माँ-बाप क्या हैं?क्या आपको उनसे शिकायत है?
रिश्ते बड़े नाजुक होते हैं अगर हाथ से फिसल गए तो बड़ी तकलीफ देते हैं,इनमें ज्यादा दिमाग मत लगाइए इन्हें दिल से निभाइए.रिश्ते तो पक्षियों की तरह होते हैं अगर दबा दिए तो खत्म हो जाएंगे.देर रात अचानक ही एक बूढ़े आदमी की तबियत खराब हो गई,सामने उसका छोटा बेटा खड़ा था,ड्राइवर बुलाने की बात हुई पर इतनी जल्दी ड्राइवर कहां से आ जाता?यह सोचते हुए बेटे ने बूढे आदमी को अपने मजबूत कंधों के सहारे उस बूढ़े आदमी को कार में बैठाया और तेजी से हॉस्पिटल की ओर चल पड़ा.धीरे चल नालायक! कोई काम नहीं जो तुझ से ढंग से हो पाए वह बूढ़ा आदमी उस पर बरस पड़ा.ज्यादा बातें मत करें पापा,बस तेज़ी से सांसे लेते रहिए हम हॉस्पिटल पहुंचने ही वाले हैं. अस्पताल पहुंचकर डॉक्टर की निगरानी में अपने पिता को सौंपकर वह बाहर टहलने लगा.बचपन से लेकर आज तक वह खुदके लिए नालायक शब्द ही सुनता आया था.नालायक फिर से फेल हो गया,नालायक को अपने यहां कोई चपरासी भी ना रखे, कोई बेवकूफ ही होगा जो इस नालायक को नौकरी देगा,कोई नालायक ही होगा जो इसे अपनी बेटी देगा,बेचारी की किस्मत ही फूटी थी जो इस नालायक के पल्ले पड़ गई,यह नालायक तो किसी काम का है ही नहीं.उसके बूढ़े पिता के साथ-साथ उसके बड़े भाई भी और घर के बाकी सदस्य उसे नालायक ही कहते थे.बस एक माँ ही थी जिसने उसके असली नाम को जीवित रखा है और आज अगर उसके पिता को कुछ हो गया तो शायद वह भी...
मन में ये ख्याल आते ही उसकी आंखें छलक गईं और वो अपने पिता के लिए प्रार्थना में डूब गया.प्रार्थना की शक्ति कहें या समस्या मामूली थी.डॉक्टर ने बूढ़े आदमी को घर जाने की अनुमति दे दी.उनके कमरे में छोड़ते हुए बूढ़े आदमी ने एक बार फिर कहा,नालायक तुझे तो लगा होगा कि बूढ़ा अब लौटेगा ही नहीं.वह उस कमरे से बहुत उदास होकर निकला तो उस बूढ़े आदमी से रहा नहीं गया.यह सुनकर मां बोली,इतना सब तो करता है वह,फिर भी वो आपके लिए नालायक ही है.इस बार उस बूढ़े आदमी ने आश्चर्य भरी आंखों से देखा.फिर आंखें नीचे करते हुए बोला,तुम भी शायद मेरे शब्दों से धोखा खा गई.क्या कमी है हमारे इस बेटे में?हर परिस्थिति में अपने परिवार को,हम दोनों को,घर-मकान को,कारोबार को,रिश्तेदारों और रिश्तेदारी में सब कुछ तो बखूबी संभाल रहा है ना?जबकि बाकी दोनों लायक बेटे तो सिर्फ अपनी बीवी और बच्चों को ही संभाल रहे हैं.इतना सब के बाद भी इसे बेटा कह के ना बुला पाने का अफसोस,गले से नहीं लगा पाने का दुःख तो मुझे भी होता है.पर इससे भी अधिक डर लगता है कि कहीं यह लायक ना बन जाए.तुम चाहो तो इसे मेरा स्वार्थ कह लो.यह कहते हुए उस बूढ़े आदमी ने अपने हाथ जोड़ लिए.दूसरी ओर दरवाजे पर खड़ा वो बेटा सब सुन रहा था,मन हुआ कि दौड़कर अपने पिता को गले से लगा ले, पर ऐसा करते ही उसके पिता चोंक तो नहीं जाते न? वह चुपचाप अपने कमरे की ओर बढ़ गया.
बेटा कितना भी नालायक हो लेकिन उनके लिए हमेशा लायक रहता है.
दोस्तों,मां-बाप का प्यार जिसे हम महसूस नहीं कर पाते और शिकायत करते रहते हैं कि मेरे मां-बाप ऐसे हैं. कभी गहराई से उन्हें जान कर तो देखो,उनके इतने विशाल दिल में तो यह संसार भी छोटा पड़ जाता है हम चीज क्या हैं? इसलिए दोस्तों कभी यह मत सोचो कि मेरे मां-बाप ने मुझे क्या दिया? हमें यह जीवन दिया यह क्या कम है?यह कर्ज़ भी तो हम कभी नहीं उतार सकते.अरे क्या हुआ जो आप उनकी नज़रों में काबिल नहीं नालायक ही सही,पर वह नालायक भी लाखों काबिल के बराबर है.जो लोग अपने मां-बाप के बारे में यह सोच लेते हैं कि उनका हमसे कोई स्वार्थ जुड़ा हुआ है,तो यह बात दिल और दिमाग में बैठा लेना कि वह कभी स्वार्थी नहीं होते अगर आपको तकलीफ होती है तो आपकी तकलीफ से 100 गुना ज्यादा तकलीफ उनको होती है बस वह कह नहीं सकते.बाकी तो दुनिया में आप से सभी लोग शिकायत करते रहेंगे,कभी अपने अंदर ये विचार न बैठाएं कि हमारे मां-बाप ने हमारे लिए क्या किया?सच तो यही है कि हम साक्षात रुप में भगवान को देख सकते हैं यह क्या कम है?अरे क्या हुआ जो उन्होंने आपको डाँट दिया,उसके पीछे भी तो आपका भला ही छुपा हुआ है.इसलिए कुछ भी हो जाए उनके लिए कष्ट की वजह कभी मत बनना.कोई भी मां-बाप कभी भी अपने बच्चों के लिए बुरा नहीं चाह सकते.
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