जब हिम्मत हार जाएं तो ये याद रखना ll Inspirational thoughts by Kuldeep Singh
जब आपको सफलता मिल जाती है तो निंदा करने वालों की राय बदल जाती है.वैसे तो रिश्ते,दोस्ती और प्यार हर जगह पाए जाते हैं,लेकिन ये वहीं ठहरते हैं जहां इन्हें आदर,सम्मान मिलता है.खुशी तो एक फीलिंग है जो आपके अंदर से खुद ही आ जाती है,इसे कभी मार्केट में जाकर खरीदना नहीं पड़ता है और ना ही कभी पैसों पर निर्भर होती है,यह कह सकते हैं कि यह परिस्थितियों पर निर्भर होती है.एक बच्चा होता है जो गुब्बारे खरीदकर खुश होता है और वहीं दूसरा बच्चा उन्हें बेंचकर खुश होता है.ये बातें इंसान को हमेशा याद रखना चाहिए कि खुशी में तुरंत उत्तर नहीं देना चाहिए या तुरंत कोई वादा नहीं करना चाहिए.क्रोध और दुख में तुरंत निर्णय नहीं लेना चाहिए.अच्छी चीजें हमेशा मेहनत से मिलती हैं,जैसे कि नाम.नाम आपको खुद कमाना पड़ता है.वरना छोटी सी गलती पर बदनामी तो लोग आपको खुद ही कमा कर दे देते हैं.कभी-कभी हमें कुछ चीजें बहुत कंफ्यूज कर देती हैं,हम कभी-कभी देखते हैं कि हमारे अपनों से ही आपस में झगड़े होते रहते हैं जैसे दोस्तों से,गर्लफ्रेंड से,पत्नी से,अपने मां बाप से.असल में हम चीजों को क्लियर नहीं करते या तो हम उन्हें अपनी बात समझाने से कतराते हैं या वो हमारी बातों को ध्यान से नहीं समझते लेकिन हमें हमेशा अपनी बातों को एकदम क्लियर करना चाहिए. ज्यादातर लोगों के रिश्ते इसीलिए खराब होते हैं क्योंकि संदेह करके वो खुद सवाल पैदा करके उनके जवाब भी खुद ही निकाल लेते हैं.आपको लग रहा होगा कि यह साधारण सी बात है, लेकिन समझने-समझने का अंतर है.एक ही बात होती है और उसके अलग-अलग मीनिंग निकल आते हैं.जैसे जब बायोलॉजी का टीचर पढ़ाता है,सेल क्या होता है?तो उसे कहते हैं शरीर की कोशिकाएं.जब फिजिक्स का टीचर पढ़ाता है तो सेल का मतलब बदल जाता है,इसका मतलब हो जाता है बैटरी.और जब इकोनॉमिक्स का टीचर पढ़ाता है तो सेल का मतलब हो जाता है बिक्री.जब हिस्ट्री का टीचर पढ़ाता है तो सेल का मतलब हो जाता है जेल.अगर वहीं अंग्रेजी का टीचर पढ़ाता है तो सेल का मतलब हो जाता है मोबाइल यानी सेलफोन.तो मेरी इस बात का मतलब यह है कि इसी प्रकार हर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व के हिसाब से चीजों को समझ लेता है जब तक वो सही ढंग से उसकी पुष्टि न कर ले.इसलिए सही तथ्यात्मक जाँच किये बिना कभी भी अपने दिमाग से सवाल ना बनाएं और बना भी लें तो उनके उत्तर अपने आप से न ढूंढ लें.जब भी एक इंसान अपने से उम्र या अनुभव में बड़े इंसान से बात करता हैं तो आपके बात करने का तरीका बताता है कि उसके अंदर क्या संस्कार हैं और जब वही इंसान अपने से उम्र में छोटे व्यक्ति से बात करता हैं तो बात करने का तरीका बताता है कि उसकी परवरिश कैसी है.हमेशा अपने शब्दों में ताकत डालें आवाज में नहीं,क्योंकि बारिश से फूल उगते हैं बाढ़ से नहीं.