डिप्रेशन और टेंशन को कहें अलविदा


अगर हम विकिपीडिया के डाटा की बात करें तो हर साल लगभग 800000 लोग दुनिया भर में आत्महत्या कर रहे हैं जिनमें 135000 यानी 17% भारत के लोग हैं अगर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट माने तो भारत में 100000 लोगों में से 20.9 लोग सुसाइड कर रहे हैं ज्यादातर सुसाइड करने वाले लोगों की उम्र 44 से नीचे होती है अगर डब्ल्यूएचओ की 2015 की रिपोर्ट देखें तो भारत में 5 करोड 66 लाख 75हज़ार 969 लोग डिप्रेशन से जूझ रहे थे जो कि कुल भारत की आबादी के 4.5% थे और 2019 या आगे यह संख्या और ज्यादा बढ़ती जा रही है शायद कुल आबादी की 5% अगर ऐसोकेम की रिपोर्ट माने तो 42.5% कॉरपोरेटर एंप्लोई डिप्रेशन से जूझ रहे हैं.38.5% कॉरपोरेट एंपलॉयर्स हर दिन 6 घंटे से भी कम सो रहे हैं इतनी कम नींद लेने की वजह से उन्हें डिप्रेशन, हाइपरटेंशन और शुगर की परेशानी होती है.2008 से 2015 कॉर्पोरेट एंपलोइस में चिंता और अवसाद 45% से 50% बढ़ा है 36% भारतीय बड़े अवसाद यानि डिप्रेशन का शिकार हैं और आधे से भी ज्यादा लोगों की मानसिक समस्या सॉल्व ही नहीं होती जिससे वे कभी-कभी कोई गलत स्टेप उठा बैठते हैं 18 से 29 साल की उम्र के लोगों में सुसाइड एक बड़ा कारण है और चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार भी यह मानती है कि हर पांच में से एक व्यक्ति को मनोचिकित्सक की जरूरत है.आखिर क्यों हम इंसान की वैल्यू भूलते जा रहे हैं? वह इंसान जो प्रकृति की सबसे अद्भुत और अमूल्य रचना है.क्या हम प्रकृति की इस सबसे कीमती रचना को यूं ही खो जाने दें?
जब तक हम अंदर से शांत और सुकून में नहीं होंगे तो फिर काम को कैसे अच्छा कर सकते हैं? देश की प्रगति बिना ह्यूमन डेवलपमेंट रिसोर्स के असंभव है.याद रखें,जब हम मन को,दिमाग को शांत रखकर कुछ अच्छा सोचते हैं तो काम भी वैसे ही होने लगते हैं अगर अंदर से हड़बढ़ाए, डरे हुए और परेशान होंगे तो काम भी फिर वैसे ही होंगे.बस एक नजरिया चाहिए नजारे बदलने के लिए.मत सोचो मेरी जिंदगी ऐसी क्यों है? यह सिर्फ मेरे साथ ही क्यों हो रहा है ?यह सोचो कि चलो हो रहा है तो कोई बात नहीं लेकिन मैं उन तरीकों पर काम करूंगा जिसे बदलाव कहते हैं.सही नजरिया रखकर सोचेंगे तो सब अच्छा होगा.आप इस प्रकृति की सबसे अद्भुत रचना हो जिन्हें शिकायत रहती है कि मैंने सब कुछ अच्छा किया लेकिन फिर भी मुझे धोखा ही मिला,तो जरा सोचिए कि धोखा सामने वाले ने नहीं दिया है यह तो आपकी नजरों का और पहचान का धोखा है वरना आग का काम जलाना है बर्फ का काम ठंडक देना है तो समझिए कि सामने वाले ने तो वही किया जो उसका काम है,वह तो धोखा देने में भी ईमानदार ही रहा न? आप धोखा खाकर बुराई के रास्ते पर चलने की ठान बैठे,बस मान लिया कि अब कुछ होना नहीं है,सब बेकार है ₹,बकवास है,भ्रम है,जिंदगी का कोई मतलब नहीं है.जहां आज हम खड़े किसी काम को मुंह लटका कर कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर हमारे ही काम को हमारे जैसा कोई सही ढंग से और आत्मविश्वास से करके दिखा रहा होता है.उसके पास भी वही मुश्किलें होती हैं लेकिन हार न मानने की अद्भुत कला है जो असंभव को भी दिन-ब-दिन संभव बनाती जा जाती है.