क्या आप ज्यादा सोचते रहते हैं?
आप कोई भी निर्णय लेते समय कितनी बार उसके असफल हो जाने की कल्पना करते हैं?और कितनी बार यही सोचकर निर्णय ही नहीं ले पाते.जब आप अपने जीवनसाथी का चुनाव करते हैं तो आपको फर्क किस बात का पड़ना चाहिए?आपको अपने हिसाब का साथ देने वाला व्यक्ति चाहिए या समाज क्या कहेगा इस डर से आप गलत इंसान के साथ पूरी ज़िंदगी बिताना पसंद करेंगे?आपको वही करना चाहिए जो आपके लिए बेहतर है.इसका मतलब क्या है?मान लीजिए आपको अपने लिए कपड़े पसंद करने हैं तो आप किसकी पसंद से उन्हें खरीदते हैं?अगर आप साथ गए इंसान की पसंद के साथ जाते हैं तब आपको अफसोस होने वाला है और अपनी पसंद के साथ जाते हैं तो मन में दुविधा होती है,आप साथ गए इंसान से निर्णायक पुष्टि करते हैं कि फलां कपड़ा आपपर कैसा लग रहा है,क्या आप कपड़े को पहनकर खुदको शीशे में देखकर अंदाज़ा नहीं लगा सकते?या आपको खुदपर यकीन नहीं है कि आपकी चॉइस अच्छी नहीं होगी?क्या आप किसी खराब चॉइस के साथ जा सकते हैं?लेकिन आपको खुदपर यकीन रखना होगा कि आप उसमें खुश हैं.आपको क्या करना चाहिए ये आपको आपसे बेहतर कौन बता सकता है लेकिन फिर भी आपको खुदपर डाउट है कि कहीं आपसे कुछ गलत न हो जाये.जब आप सीख जाते हैं कि गलत को कैसे ठीक करना है तब आप ये भी सीख जाते हैं कि निर्णय कैसे लेना है.आपको उसे बस लेना है,बाकी उसे कैसे ठीक किया जा सकता है इसबारे में सोचना है.ज्यादातर लोग निर्णय ही नहीं ले पाते,आप कमसे कम उसे ले तो सकते हैं,आगे तो जो होना है वो उनसे बेहतर ही होगा जो निर्णय ले ही नहीं पाए.चॉइस आपकी है आप इस बात का इंतज़ार न करें कि अपने आप कुछ भी होने वाला है,आपने आप और बिना कारण के दुनिया में किसी चीज़ का अस्तित्व संभव ही नहीं.
Very nice bro...
जवाब देंहटाएंBahut hi Acchi bat batai apne
Thanks