हम सब हर बार यही ढूंढने की कोशिश करते हैं कि भगवान,अल्लाह,जीसस,वाहेगुरु या जिनको भी आप मानते हैं वो हैं या नहीं.पर कितने ताज्जुब की बात है कि उन्होंने कभी किसी से ये सबूत नहीं मांगा कि मैं इंसान हूं या नहीं.इसमें कोई शक नहीं कि पाप करना बुरा है,लेकिन उससे भी बुरा होता है जब इंसान के अंदर पुण्य करके अहंकार आ जाता है.एक शहर में संयुक्त व्रधाश्रम और अनाथालय था.एक बेटा अपने बाप को उसी अनाथ आश्रम में छोड़ कर घर वापस आ रहा था,तभी उसकी पत्नी का उसे फोन आया और वो बोली,कि अपने पिता से ये भी कह देना कि अब उन्हें त्योहार पर भी घर आने की जरूरत नहीं है,वहीं शांति से रहें और हमें भी शांति से जीने दें. या नहीं अनाथ आश्रम में छोड़ कर वापस जा रहा होता है उसकी बीवी फोन करती है कहती है कि अपने बाप को यह भी कह दो कि त्योहार पर भी घर आने की जरूरत नहीं है,वहीं शांति से रहें और हमें भी रहने दें.फ़ोन काटकर बेटा वापस अनाथाश्रम की तरफ मुड़ा,और अंदर जाकर देखा कि उसका पिता अनाथ आश्रम के मैनेजर के साथ बहुत ही खुश और मस्त अंदाज में मैनेजर से बातें कर रहा है और इस तरीके से बैठे थे जैसे कि एक-दूसरे को बरसों से जानते हैं.तभी उसने मैनेजर से पूछा कि आप मेरे पिता को किस तरह से और कब से जानते हैं?मैनेजर ने कहा,जब ये इसी अनाथालय मैं एक बच्चे को गोद लेने आए थे.वह बेटा इस बात को सुनकर बड़ा हैरान हो गया कि मैं कितना बड़ा नालायक बेटा हूं, क्योंकि मेरे बाप ने कभी मुझे गोद लिया था और आज मैंने उसी को अनाथालय में भेज दिया,उसने तुरंत अपने पिता को सीने से लगाया और फूट-फूटकर रोने लगा.पिता ने बेटे के सर पर हाथ फेरा और बेटे ने पिता का हाथ थामकर घर की ओर प्रस्थान किया.मैंने देखा कि कभी-कभी लोग बातें करते हैं और आपस में छोटी-छोटी सी बातों पर एक दूसरे को गाली देने लगते हैं, लड़ने लगते हैं.आप कहीं बाहर जाओगे तो कई जगह जैसे बस में जाओगे और गर्मी पड़ रही हो तो लोग छोटी सी छोटी बात पर या सीट के पीछे बुरी तरह से झगड़ने लगते हैं या फिर आप सब्जी लेने जाओगे तो लोग एक-दो रुपये के पीछे लड़ाई करने लगते हैं.फिर असल में इस जिंदगी का मतलब क्या होता है?इससे अच्छे तो जानवर होते हैं,कम से कम पेट भर जाने के बाद शांत तो बैठते हैं.हम इंसान तो पेट भर जाने के बाद उत्पात मचाने लगते हैं.जो दूसरों को इज्जत देता है असल में वह खुद इज्जतदार होता है,क्योंकि इंसान दूसरों को वही दे पाता है जो उसके पास होता है.इंसान सोचता है कि मुझे ज्यादा से ज्यादा लोग जानें, मेरे पास जानने वालों की भीड़ खड़ी हो जाए.मैं नेता बन जाऊं, मैं बन एक्टर बन जाऊं,मैं ये बन जाऊं, मैं वो बन जाऊं! इंसान की जिंदगी इसी में चली जाती है और अंत में उसको यही समझ में आता है कि उसे तो इतने ही रिश्ते बनाने चाहिए जितनों को वो दिल से निभा सकता था. क्योंकि अक्सर लोग बेहतर की तलाश में बेहतरीन खो देते हैं.उन्हें लगता है कि भीड़ इकट्ठी कर लूं,लेकिन होता क्या है असल में वही काम आता है जिस इंसान को उसने कभी दिल से चाहा,इज़्ज़त या सम्मान दिया.