आपको खुशी की फीलिंग कब और कैसे आती है?

कुछ बुरा देख कर हम दुनिया को एक ही भाव तोल देते हैं.पर क्या कभी सोचा है कि यह दुनिया अगर चल रही है तो इसमें उन हजारों लाखों अच्छे लोगों का ही योगदान है. एक साइंटिस्ट जब आविष्कार करता है तब वह भी तो यह सोच सकता है कि इसमें मेरा क्या फायदा है? मैं सबके लिए क्यों ऐसा करूं वह अपने आविष्कार में अपने समाज,देश और पूरी दुनिया के लिए कुछ अच्छी सोच रखता है तभी तो वो ऐसा कर पाता है ना? यह कहानी है उस इंसान की जिसने जिंदगी भर बहुत दौलत कमाई और आज जब वह 62 साल का हो गया तो उसे बेचैनी हो रही थी उसने नींद की दवाई के लिए लाखों रुपए खर्च कर दिए डॉक्टर ने कह दिया जब तक वह अपनी मानसिक बेचैनी खुद खत्म कर खुश नहीं रहेंगे तबतक दवाइयां भी आपके लिए बेअसर ही हैं. लेकिन उसे बार-बार बेचैनी थी कि उसके बच्चे उसकी बात है नहीं मान रहे और उसकी कमाई हुई दौलत को यूं ही खराब किए जा रहे हैं यही अफसोस उसे बार-बार बेचैन कर रहा था रात के 12:30 बजे वह छत पर टहल रहा है उसे नींद नहीं आ रही है वह सोचता है कि चलो बाहर घूम आता हूं थोड़ा माइंड ही ठीक हो जाएगा, वह गाड़ी निकाल कर जैसे ही आगे जाता है उसे एक मंदिर नजर आता है उसका मन होता है चलो कुछ देर मंदिर में ही हो लेता हूं कुछ तो शांति मिलेगी वह मंदिर में अंदर चला जाता है और अंदर जाकर देखता है वहां पहले से एक आदमी बैठा हुआ रो रहा होता है,वो उस आदमी से रोने का कारण पूछता है.वह आदमी बताता है कि मेरी पत्नी हॉस्पिटल में है सुबह तक उसका ऑपरेशन होना है अगर पैसे नहीं हो पाए तो वह मर जाएगी यह सुनकर उस आदमी ने अपनी जेब से रुपए निकाल कर उसे दे दिए और कहा कि बाकी के मैं अभी आ कर देता हूं घर वापस जाकर उसे ऑपरेशन के सारे पैसे देकर घर आ जाता है और फिर छत पर जाकर सुकून का अनुभव करता है और उसे लगता है कि आज मैं चैन से सो सकता हूं.अगर कोई आपको याद नहीं कर पाता तो आप कर लीजिए रिश्ते निभाते वक्त मुकाबला नहीं किया जाता जब हम दूसरों का सम्मान करते हैं तब हमारा सम्मान खुद-ब-खुद होने लगता है जब हम अहंकार में आकर सिर्फ खुद को महान या सिर्फ अपनी चीजों को सर्वश्रेष्ठ बताने लगते हैं वह भी अपने नजरिए से,तो हम औरों की नजरों में भी गिरने लगते हैं तब दूसरों के दिल में भी हमारी कोई जगह नहीं बचती.अगर हम कहें कि हमारी चीज ही सबसे अच्छी है तो उसके प्रमाण के लिए भी तो हमें उसकी क्वालिटी को दुनिया के सामने रखना पड़ता है ना?हम कैसे डिसाइड कर दें कि हमारी चीज ही सबसे अच्छी है. कुछ तो पैरामीटर्स होते हैं जो उसको अच्छा साबित करें. हमारी चीज ही सर्वश्रेष्ठ है बाकी सब की खराब है तो हमें उसे सिद्ध करके दिखाने के लिए कुछ ना कुछ ऐसा करना ही होता है. मात्र कहने से कोई सर्वश्रेष्ठ नहीं हो जाता जैसे कि किसी के हृदय में हमारे लिए प्रेम कब उठता है?जब हम उससे बोलते हैं कि मेरा प्यार सबसे अच्छा है मेरे जैसा प्यार कोई कर ही नहीं सकता तब? या बिना बोले ही हम फिक्र करते हैं कि सामने वाला परेशान है हमें उसका साथ देना चाहिए.उसकी कद्र करना, सम्मान करना यही तो प्यार दर्शाता है न?क हमें कुछ दिखाने की जरूरत नहीं होती जो वाकई में अच्छा है उसे कुछ बताना नहीं पड़ता बस आजमाना पड़ता है,जिसे कहते हैं क्वालिटी टेस्टिंग. हम अपने लिए तो सब कुछ अच्छा मांगते हैं यदि हम दिन का एक पल भी किसी और के लिए कुछ अच्छा मांगे तो इससे बेहतर क्या है. दूसरों को इज्जत, सम्मान देने में किसी का कुछ खर्च नहीं होता यही तो इंसान खुद के लिए भी चाहता है न? सच कहूं तो सब कुछ भूल कर किसी को हमदर्दी और प्यार देकर देखें वह भले से ना बदले लेकिन वह कुछ सोचने पर तो मजबूर हो ही जाएगा.लोगों से पूछो कि तुम्हें उस पर भरोसा है तो पता है क्या जवाब देते हैं मुझे बस खुद पर भरोसा है यह छुपाकर भी ये बताते हैं कि उन्हें उस पर भरोसा है लेकिन वह इसलिए नहीं जताते कि सामने वाले को अपनी कमजोरी नहीं बताऊं.फिक्र ही काफी है इस एहसास को समझने के लिए.

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