जिंदगी को खूबसूरत बना देने वाली अनमोल बातें
किसी से पूछो और क्या चल रहा है लाइफ में?तो जवाब पता है कैसे-कैसे दिए जाते हैं बस कट रही है,गुजर रही है या जी रहे हैं.यह जिंदगी जिसका एक पल भी कई करोड़ों रुपए देकर भी नहीं खरीदा जा सकता जो अनमोल है चाहो तो इसे पत्थर समझ लो या फिर इसे वरदान समझ लो यही सब के पास है उनके पास भी जिनके पास सब कुछ हार कर भी दोबारा उठने की उम्मीद है.हमें हमेशा खुश रहना चाहिए हम किसी और की परेशानी का आकलन नहीं कर सकते और परेशान होने से कल की मुश्किल दूर नहीं होती बल्कि आज का सुकून भी चला जाता है.लोग अक्सर सवाल करते हैं कि मेरा रिश्ता अच्छा नहीं है मैं अपने रिश्ते से सुखी नहीं हूं.रिश्ते टूटने की एक वजह यह भी है कि लोग अक्सर टूटना ही पसंद करते हैं पर झुकना पसंद नहीं करते.जब हमारा पर्सपेक्टिव यानी दृष्टिकोण सही होता है तब हमें सॉल्यूशन मिलना शुरू हो जाते हैं जब तक हम अपना पर्सपेक्टिव पॉजिटिव नहीं करते तब तब हम प्रॉब्लम से और घिरते चले जाते हैं.पॉजिटिव सोचेंगे तो टाइम लग सकता है लेकिन सलूशन भी आपके पास खुद ब खुद आने शुरू हो जाएंगे.
कठिन परिस्थिति से कैसे निपटना है?
दोस्तों,मेंढक को एंफीबियंस यानी उभयचर श्रेणी में रखा गया है जिनकी 4000 से अधिक प्रजातियां धरती पर हैं मेंढक भी उन्हीं में से एक है जिन्हें कोल्ड ब्लडेड माना गया है यानी इनकी बॉडी उसी तापमान के अनुसार एडजस्ट हो जाती है जो तापमान इनके आसपास है.
साइंस लैब में एक टीचर ने बच्चों को एक बहुत अच्छी सीख दी उसने मेंढक को एक पानी से भरे बर्तन में बैठा दिया और बर्तन के नीचे से बर्नर लगा दिया.अब जैसे-जैसे पानी गर्म होता गया मेंढक अपनी बॉडी को पानी के हिसाब से एडजस्ट करता गया.पानी और गर्म हुआ मेंढक और एडजस्ट किया लेकिन पानी तो बर्नर से गर्म हो रहा था न? कोई तालाब का पानी तो था नहीं.अब पानी खोलने लगा और एडजस्ट करते करते मेंढ़क को यह लगने लगा कि सिचुएशन आउट ऑफ कंट्रोल हो गई है.
अब उसने छलांग लगाने के लिए पूरी ताकत लगा दी लेकिन वह बेकार थी क्योंकि एडजस्ट कर-करके ही उसकी सारी उर्जा पहले से ही खत्म हो गई और उसने दम तोड़ दिया.जब टीचर ने बच्चों से सवाल किया कि बच्चों बताओ मेंढक को किसने मारा?बच्चे चिल्लाने लगे सर आपने!! तब टीचर ने समझाया कि नहीं इसे मैंने नहीं मारा.यह चाहता तो हल्का पानी गर्म हुआ था तभी बर्तन से बाहर कूद कर अपनी जान बचा सकता था.लेकिन नहीं,यह तो एडजस्ट करने में लगा रहा.
