हिम्मत जो आपको Unstoppable बना देगी

Lamarck ने Evolution of Species पर अपनी व्यख्या दी कि जिर्राफ की गर्दन इतनी लंबी क्यों होती है?उन्होंने कहा कि पहले जिर्राफ छोटे होते थे और फल ऊंचे लगते थे लेकिन समय के साथ-साथ वे कोशिश करते गए और उनकी गर्दन खिंच-खिंचकर लंबी होती गई इसे नाम दिया गया Theory of Inheritance of Acquired Characteristics.बाद में सन 1859 में Charles Darwin ने अपनी नई थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन जब दुनिया के सामने रखी तो उन्हें पागल समझा गया लेकिन बाद में सन 1870 में इस थ्योरी को एक्सेप्ट किया गया जो theory of natural selection के नाम से दुनियाभर में प्रचलित हुई.इसके अनुसार Darwin ने बताया कि जिर्राफ दोनों तरह के होते थे लेकिन समय के साथ वही सरवाइव कर सके या वही बचे जिनकी गर्दन लंबी थी यानि हमारी प्रकृति ने उसी को चुना जो खुद को उसके अनुसार ढाल पाया या यूं कहें कि वही बचा जो खुद को प्रकृति के अनुसार ढाल पाया.बाद में Herbert spencer ने इसे Survival of the fittest का नाम दिया.अगर हम मान लें कि प्रकृति उसी को चुनती है जो खुद को प्रकृति के अनुरूप ढालना जानता है तो इसमें भी जाहिर है कि जब तक आप खुद को वैल्युएबल नहीं बनाओगे,अपना नजरिया पॉजिटिव नहीं रखोगे,अपनी कंडीशनिंग सिर्फ और सिर्फ नेगेटिव सोचने जैसी ही करोगे तो समय के साथ-साथ आप भी उन्हीं में शामिल हो जाओगे जिन्हें दुनिया में हर तरफ कमियां ही कमियां नजर आती हैं.और जिंदगी के आखिर में समझ आता है कि शुरुआत में खुद को ही बदल लेता तो शायद दुनिया ही बदली-बदली लगती.
मेरा हस्बैंड ऐसा क्यों है? लोग मुझे ही क्यों गलत समझते हैं?वह बदल क्यों नहीं जाते? मैं हमेशा अच्छा करता हूं पर मेरे साथ ही क्यों बुरा होता है?यही सब हमारे दिमाग में घूमता रहता है.एक इंसान के अंदर कुछ भी कर गुजरने की अद्भुत क्षमता है लेकिन लोगों के सफल ना होने का एक बहुत बड़ा कारण यह भी है कि वह सफल होना तो चाहते हैं लेकिन...
यह लेकिन इतना छोटा नहीं है इस लेकिन के पीछे ना जाने कितनी बातें हैं जो उन्हें रोकती हैं.अगर मैंने यह काम किया और कहीं फेल हो गया तब क्या होगा? मेरा कोई साथ नहीं दे रहा,अगर मेरी लाइफ में मेरा प्यार साथ होता तो शायद मैं यह कर लेती? क्या करूं हिम्मत ही नहीं होती.अब समय मेरे साथ नहीं है?इन सब के बाद जब नेगेटिविटी अपनी चरम सीमा पर होती है तब कॉमन सी बात जो बोली जाती है,मेरी किस्मत ही खराब है.जब चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा हो तब एक छोटा सा बल्ब भी रोशनी का काम कर जाता है.काम कभी छोटा नहीं होता बस वह बड़ा बनने के लिए किसी एक ऐसे इंसान का इंतजार कर रहा होता है जो उसे बड़ा बनाने की सोच रखता है.इसी लाइफ के खेल में वह भी होते हैं जो खेलना नहीं चाहते,वह भी होते हैं जो सिर्फ आनंद से खेलते हैं,वह भी होते हैं जो खेल को ही खराब बताते हैं,वह भी होते हैं जिन्हें खेल की जानकारी नहीं होती लेकिन वह सीखते हैं और बार-बार हार जाते हैं लेकिन फिर से जीतने के लिए बस एक सेंटेंस बोलते हैं मैं फिर से ट्राई करूंगा,मैं खेलूंगा और जीत कर भी दिखाऊंगा.कोई अगर आपके कार्य पर संदेह करता है तो करने दें क्योंकि शक हमेशा सोने की शुद्धता पर किया जाता है कोयले की कालिख पर नहीं. जब आप संघर्ष के दौर से गुजर रहे हों तो अपने खिलाफ बातें खामोशी से सुन लें क्योंकि वहां आपकी ऊर्जा को काम में लगाने में ज्यादा समझदारी है.आप कोई भी काम करें खुद को पॉजिटिव रखकर करें बस यह सोचे कि मुझे इसे अच्छा करना है,फिर इसे बेहतर करना है और अंत में इसे बेहतरीन बना देना है.काम की कोई कीमत नहीं होती वह आप ही हो जो उसे कीमती बना डालते हो.अपने आप से कहो कि मैं नहीं रुकूंगा चाहे एक क्या एक लाख मुसीबतें आ जाएं.क्या हुआ जो तुरंत सफलता नहीं मिली, तो किसने लिखा है कि मिलेगी ही नहीं.जब तक हम सफल नहीं होते तब तक हमें शांत रहना चाहिए किसी से भी कुछ नहीं कहना चाहिए, बस शांति से काम करते रहना है.फिर आप यह महसूस करोगे कि आप को रोकने वाला आपके सिवा और कोई है ही नहीं.बस अंदर से महसूस करें कि अब होगा क्या? पास या फेल.फेल हुए तो भी अपने आप को पॉजिटिव रखो कि हां अब इससे और अच्छा करूँगा.अगर पास हुए तो यह सोचो कि यह तो बस शुरुआत है.खराब हालात में भी अगर आपके चेहरे पर मुस्कान और खुद में आत्मविश्वास है तो समझ लीजिए फिर सफलता आपके हाथ में ही है.ध्यान रखिए अगर सब कुछ खो कर भी आप में कुछ करने की हिम्मत बाकी है तो समझ लीजिए अपने कुछ नहीं खोया.

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