या फिर बिना स्वार्थ उसकी मदद की होगी.ये कर्मफल है लौटकर आता है तुरंत न सही पर एक न एक दिन आता है.रिश्ते और विश्वास दोनों आपस में दोस्त होते हैं रिश्ते हो ना हो पर विश्वास जरूर होना चाहिए.जहां विश्वास होता है वहां रिश्ते अपने आप ही बनने लगते हैं.सबसे कठिन काम होता है सबको खुश रखना और सबसे आसान काम है सबसे खुश रहना.तो कम से कम आप इतना तो कर ही सकते हैं ना?जब भी आपने देखा होगा कभी अच्छे इंसान की अच्छाइयों को बोलने वाले कम लोग होंगे,इसे हम ऐसे कह सकते हैं किबइंसान की जब अच्छाई की बातें हो तो ज्यादातर लोग खामोश रहते हैं और अगर चर्चा उसकी बुराई पर हो तो गूंगे भी बोलने लगते हैं.यह जिंदगी एक बांसुरी की तरह है जिसमें मुसीबत रूपी छेद होते हैं,देखा होगा आपने बाँसुरी(फ्लूट) में कई सारे छेद होते हैं,लेकिन जिसको भी उसे बजाना आ गया उसे जीवन जीना आ गया.संबंध और पानी एक जैसे होते हैं,ना कोई रंग,ना कोई ना कोई खुशबू.लेकिन जिंदगी के अस्तित्व के लिए ये सबसे ज्यादा जरूरी हैं.इंसान की जिंदगी में एक समय ऐसा आता है जब सभी चीजें उसके विरोध में होती हैं.हर तरफ से निराशा मिल रही होती है चाहे आप कोई भी काम करो सब गलत हो रहे होते और वह इंसान जिस रास्ते पर खड़ा होता है,सब कुछ गलत हो रहा होता है.परंतु एक बात ध्यान देने योग्य है कि ऐसी परिस्थिति में समस्या को हल करने की तुलना में अधिकतर लोग ज्यादा समय और ताकत उससे जूझने में लगा देते हैं.लेकिन सही मामले में विफलता सफलता से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है.आप पूरा इतिहास उठाकर देख लीजिए जितने भी बिजनेसमैन,साइंटिस्ट और महापुरुष हुए हैं ना?वह सभी जीवन में सफल बनने से पहले कई बार विफल हुए थे.जब हम कोई काम करते हैं तो इसकी कोई गारंटी नहीं होती कि वह सफल होगा या नहीं होगा,लेकिन इस वजह से अगर हम काम करना ही छोड़ दें या प्रयास करना ही छोड़ दें,तो यह जरूर है कि वह सफल नहीं होगा.हेनरी फोर्ड जो फोर्ड कंपनी के संस्थापक थे,सफल बनने से पहले वह अन्य पांच बिजनेस में फेल हो गए थे.कोई और होता तो पांच अलग-अलग बिजनेस करके और फेल होकर इतने कर्ज में डूब जाता कि उसके सारे आगे बढ़ने की उम्मीद है वैसे ही टूट जाती.लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और आज फोर्ड कंपनी की ख्याति से आप अच्छे से वाकिफ हैं.असफलता की बात करें तो थॉमस अल्वा एडिसन का नाम सबसे पहले आता है.लाइट बल्ब बनाने में उन्होंने लगभग 1000 विफल प्रयोग किये थे.एल्बर्ट आइंस्टीन,जो 4 साल की उम्र तक तो सही से बोलना भी नहीं जानते थे,स्कूल ने मंदबुद्धि समझकर उन्हें निकाल दिया था.लेकिन अपनी थ्योरीज और सिद्धांतों के बल पर वह दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिक बने.असफलता ही इंसान को सफलता का मार्ग दिखा जाती है.कहा भी गया है कि जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हारने वाले कभी जीत नहीं पाते.