बस हम भी तो यही करने में लगे रहते हैं खुद से कंप्रोमाइज.हम यह नहीं सोचते कि अगर प्रॉब्लम आई है तो हम वो रास्ते ढूंढे जिससे यह सॉल्व हो सकती है. पर हम एडजस्ट करने में लगे रहते हैं न? दूसरों को ब्लेम करने में लगे रहेंगे या नेगेटिव सोचने में लगे रहेंगे या किसी और से चिढ़ जाएंगे कि तेरी वजह से आज मैं प्रॉब्लम में हूं.पर क्या सोचा है कि प्रॉब्लम से भागकर आप सलूशन से भी तो दूर ही जा रहे हैं. इसलिए यह सोचें कि क्या कोई ऐसी प्रॉब्लम है जो बिना सॉल्यूशन के बनी है.जो भी इस दुनिया में प्रॉब्लम है उसका सॉल्यूशन है बस हमें अपना पर्सपेक्टिव यानी दृष्टिकोण सही रखकर सही दिशा में काम करना है फिर क्यों नहीं होगी सॉल्व?आप खुद ही हैं जो अपनी क्षमता को बहुत सीमित इस्तेमाल कर रहे हैं वरना कुदरत ने हमारे दिमाग की प्रोग्रामिंग कुछ इस तरह की है कि हम इसका अनंत इस्तेमाल करें.
अच्छी सोच को दिमाग में रखना
दुनिया के वो दस्तावेज जिनमें सबसे अधिक झूठ लिखा रहता है एक लव लेटर और दूसरा लीव लेटर.लव लेटर में वह बातें लिखी होती है जो इंसान के बिलीफ पर आधारित होती हैं जिनमें रियलिटी की जगह सिर्फ 10% होती है जिसमें हो सकता है यह लिखा हुआ कि आप इस जॉब के लिए योग्य नहीं है लेकिन सबसे बड़ी सच्चाई तो वहां छुपी ही रहती है कि आप उससे भी अच्छी जॉब के तो योग्य हैं ही साथ ही चाहें तो किसी और को भी जॉब देने के योग्य है.याद रखें,कोई आपके लिए रुपए खर्च करेगा तो कोई समय खर्च करेगा,समय खर्च करने वाले इंसान को ज्यादा महत्व और सम्मान देना क्योंकि वह आपके पीछे अपने जीवन के वो पल खर्च कर रहा है जो उसे कभी वापस नहीं मिल सकते.
सही मायने में अगर देखा जाए तो गलतियां, विफलता,अपमान,निराशा और अस्वीकृति यह सभी उन्नति और विकास का ही एक हिस्सा हैं.इसलिए अगर आपका अपमान हो रहा है तो आप डरो मत.प्रॉब्लम आपसे बड़ी कभी नहीं हो सकती आप ही उसे बड़ा समझ लेते हो.कुदरत के नियम सभी के लिए बराबर हैं.
वह किसी से कोई पक्षपात नहीं करती और ना ही गलतियों के लिए किसी पर रहम करती है अगर हम इंसान की जिंदगी लगभग में देखें तो 5 साल का बच्चा खिलौने ढूंढता है,17 साल का इंसान गर्लफ्रेंड,23 साल का इंसान रोजगार,30 साल का इंसान समाज में जीने के लिए इज्जत और सम्मान,40 साल का इंसान स्वाभिमान और अपने बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा,50 साल का इंसान अपने लिए अच्छी हेल्थ ढूंढता है.तब जाकर 60 साल का इंसान अपनी पूरी जिंदगी की उपलब्धियों को,मुश्किलों को,धोखों को, सफलताओं को और असफलताओं को दूसरों को समझा पाता है.