लाइफ इतनी बिजी हो गई है ऐसे में बहुत सारे लोगों को स्ट्रेस होने लगती है टेंशन होने लगती है गुस्सा बढ़ जाता है और थकान होने लगती है और कई बार तो हम टेंशन में लोगों को पता नहीं क्या क्या उल्टा सीधा कह देते हैं या कभी-कभी कुछ गलत कदम उठा बैठते हैं जिससे बाद में हमें और ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है ऐसे में दो तरीके हैं जिन पर आप शांति से विचार कर सकते हैं पहला यह कि जो जैसा चल रहा है उसे वैसा ही चलने दें. दूसरा यह कि या तो टेंशन फ्री होने के तरीके ढूंढ ले. सबसे पहला तरीका है कि हम प्रजेंट में नहीं रहते अपने अंदर से इतने सारे बिलीफ क्रिएट कर लेते हैं जो होते भी नहीं हैं लेकिन क्रिएट करे जाते हैं.सोचते रहते हैं कि कोई और मेरे साथ इतना कर देगा,यह कर देगा,वह कर देगा.बहुत से ऐसे लोग हैं जो हमेशा से पास्ट-फ्यूचर के बारे में सोचते रहते हैं जिस पर फिलहाल में हमारा कंट्रोल नहीं होता और जिसकी वजह से हम अपने प्रजेंट को भी खराब कर देते हैं.यह हमेशा याद रखिए कि हमारा प्रजेंट अभी हमारे हाथ में है जो आप प्रजेंट में कर रहे हैं उस पर ध्यान लगाइए जिससे आप अपना काम अच्छे से कर सकें और बीती हुई खराब बातों को भी बुला सकें.दूसरी बात करते हैं पॉजिटिव रहने पर, कई लोग ऐसे हैं जो हमेशा नेगेटिव बातें करते हैं वह पॉजिटिव कभी सोचते ही नहीं इसे हम इंसान का नेचर भी कह सकते हैं क्योंकि ज्यादातर लोग अपनी लाइफ में नेगेटिव ही सोचते हैं और अपनी परेशानियों को इनवाइट करना पसंद करते हैं.हमेशा अपने मन में पॉजिटिव बातों को ही रखिए हर सिचुएशन में आप पॉजिटिव को आगे रखेंगे क्योंकि नेगेटिव आपको टेंशन ही देगा. जो कुछ भी आपके साथ पास्ट में हुआ उस पर नेगेटिव तरीके से ना सोच कर यह सोचें कि आपको कुछ ना कुछ उस से सीखने को मिला है.हँसते और मुस्कुराते रहिए:कहते हैं कि हँसने से बहुत सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं और टेंशन को भगाने का सबसे अच्छा तरीका तो यही है कि आप खुलकर हँसें. अपने अक्सर ये सुना होगा कि जब आपकी स्माइल से फोटो अच्छी आ सकती है तो सोचिए कि आपके हंसने और मुस्कुराने से जिंदगी कितनी अच्छी हो सकती है. और वैसे भी रोता हुआ चेहरा किसी को अच्छा नहीं लगता तो हमेशा मुस्कुराते रहिए और हमेशा लोगों को हँसाते रहिए.चौथे नंबर पर है अपने बारे में अच्छा सोचें: बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपने बारे में ही गलत सोचते हैं. पॉजिटिव सोचना अच्छी बात है पर उससे भी अच्छी बात है खुद के बारे में अच्छा सोचना आप जैसे भी हैं बेस्ट हैं.क्योंकि इस दुनिया में कुदरत ने हर किसी को कुछ ना कुछ स्पेशल दिया है और सब के अंदर कुछ न कुछ स्पेशल क्वालिटीज होती ही हैं जो इंसान अपने बारे में अच्छा सोचता है वह अपनी इन खूबियों को पहचान जाता है और आगे बढ़ता रहता है अगर आप खुद के बारे में अच्छा सोचेंगे तो भी आप टेंशन फ्री रहेंगे. ऐसे काम करें जो आपको पसंद हों,जिसमें आपका मन लगे जो आप बखूबी कर पाएं, काम को करते हुए आप समय ना देखें.टेंशन में रहने का एक और बड़ा कारण यह है कि लोग वह नहीं करते जो वह करना चाहते हैं अपने अंदर की पावर को पहचानो क्योंकि आपके अंदर भी कुछ ना कुछ ऐसा है जो आप दिल से कर सकते हो.जब आप अपने मन का काम करना चुनेंगे तो आप कभी टेंशन में नहीं रहेंगे और कभी आपको उस काम को करने में टेंशन नहीं होगी.तो हमेशा वह काम करिए जिसमें आपका मन लगता हो.
