तब कौन साथ होगा?एक बुजुर्ग महिला का जीवन के प्रति अनुभव

एक दिन मैंने एक 70 साल की बुजुर्ग महिला से पूछा,दादी आपको देखकर लगता है कि आप अपनी जवानी के दिनों में बेहद खूबसूरत रहीं होंगी,तब उस बुजुर्ग महिला की बातों ने जैसे जीवन के इस अनुभव में बहुत कुछ समझा डाला,उन्होंने कहा हाँ बेटा ! तुम बिल्कुल सही हो,जब मैं 17-18 साल की थी तो जहां से गुजरती थी हर कोई मुझे ही देखता था,कई लड़के मेरे पीछे पागलों की तरह घूमते रहते थे,आज भी जब मैं उन दिनों को याद करती हूं तो मैं अपने करीब सिर्फ एक इंसान को पाती हूँ और वो हैं मेरे पति !! जो अब 73 साल के हैं.मैंने पूछा,दादी तो अब आप अपनी खूबसूरती के बारे में क्या राय रखती हैं?उन्होंने कहा,बेटा इंसान के शरीर की सच्चाई है उसकी 30 micrometers की skin,अगर चेहरे से इसे उतार दो तो कोई पास भी नहीं बैठेगा,लोग बदसूरत से दूरी ही बनाकर रखते हैं न?यानि जब मैं 17-18 साल की थीं तब मुझे ये एहसास ही नहीं था कि ये समय हमेशा नहीं रहेगा,लेकिन सच्चाई तो यही थी कि जीवन तो पति के साथ ही गुज़र सकता है वही मेरे दुःख दर्द तकलीफ में साथ होगा और यही हुआ भी,लगता था कि सब हमेशा साथ रहेंगे लेकिन पता ही नहीं चला कि बढ़ती उम्र और समय के पहिये के साथ कब सब छूटते चले गए,यानि वक़्त के साथ सब बूढे हो गए,कभी-कभीसोचती हूँ कि वक़्त खूबसूरत था या मैं?आखिर कहां गए वो लड़के जो कभी मेरी खूबसूरती के दीवाने थे..और इसी के साथ उस बुजुर्ग महिला ने पास में रखी दवाइयों की थैली से दवा निकालने को कहा और छत की तरफ आंखों को ठहराकर कुछ सोचने लगी,शायद यही कि वो वक़्त फिरसे वापस आ जाये.

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