यदि 17 साल के इंसान ने अपनी असली वैल्यू को समझकर खुद को जान लिया तो वह सारी जिंदगी खुश रह सकता है उसे कोई दुख नहीं होगा ना आज ना कल और ना जिंदगी के उस पल में जब आखरी सांस लेगा वह तो यही कहेगा कि मजा आ गया जीने में.अगर रास्ता खूबसूरत है तो पता कीजिए किस मंजिल की तरफ जाता है लेकिन अगर मंजिल खूबसूरत है तो कभी रास्ते की परवाह ही मत कीजिए. मेहनत का फल और समस्या का हल देरी से मिलता है लेकिन मिलता जरूर है.इंसान कितना भी गोरा क्यों ना हो लेकिन उसकी परछाई हमेशा काली होती है लेकिन भैंस काली होते हुए भी सफेद दूध देती है. मैं श्रेष्ठ हूं यह आत्मविश्वास है लेकिन सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूं यह अहंकार है.इच्छा पूरी नहीं होती तो क्रोध बढ़ता है और इच्छा पूरी होती है तो लोभ बढ़ता है इसलिए जीवन की हर स्थिति में धैर्य बनाए रखना ही श्रेष्ठता है. कभी आपने गौर किया हो तो देखना चलने वाले पैरों में कितना फर्क होता है एक आगे की तरफ तो दूसरा पीछे की तरफ लेकिन ना आगे वाले को अभिमान होता है और ना ही पीछे वाले का अपमान होता है क्योंकि उन्हें पता होता है कि कुछ समय में स्थिति बदलने वाली है आगे वाला पीछे होगा और पीछे वाला आगे होगा,इसी को जीवन कहते हैं अगर आज बुरा वक्त है तो अच्छा वक्त भी आएगा,अगर रात है तो सुबह भी आएगी.घर के बाहर खड़े हुए किसी पेड़ से सीखना.दिन में वह हमेशा ऑक्सीजन देता है और रात में कार्बन डाइऑक्साइड.चाहे कितना पॉल्युशन क्यों न हो लेकिन वह दिन में ऑक्सीजन ही देगा यह कुदरत हमें क्या सिखा रही है यही तो सिखा रही है कि अपना गुण मत छोड़ो.यदि आप मुस्कुराने वाले हो तो हमेशा मुस्कुराओ चाहे कैसी भी परिस्थिति हो मुश्किलें कितनी भी बड़ी हों लेकिन आपसे हमेशा छोटी ही रहेंगीं.
हर परिस्थिति में एक उम्मीद होती है
शक करने से बेहतर है विश्वास रखकर रिश्तों को समझा जाना क्योंकि कोई कितना भी छुपा ले परछाई दिख ही जाती है.बहुत से रिश्ते इसलिए खत्म हो जाते हैं क्योंकि एक सही बोल नहीं पाता और दूसरा सही समझ नहीं पाता.जो सफर की शुरुआत करते हैं वह मंजिल भी पा लेते हैं बस एक बार चलने का हौसला रखना जरूरी है.भाग्य के दरवाजे पर सर पीटने से अच्छा है कर्मो का तूफ़ान पैदा किया जाए सारे दरवाजे खुलते नजर आएंगे.परिस्थितियां जब विपरीत होती हैं तब प्रभाव और पैसा नहीं;स्वभाव, हौसला और व्यवहार काम आते हैं.गलतफहमियों के सिलसिले इतने दिलचस्प हैं कि हर ईट सोचती है कि दीवार मुझ पर ही टिकी है,पर हकीकत तो नींव ही जानती है कि पूरा घर किस पर टिका है?मशहूर होना मुश्किल नहीं दिल में बसना मुश्किल है मशहूर तो परिस्थितियों के हिसाब से बदनाम भी हो सकता है पर दिल में बसा हुआ इंसान ना होकर भी सबको याद रहता है.किस्मत आपके हाथ में नहीं होती है पर निर्णय आपके हाथ में होता है किस्मत आपका निर्णय नहीं बदल सकती पर आपका निर्णय आपकी किस्मत जरूर बदल सकता है.
अच्छे पलों में हमें कभी कीमती चीज की कदर नहीं होती,बुरे पलों में हमें वह सब याद रहता है जिसने हमें सहारा दिया या धोखा दिया.जब जिंदगी में चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा हो,कुछ भी नजर ना आए तब किसी एक छोटे से छोर को पकड़ना और चलते रहना क्योंकि कमरे में एक छोटी सी एल ई डी लाइट साफ नजर आती है पर वही एलईडी लाइट जब शादी समारोह में हजारों एलईडी लाइट्स के बीच में चल रही होती है तो नजर नहीं आती.इसका मतलब यह है कि परेशानियों से डरो मत उनका सामना करो और याद रखना अंधेरे में छोर के रूप में कहीं ना कहीं एक एलईडी लाइट अवश्य जल रही होती है.हम मुसीबतों के बारे में नेगेटिव सोच-सोच कर उन्हें और बड़ा बना रहे होते हैं अगर हम यह सोच लें कि आओ तुम्हें देख ही लेते हैं.हम उन्हें किस नजरिए से ले रहे हैं इससे फर्क पड़ता है आप एक-एक करके पकड़ोगे तो सारी निपट जाएंगी.और यदि ये सोचेंगे कि मेरी किस्मत खराब है,दिन खराब है तो फिर वह आप पर हावी होने लगेंगी.इसलिए अपना पर्सपेक्टिव हमेशा सही रखो यकीन रखो आप उनसे अच्छे हो जो पहले से ही अंदाजा लगा कर बैठ जाते हैं कि किसी से सॉल्व हुई नहीं तो मुझसे कैसे होगी?
