अपने काम या व्यवसाय में ऐसे आगे बड़ें
अगर आप कोई भी बिजनेस करते हैं:ऑर्गेनाइजेशन, दुकान,कंपनी या कोई भी प्रोडक्ट सेलिंग का काम करते हैं,छोटा या बड़ा कोई फर्क नहीं पड़ता.और उसमें घाटा मिल रहा है तो इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें और इम्पलीमेंट कर अपने व्यवसाय में बढ़ोत्तरी देखें.प्रॉफिट यानि फायदा,हर कोई अपने बिजनेस में यही तो चाहता है ना?तभी इंसान मेहनत भी करता है ये सोचकर कि आगे उसका काम और बढ़ेगा.लेकिन बिजनेस ना चलने का कारण या डूबने का कारण कोई जादू टोना टोटके नहीं है बल्कि वो तरीके हैं जिनका इंसान इंप्लीमेंटेशन नहीं करना चाहता,बस प्रॉफिट- प्रॉफिट और प्रॉफिट,इसी के पीछे भागता है और बाद में मिलता है घाटा.आखिर आप ऐसी कौन सी कमी छोड़ रहे हैं जिससे आपका लॉस हो रहा है?
बहुत छोटे उदाहरण से समझते हैं:आप मार्केट में साबुन लेने जा रहे हैं तो आपके दिमाग में सबसे पहला ख्याल क्या आता है?साबुन अच्छी क्वालिटी का होना चाहिए दूसरा ख्याल क्या आता है?वह आपके बजट में भी होना चाहिए.हैं न?
ठीक है अब एक बिजनेसमैन के नजरिए से क्या आप अपने कस्टमर्स को ऐसा कुछ दे रहे हैं या सिर्फ कबाड़ आइटम जबरजस्ती कस्टमर्स को बेंचना चाह रहे हैं.ध्यान रखिए कस्टमर ही हर व्यवसाय का भगवान है. उसे धोखे से अगर चीजें बेंच भी लीं जिसमें आपने अपना फायदा तो कर लिया.लेकिन वह जब घर जाकर उसे यूज़ करेगा तो वह समझ जाएगा कि उसके साथ उस दुकान या फर्म ने धोखा किया है.और आजकल कोई कस्टमर इतना बेवकूफ तो होगा नहीं जो इसे समझ नहीं पाएगा,अपने साथ हुए धोखे को वो अन्य लोगों को भी बताएगा,और वे भी उस से प्रभावित होकर आपके पास नहीं आएंगे.आपके पीछे आपको पता भी नहीं चलेगा कि कब और कैसे आपका बिजनेस लोस में जा रहा है.
आपने अक्सर यह सुना भी हो कस्टमर दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण इंसान है जिसके लिए आप काम कर रहे हैं,जिसकी वजह से ही आप किसी भी बिजनेस में बढ़ रहे हैं.जब कस्टमर ही नहीं तो बिजनेस कैसा? उपयोग करने वाला ही आपसे संतुष्ट नहीं तो ग्रोथ केवल कल्पना मात्र है.
दूसरे केस में,आप कस्टमर को उसकी पसंद की चीज न भी दे सके लेकिन उससे अच्छे से अपनेपन से बात की तो एक बारी प्रोडक्ट कस्टमर ने जैसा सोचा था वैसा नहीं भी निकला,पर आपके अच्छे व्यवहार की वजह से वह फिर से आएगा और अपने साथियों को भी बताएगा कि वहां से चीजें खरीदो उसका मालिक आदत का बहुत अच्छा है.
अब बात समझने वाली यह है कि कस्टमर को क्या आकर्षित करता है?
एक आपका व्यवहार,दूसरा आपका विश्वास!
जो प्रोडक्ट कस्टमर के भरोसे पर खरा उतरता है वह कभी लॉस में नहीं जाता.आजकल हर कोई पैसा खर्च उसी चीज के लिए करेगा जहां उसे सेटिस्फेक्शन हो. जो कस्टमर आपके पास आया है मान लीजिए उसने कुछ नहीं खरीदा,लेकिन वह आपका व्यवहार वहां से लेकर जाता है.इसीलिए अगर आप चाहते हैं कि आपका बिजनेस तरक्की करें तो सोचें कि आपने प्रोडक्ट बेंचा या सर्विस?
अगर आप सिर्फ प्रोडक्ट सेल कर रहे हैं बेहतर व्यवहार और सर्विस नहीं,तो समझ लीजिए आप गलत ट्रैक पर हैं.तो अब बात ये आती है कि आपको फोकस किन-किन बातों पर करना है:
आपको इन चीजों पर फोकस करना है:
1.Valuation.
2.Transparency.