अगले नंबर पर अगर हम बात करें तो आप ऐसे लोगों से बात करें जिनसे आपको खुशी मिलती है.हमारी लाइफ में कई लोग ऐसे होते हैं जिनसे हमारे बहुत अच्छे रिश्ते होते हैं और हम उन्हें बहुत मानते भी हैं लेकिन हम उन लोगों से बात करने की कह रहे हैं जो शायद आपकी फेवरेट लिस्ट में आते हो या नहीं भी, पर आपको उनसे बात करने में अच्छा लगता है जिनके साथ आप खिलखिला कर हंस सकते हैं.तो हमेशा उन लोगों से बात करिए जिन से बात करने में आपको अच्छा लगता हो.₹,इससे भी आपकी टेंशन कम हो जाएगी.हमेशा यह सोचिए कि आप जितनी टेंशन लेंगे आपकी लाइफ उतनी ही कठिन होती चली जाएगी.हम जितना अधिक दुखी रहते हैं या दुःख के बारे में सोचते हैं उतना ही अधिक ये हमारी रियल्टी में भी दिखाई देता है.तो कभी भी कुछ ऐसा ना सोचें जिससे आपको टेंशन हो,क्योंकि आपकी जिंदगी में कठिनाइयां आएंगी ही और जब आप टेंशन में रहेंगे तो इन प्रॉब्लम्स को भी आप सॉल्व नहीं कर पाएंगे.इसलिए किसी भी चीज को ज्यादा सीरियस लेने की जरूरत नहीं है.
एक मेंढक पहाड़ की चोटी पर चढ़ने की सोचता है और आगे बढ़ता है बाकी के सारे मेंढक शोर मचाने लगते हैं. यह असंभव है ,नहीं चढ़ पाओगे,रहने दो,वहीं रुक जाओ,वापस आ जाओ !! मगर वह मेडक आखिर पहाड़ी की चोटी तक पहुंच जाता है.जानते हैं क्यों? क्योंकि वह बहरा होता है और वह अन्य सभी मेंढकों को चिल्लाते हुए देखकर यह सोचता है कि बाकी के सारे उसका उत्साह बढ़ा रहे हैं उसे मोटिवेट कर रहे हैं. इसलिए दोस्तों,कभी भी अपने लक्ष्य पर पहुंचना हो तो नेगेटिव लोगों के लिए आप बहरे हो जाइए आपको उन्हें कुछ समझाने की जरूरत नहीं है बस आपको खुद को समझ लेने की जरूरत है उनकी नकारात्मक बातों को भी अपने लिए सकारात्मक तरीके से लागू करें और यह सोचें कि वह आपको बार-बार कुछ अच्छा कर दिखाने के लिए मजबूर कर रहे हैं.बस इसी सोच और नजरिए के साथ आगे चलते रहें फिर आप देखेंगे कि जिंदगी जिसे आप इतना बुरा समझ बैठे हैं कितनी खूबसूरत बन जाएगी.

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