यह जो फेल होने का डर है,यही तो बार-बार लोगों को डिफरेंटशिएट करता है ताकि हर कोई ना करें.इस हार का डर निकाल दो जिन्होंने ऐसा किया वह डरे नहीं थे.दिमाग को एकदम शांत रखकर सोचें न कि हड़बड़ा कर या डर कर. ज्यादा सीरियस होने की जरूरत नहीं है जो सीरियस थे वह क्या कर लिए?बिल्कुल लाइटली सोचे जैसे कि आपका स्मार्टफोन.भले ही इसकी इंटरनल इंजीनियरिंग समझना कॉम्प्लिकेट हो लेकिन कितना आसान है इसे उंगलियों से इस्तेमाल करना.बस यही आपके अंदर भी है कुदरत ने हमारी प्रोग्रामिंग इतनी बेहतरीन करके दी है कि दिल कभी शिकायत नहीं करेगा कि अभी मैं नहीं धड़कूँगा,दिमाग कभी यह नहीं कहेगा कि मैं अभी बंद हूं,चाहे जाग रहे हो या सो रहे हो चलता ही रहेगा.अब यह हम पर ही डिपेंड करता है कि हम इसका किस तरह से प्रयोग कर रहे हैं?जिस दिन हम यह समझ जाएंगे कि सामने वाला गलत नहीं है सिर्फ उसकी सोच हमसे अलग है उस दिन जीवन से दुःख ही समाप्त हो जाएंगे.हमेशा शांत रहें, जीवन में खुद को बहुत मजबूत पाएंगे क्योंकि लोहा ठंडे होने पर ही मजबूत होता है गर्म होने पर उसे किसी भी आकार में ढाल दिया जाता है. इसलिए गुस्सा,परेशान और डरे हुए रहेंगे तो कोई भी आपको अपनी जरूरत बनाकर इस्तेमाल कर देगा. अंग्रेजी अल्फाबेट में 26 लेटर और हिंदी वर्णमाला में 52 अक्षर ही होते हैं लेकिन इनसे हजारों लाखों किताबें और आर्टिकल लिख जाते हैं,ठीक वैसे ही कुदरत ने हमें भले साधारण सा बनाया हो लेकिन जो खुद को पहचान गए वह इतिहास लिख जाते हैं.
सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ना
नफरतों में क्या रखा है मोहब्बत से जीना सीखो क्योंकि यह दुनिया ना तो हमारा घर है और ना ही यह हमारा ठिकाना है.याद रखना चाहिए कि दूसरा मौका सिर्फ कहानियां देती हैं जिंदगी नहीं.अपनी जिंदगी के किसी भी दिन को कोसना मत क्योंकि अच्छा दिन खुशियां लाता है और बुरा दिन अनुभव लाता है.अपने विकास के लिए अंतिम समय तक संघर्ष कीजिए क्योंकि यह जिंदगी भर संघर्ष करने से अच्छा है.अक्सर वही रिश्ते लाजवाब होते हैं जो एहसानों से नहीं एहसासों से बनते हैं.सफलता की पोशाक कभी तैयार नहीं मिलती इसे बनाने के लिए मेहनत का हुनर चाहिए.अच्छे और सच्चे रिश्ते ना तो खरीदे जा सकते हैं ना ही उधर लिए जा सकते हैं,इसलिए उन लोगों को जरूर इंपॉर्टेंस दें जो आप को महत्व देते हैं.