3.Cost mediation.
4.Behaviour.
5.Self/team motivation.
6.Modification & Service enhancement systems.
7.Activity analysis.
यह कैसे काम करते हैं?इन पॉइंट्स का मतलब क्या है?
1.Valuation:सबसे पहले है प्रोडक्ट की वैल्यू.यानी कस्टमर को एहसास हो कि यह प्रोडक्ट उसके लिए काफी मायने रखता है और वह उसे भविष्य में भी इस्तेमाल करता रहेगा.
2.Transparency:यानि जो दिखता है वह बिकता है. आपके प्रोडक्ट में पारदर्शिता होना बहुत जरूरी है. मतलब जो कुछ है सब साफ है क्लियर है.कोई लालच देने वाली फर्जी या दिखावा करने वाली स्कीम नहीं है. एक बार यूज कर लेने से कस्टमर जान गया कि प्रोडक्ट वाकई में उसके लिए महत्व रखता है और फिर वह बिना ज्यादा सोचे उसे भविष्य में इस्तेमाल जरूर करेगा और दूसरों को भी अपने अनुभव से रिकमेंड करेगा.
3.Cost mediation:क्या प्रोडक्ट कस्टमर के बजट में है?अगर आप केवल अमीर कस्टमर खींचना चाहते हैं तो ये चिंताजनक हो सकता है.प्रोडक्ट मूल्य ऐसा हो जो गरीब,अमीर या मिडल क्लास सभी की पहुंच में हो. अगर प्रोडक्ट की पहुंच सभी तक हो गई तो ये आपकी कंपनी को उचाईयों तक ले जाएगा.
4.Behaviour:अगर आपका या आपकी कंपनी का व्यवहार कस्टमर के लिए अच्छा है तो यह उसे बार-बार आकर्षित करेगा और उसका भरोसा हमेशा बना रहेगा. गलत सर्विस या व्यवहार आपको सिर्फ नुकसान की तरफ ले जाएगा.
5.Self/team motivation:अगर आपकी कंपनी या दुकान में आपके एंप्लोई काम कर रहे हैं तो उन्हें हमेशा मोटिवेट कीजिए.उन्हें यह नहीं लगना चाहिए कि वह सिर्फ पैसे के लिए अपना काम कर रहे हैं.उन्हें समय-समय पर मोटिवेट करें और उनकी समस्याओं को सुलझाएं क्योंकि वह आपके बिजनेस के गार्जियंस हैं या यूं कहे कि वह आपके बिजनेस के पिलर हैं.अगर पिलर टूट गए तो क्या होगा?आप अंदाजा लगा सकते हैं.
6.Modification & Service enhancement systems:हमेशा बदलाव की पद्धति को अपनाएं,नई तकनीक और व्यवस्थाओं से भागे नहीं और उन्हें समय-समय जरूरत के अनुसार लागू करें. उदाहरण के तौर पर,डिजिटल पेमेंट सिस्टम जैसे डिजिटल वॉलेट,यूपीआई या क्रेडिट/डेबिट कार्ड से लेन-देन को सुचारू रखें.बिजनेस में हमेशा अपग्रेडेशन की पद्धति को अपनाएं उसे बढ़ावा दें.आप कैसे अपने प्रोडक्ट को बेहतर और कैसे बेहतर कर सकते हैं,कस्टमर्स क्या इंप्रूवमेंट देखना पसंद करेंगे तथा कस्टमर्स की फीडबैक भी समय-समय पर लेते रहें.
7.Activity analysis:बहुत से लोग इसे नहीं करते और अचानक हुए घाटे की वजह नहीं जान पाते.याद रखें कुछ भी अचानक नहीं है उसका कहीं ना कहीं आपके पास्ट से रिलेशन है.इसका मतलब यह है कि आपकी कंपनी या दुकान पर जो भी कार्य हो रहा है,रोज उसका विश्लेषण करें.जैसे आज ऐसा क्या हुआ और उसके पीछे कारण क्या था?क्यों आज सेलिंग कम थी या ज्यादा थी और पिछले दिनों में कैसी थी उसकी वजह क्या थी?इस पर लिखित में प्लानिंग और एक्टिविटी एनालायसिस करेंगे तो आपके सामने सारी बातें क्लियर होती चली जाएंगी.
हमेशा याद रखें सबसे ज्यादा भरोसे पर फोकस करें,जहां भरोसा है वहीं सफलता है और जहां सफलता है वहीं आपका भी फायदा है और उनका भी जो आप पर भरोसा रखते हैं.आपको हमारा लेख कितना लाभप्रद लगा,हमें आप अपने सुझाव और विचार कमेंट कर बता सकते हैं.
Post a Comment