प्रकृति के करीब होने का एहसास
धरती पर मानव जीवन के अस्तित्व की शुरुआत से लेकर आज के युग तक के मानवीय मूल्यों में अच्छा-खासा परिवर्तन हुआ है.अगर हम अपने 2 लाख पुराने अस्तित्व पर ध्यान दें तो हम पायेंगे कि हमारे पूर्वजों ने कुछ खास काम किये,वे अन्य जीवों की तुलना में खुदको बौद्धिक स्तर पर विकसित करते रहे,और परिणाम हमारे सामने हैं.आज हम CRT से होते हुए OLED TV पर आ गए,AI तकनीक से चीजों को संचालित होते हुए देख रहे हैं.लेकिन क्या हम कुछ कमी महसूस कर रहे हैं?हाँ,हमने अपने शारीरिक सिस्टम में कोई बदलाव नहीं कर पाया,वैज्ञानिक अभी इस पर रिसर्च कर रहे हैं कि कैसे इंसान की जटिल बीमारियों का बेहतर इलाज किया जाए या इंसान को कैसे अमर बनाया जा सकता है,कभी Nano boats तकनीक एक उम्मीद बनती है तो कभी हज़ारों असफल परीक्षण,ये सिलसिला चलता आया है और एक असीमित संभावनाओं का भविष्य हमारे सामने है.हम प्रकृति का एक बहुत ही छोटा अंश हैं और एक दिन हर व्यक्ति इसी का एक हिस्सा बन जाता है.जब आप सुबह जागते हैं तो क्या आपको चिड़ियों की आवाज़ सुकून नहीं देती?मुझे सुबह के समय सारस की आवाज़ बहुत ही सुकून देती है,और मैं उसे सुनकर खुदको प्रकृति का एक हिस्सा मान बैठता हूँ,और सबसे बड़ी चीज कि अंदर से दुनिया की सारी कड़वाहट और अशांति कुछ समय के लिए बिल्कुल दूर हो जाती है.शायद आप एक व्यस्त शहर में रहते हों और कभी वे पक्षी वहाँ नहीं आते हों.हर पक्षी की ध्वनि अपने आप में एक ऊर्जा स्रोत है अगर आप महसूस करेंगे तो वे आपके जितने बुद्धिमान तो नहीं लेकिन वे आपको कई तरह की मानसिक समस्याओं से निजात दिलाने में आपकी मदद जरूर करते हैं.मैं जब सारस की आवाज़ सुनता हूँ तो लगता है कि बस अब जीवन से कोई शिकायत नहीं,मैं शांत हो जाता हूँ,न कोई चिंता न शिकायत.कुछ देर के लिए सबकुछ बहुत ही आसान सा लगने लगता है.आप जितना प्रकृति के करीब रहेंगे आपको एहसास होगा कि सच में ये सभी चीजों से ज्यादा सुकून भरा एहसास है.
Post a Comment