अच्छे लोगों की संगति से हमेशा भलाई ही होती है क्योंकि हवा जब फूलों से गुजरती है तो वह भी खुशबूदार हो जाती है.जिनके पास अपने हैं वे अपनों से झगड़ते हैं जिनका अपना कोई नहीं वह अपनों के लिए तरसते हैं,इसलिए यह न सोचें कि सामने वाला मेरी सोच जैसा हो जाए या मेरे कहने पर चले बल्कि यह सोचें कि कुदरत ने आपको एक उपहार दिया है जिसे रिश्ता कहते हैं.निखरती है मुसीबतों से ही शख्सियत यारों जो चट्टानों से ना उलझे वो झरना किस काम का. हमारी उपलब्धियों में दूसरों का भी योगदान होता है अब चाहे उन्होंने धोखा दिया हो या तेरे से नहीं होगा,तेरे से नहीं होगा करके उकसाया हो.समुंदर में भले ही पानी भरा हुआ हो लेकिन सच यही है कि कई सारी नदियां जब उसमें मिलती हैं तब वह समंदर बन जाता है. किसी के कहने से अगर किसी का अच्छा या बुरा होने लगता तो यह संसार या तो स्वर्ग बन जाता या पूरी तरह से नर्क बन जाता इसलिए यह ध्यान मत दीजिए कि कौन क्या कहता है वह कीजिए जो दिल कहता है.
दोस्ती में संवेदनशील बनना
दोस्ती शब्द एक ऐसा है जिसमें दो लोग एक होते हैं. अगर आप कहें कि मेरे 10 दोस्त हैं तो 10 में से आपको दो-दो करके गहरे दोस्त दिखेंगे और सभी मिलकर आपके दोस्त होंगे.यानि कोई एक ही है जो हर पल आपको यह अहसास कराता है या दिल में सिर्फ एक ही होता है इसका अर्थ यह है कि कोई भी रिश्ता जोड़े में ही सफल दिखता है और भीड़ में भी अलग पहचान रखता है.अक्सर सुना भी जाता है,उन दोनों की दोस्ती,उन दोनों का प्यार सबसे अच्छा है पर कहीं सुना है 50 लोगों की दोस्ती?लेकिन 50 लोगों की भीड़ अपने जरूर सुनी होगी.
दो बहुत पक्के दोस्त थे, कोई भी काम होता दोनों साथ-साथ ही करते. एक दिन दोनों जंगल में गए और रास्ता भटक गए,भूखे प्यासे एक पेड़ के नीचे पहुंचे वहाँ पर दोनों ने देखा कि पेड़ पर एक ही फल लगा हुआ है. पहले दोस्त ने पेड़ पर चढ़कर फल को तोड़ा और फल के टुकड़े किए और अपनी आदत के मुताबिक अपने दोस्त को दिया दोस्त ने टुकड़ा खाया और बोला बहुत स्वादिष्ट है भाई ऐसा फल कभी नहीं खाया एक टुकड़ा और दे भाई, दूसरा टुकड़ा भी उसे दे दिया फिर उसने एक और टुकड़ा मांग लिया,फिर जब उसने आखिरी टुकड़ा मांगा तो पहले दोस्त ने कहा कि यह सीमा से बाहर है आखिर मैं भी तो भूखा हूं ना भाई? तू मेरा दोस्त है पर इसे देखकर नहीं लगता कि तुझे मेरी भूख की परवाह है ये कहते हुए पहले दोस्त ने फल का टुकड़ा मुंह में रख लिया,मुंह में रखते ही उसने तुरंत थूक दिया क्योंकि वह कड़वा था और तुरंत चिल्लाया या तू पागल तो नहीं इतना कड़वा फल कैसे खा लिया? इस पर दूसरे दोस्त ने कहा जिन हाथों से बहुत मीठे फल खाने को मिले.एक कड़वे फल की शिकायत कैसे करूं मेरे दोस्त?हर बार तो तू मुझे अपना हिस्सा भी दे देता है ना.सब टुकड़े इसलिए लेता गया ताकि तुझे पता ना चले कि फल कड़वा था. अब आप समझ ही गए होंगे कि दोस्ती कैसी होनी चाहिए?
