानने की इच्छा हो,परवाह हो,सवाल के जवाब का इंतज़ार हो,आपकी थोड़ी सी तकलीफ की भी फिक्र हो,आप क्यों उदास हैं उसकी वजह जानने की उत्सुकता हो तो समझ जाना कि वो आपसे गहरा रिश्ता चाहता है.जब सामने वाला आपकी किसी बात को ध्यानपूर्वक न सुने,आपकी किसी चीज़ में इंटरेस्ट न दिखाए,आपके लगातार फ़ोन करने पर भी उसका जवाब न आये या आपके मैसेज का बहुत छोटा सा रिप्लाई देकर छोड़ दे तो ज़रा रुक जाएँ.कहते हैं परवाह सबकुछ बयाँ करती है,कोई भी रिश्ता कड़वाहट में नहीं चल सकता,जब आपके बीच सिर्फ और सिर्फ झगड़े होते हैं,फ़ोन पर कभी 10 मिनट से ज्यादा बात नहीं होती,अगर होती भी है तो सिर्फ गुस्से में,तो समझ जाना कि जो समय आपका था वो किसी और ने चुरा लिया है.


  • रिश्ते समय चाहते हैं अगर आपके पास वो नहीं है तो उसकी वजह चाहते हैं.अगर सामने वाला आपको नज़रअंदाज़ करना शुरू कर दे तो समझ जाना कि अब वो आपके लिए नहीं है,उसके पीछे पड़ने से कोई फायदा नहीं.क्योंकि इंसान जिसे सबसे ज्यादा चाहता है उसे अपनी सबसे कीमती चीज़ यानि समय देता है.यदि सामने वाले ने आपको समय देना छोड़ दिया है तो समझ जाना कि अब उसने वही समय किसी और को देना शुरू कर दिया है जितनी जल्दी हो आप इस बात को समझ जाना वरना जिस दिन ये सच्चाई आपके सामने आएगी उस दिन आप अपना बहुत कुछ खो चुके होगे.ये सबसे बड़ा भ्रम है कि कोई अकेला जी रहा है.इसका मतलब ये है कि इंसान कभी भी अकेले जी ही नहीं सकता.हर इंसान को किसी न किसी साथी की जरूरत होती है और वो भी उसके जैसे ख़यालों जैसा,हालांकि कुछ लोग दूसरे को इम्प्रेस करने के लिए उसी के जैसे बनने का नाटक करने लगते हैं लेकिन ये राज़ आगे चलकर खुल जाता है.
  • लड़के और लड़की के प्रेम के रिश्ते का एक अहम हिस्सा है समय.कोई भी लड़का या लड़की एक साथ 2-4 लोगों से ठीक से रिश्ते नहीं चला सकते क्योंकि यहां समय एक बाध्यता है.मान लीजिए एक लड़की जब 4 लड़कों से रिश्ता रखेगी तो क्या होगा?एक के साथ चैटिंग,दूसरे के साथ बाहर घूमना,तीसरे के साथ फ़ोन पर बात करना और चौथे के साथ सीरियस रिश्ता निभाना.क्या ये संभव है?नहीं,क्योंकि सबको समय दे पाना हमेशा के लिए संभव नहीं.एक दिन ऐसा आएगा कि सबके चक्कर में उसने एक भी रिश्ता दिल से नहीं बना पाया बस सब टाइम पास ही बन गए.वक्त ख्वाहिशें और सपने,हाथ में बंधी घड़ी की तरह होते हैं,जिसे हम उतार कर रख भी दें,तो भी ये चलती रहती है.इन्सान का सबसे बडा दुश्मन मूर्खता नही,बल्कि ज्ञानी होने का भ्रम है.


बड़े-बड़े विद्वान भी कभी-कभी धोखा खा जाते हैं लेकिन फर्क सिर्फ इस बात का है कि वो उससे बहुत कुछ सीख जाते हैं.गुलज़ार ने अपने एक एहसास में लिख दिया कि सब अपने से लगते हैं लेकिन सिर्फ बातों से.कुछ नेकियां और कुछ अच्छाइयां अपने जीवन में ऐसी कर जाइये जिसका ईश्वर  के सिवाय कोई और गवाह न हो.गलतियाँ सुधारी जा सकती हैं,गलतफहमियां भी सुधारी जा सकती हैं मगर गलत सोच या गलत नियत कभी नहीं सुधारी जा सकती.
वक़्त वो तराजू है जो बुरे वक़्त में अपनों का वजन बता देता है.
इंसान के गुण नमक की तरह होना चाहिये,जो भोजन में रहता है मगर  दिखाई  नहीं  देता और अगर ना हो तो उसकी कमी तुरंत महसूस होती है

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.