बदलाव प्रकृति के अनुसार होता है
किस्मत की एक आदत है कि पलटती जरूर है और जब पलटती है तो सब कुछ उलट-पलट कर रख देती है.जमाने में आए हो तो जीने का हुनर भी रखना इसलिए अच्छे दिनों में अहंकार मत करना और बुरे दिनों में सब्र रखना और चलते रहना.लगन और मेहनत की साख पर यह वक्त खड़ा होता है,मांगी हुई खुशियों से किसका भला होता है?न डर दुनिया से ऐ मेरे दोस्त,यहां किसी के चाहने से किसी का बुरा नहीं होता है,मिलता वही है जो हमने बोया होता है.
हर क्षण से जिंदगी चुराओं, जिंदा हो तो जिंदादिल रह कर दिखाओ.कुछ ज्यादा नहीं ले जाओगे इस दुनिया से मेरे दोस्त इसलिए हमेशा हंसो और सबको हंसाओ.
अगर सही ज्ञान साथ है तो हर मुश्किल मंजिल भी आपको पास लगने लगेगी और तब किस्मत को भी मजबूर होना पड़ेगा.इसलिए सही ज्ञान से बड़ी कोई विरासत नहीं.अच्छी बातें कुछ इस तरह होती हैं कि लोग उन्हें मजाक समझ कर हंस लेते हैं और जब सच में उन्हें समझ लेते हैं तो फिर उन पर एप्लाई नहीं होती क्योंकि तब समय निकल चुका होता है.जिंदगी किसी ने नहीं खरीदी इसलिए कभी कुछ ऐसा ना किया जाए जिससे किसी को दुःख पहुंचे बल्कि कुछ ऐसा किया जाए कि सभी को खुशियां मिलें.आप ने क्या कमाया इस पर कभी घमंड ना करना क्योंकि शतरंज की पारी खत्म होने के बाद राजा और मोहरे एक ही डिब्बे में रख दिए जाते हैं.जिंदगी में दो लोगों को हमेशा याद रखना एक वो जिसने आपकी जीत के लिए अपना सब कुछ हारा हो,दूसरा वो जिसे आपने हर मुश्किल में पुकारा हो.अंधेरे को प्रकाश काट सकता है मगर प्रकाश को अंधेरा नहीं काट सकता उसी प्रकार ज्ञान महान है उसको किसी के साथ होने या साथ छूटने की कोई परवाह नहीं.
जिसके पास ज्ञान का अमूल्य धन है वह जहां भी खड़ा होगा वहीं से सब शुरू होगा.जब आप सब कुछ गवा बैठो तब उससे प्राप्त शिक्षा को ना गवाएं. कोशिशें अक्सर कामयाब हो जाती हैं और वादे टूट जाते हैं अब आप इनमें से किसे चुनना चाहेंगे?वही लोग अक्सर दुनिया बदल जाते हैं जिन्हें दुनिया कुछ बदलने लायक नहीं समझती.अधिकांश लोग उस चीज़ के पास जाते हैं जो बाद में उनके लिए नुकसानदेह साबित होती है और उस चीज से दूर भागते हैं जो बाद में उनके लिए फायदेमंद साबित होती है.जब पौधा उगता है तब कोई आवाज़ नहीं होती जब पेड़ गिरता है तो भयंकर आवाज होती है इससे हम समझ सकते हैं कि निर्माण हमेशा शांत होता है और विध्वंस हमेशा शोरगुल भरा. अगर हिंदी में लिखें तो दो अक्षर का होता है लक. ढाई अक्षर का होता है भाग्य.तीन अक्षर का होता है नसीब. साडे तीन अक्षर का होता है किस्मत. पर यह चारों के चारों चार अक्षर की मेहनत से छोटे होते हैं.सीधे हाथों ने खींची हैं लकीरें टेढ़ी उन लकीरों पर चलने का हुनर होना चाहिए,क्या गिरेगा उन्हें यह वक्त का दरिया जो किनारों से उभरने का हुनर रखते हैं.शांति और संयम दोनों एक शक्तिशाली ऊर्जाएं हैं,शांति आपको बौद्धिक रूप से मजबूत बनाती है और संयम आपको आंतरिक रूप से स्ट्रांग बनाता है.
जो लोग सही मायने में सक्सेसफुल हो जाते हैं वह दूसरों की मदद करने का मौका ढूंढते हैं और जो सक्सेसफुल नहीं होते हैं वह हमेशा यही पूछते हैं इसमें मेरे लिए क्या है?इंसान ने कहा हे ईश्वर तू मेरी दुआ उसी वक्त क्यों नहीं सुनता? ईश्वर ने मुस्कुरा कर कहा,मैं तेरे गुनाहों की सजा भी तो उसी वक़्त नहीं देता.चिड़िया जब जीवित रहती है तब वह कीड़ों मकोड़ों को खाती है और चिड़िया जब मर जाती है तब कीड़े मकोड़े उसको खा जाते हैं इसलिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि समय और स्थिति कभी भी बदल सकते हैं इसलिए कभी किसी का अपमान नहीं करना चाहिए कभी किसी को कम मत आंको,कोई शक्तिशाली हो सकता है पर समय उससे भी शक्तिशाली है.एक पेड़ से लाखो माचिस की तीलियाँ बनाई जा सकती हैं पर एक माचिस की तीली से लाखों पेड़ भी जल सकते हैं.कोई चाहे कितना ही महान क्यों न हो जाए पर कुदरत कभी किसी से यह नहीं कहती कि तुम्हें महान बनना है.
सरल स्वभाव और अहंकार राहित जीवन
मत करना कभी भी गुरुर अपने आप पर इंसान ऊपर वाले ने तेरे और मेरे जैसे कितनों को मिट्टी से बना कर मिट्टी में मिला दिया.किसी ने क्या खूब कहा है,जीवन में हर जगह हम जीत जाते हैं सिर्फ फूल वाले की दुकान ही ऐसी है जहां हम कहते हैं कि हमें हार चाहिए.जो बातें आपको पता हैं वह जरूरी नहीं सबको पता और आपको पता थीं तो आपने सबको बताई क्यों नहीं.उनके लिए सवेरे नहीं होते जो जिंदगी में कुछ भी पाने की उम्मीद छोड़ चुके हैं उजाला तो उनका होता है जो बार-बार हारने के बाद कुछ पाने की उम्मीद रखते हैं.कौए ने मटके से पूछा तुम आग में तप कर बनाए जाते हो फिर भी इतनी गर्मी में अपने अंदर पानी को कैसे ठंडा रख पाते हो?कौए ने बहुत सुंदर उत्तर दिया,तू बस पानी पी ज्यादा साइंटिफिक मत बन.
अच्छा व्यवहार आपको सभी का प्रिय बना देता है कितने भी किसी से दूर हूं पर अच्छे स्वभाव के कारण आप किसी ना किसी पल यादों में तो आ ही जाते हैं.इसलिए अच्छा स्वभाव और दूसरों के लिए हमारा व्यवहार ही इंसान की अपनी कमाई हुई सबसे बड़ी दौलत है जो कहीं ना कहीं तो इकट्ठी होती ही है.प्रेम से बढ़कर त्याग है दौलत से बढ़कर मानवता है परंतु सुंदर रिश्तो से बढ़कर इस दुनिया में कुछ भी नहीं.जरूरी नहीं कि मिठाई खिलाकर ही आप दूसरों का मुंह मीठा करें आप मीठा बोल कर भी तो लोगों को खुशियां दे सकते हैं.कामयाबी कभी बड़ी नहीं होती पाने वाले हमेशा बड़े होते हैं दरार कभी बड़ी नहीं होती भरने वाले हमेशा बड़े होते हैं संबंध कभी बड़े नहीं होते निभाने वाले हमेशा बड़े होते हैं.
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