और हारकर लोग बस परिस्थितियों को कोसते हैं. से ही खूबी असफलता ही इंसान को सफलता का मार्ग दिखाती है किसी ने कहा भी है जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं पाते.आज ज्यादातर लोग अपने भाग्य और परिस्थितियों को कोसते हैं.अब जरा सोचिए कि अगर एडिशन भी खुद को असफल समझ कर प्रयास करना छोड़ देते तो दुनिया एक बहुत बड़े आविष्कार से वंचित रह जाती.हो सकता है आइन्स्टीन भी अपने भाग्य और परिस्थितियों को कोसते,लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.तो आप ऐसा क्यों करते हैं.अगर किसी काम में असफल हो भी रहे हैं तो क्या हुआ ये अंत तो नहीं है ना? फिर से कोशिश करें,फेल होने के कारणों को खोजें क्योंकि सही दिशा में कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है,अंत तक उन्हें सफलता जरूर मिलती है.दोस्तों,असफलता असफलता नहीं होती वह सफलता की ही सीढ़ी होती है जिससे हमें कभी घबराना नहीं चाहिए बल्कि पूरे जोश के साथ फिर से प्रयास करना चाहिए.एक आदमी रास्ते से गुजर रहा था उसने देखा कि एक हाथी लकड़ी के एक छोटे खूँटे से बंधा है.उस इंसान को ये देख कर बड़ी हैरानी हुई कि इतना विशाल हाथी एक पतली सी रस्सी के सहारे उस लकड़ी के खूँटे से कैसे बंधा है?यह देखकर उस आदमी को आश्चर्य भी हुआ और हंसी भी आई.उस आदमी ने हाथी के मालिक से पूछा,अरे यह हाथी इतना विशाल है फिर भी इतनी पतली सी रस्सी और खूंटी से क्यों बंधा है?यह चाहे तो एक झटके में इसे तोड़ सकता है लेकिन फिर भी यह बंधा क्यों है?हाथी के मालिक ने कहा,जब यह छोटा था तब मैंने उसी समय इसे रस्सी से बांधा था उस समय इसने उसे तोड़ने की पूरी कोशिश की,लेकिन यह छोटा था इसलिए नाकाम रहा.इसने हजारों कोशिशें की लेकिन जब इससे यह रस्सी नहीं टूटे तो इसे यह लगने लगा कि रस्सी बहुत मजबूत है.और इसे यह लगा कि वो इसे कभी नहीं तोड़ सकता.इस तरह समय के साथ ही इसने रस्सी को तोड़ने की कोशिश ही खत्म कर दी.आज ये हाथी इतना विशाल हो चुका है लेकिन इसके मन में आज भी यही विश्वास बना हुआ है कि यह रस्सी को नहीं तोड़ पाएगा. इसलिए इसने रस्सी को तोड़ने की कोशिश भी नहीं की. यही वजह है कि इतना विशाल हाथी होकर भी यह एक पतली सी रस्सी नहीं तोड़ सकता.
दोस्तों,उस हाथी की तरह ही हम इंसानों के भी कई ऐसे विश्वास बन जाते हैं जिनसे हम कभी पार नहीं पा-पाते. एक बार असफल होने के बाद हम यह मान लेते हैं कि अब हम सफल नहीं हो सकते और फिर हम कभी आगे बढ़ने की कोशिश ही नहीं करते और छोटे विश्वासों में बंधकर हाथी जैसी जिंदगी गुजार देते हैं.दोस्तों मैं नहीं समझता कि कोई भी इंसान कमजोर होता है अगर वह कमजोर होता है तो सिर्फ दिमागी तौर पर अपने मन से या अपने विश्वास से.और अगर कोई इंसान ठान लेता है और पूरी इमानदारी से उस काम को करने लगता है तो इस दुनिया में कोई भी ऐसी चीज़ नहीं है जो उसे सफल होने से रोक सके.दोस्तों,कभी भी अपने आप को कमजोर न समझें,आप हमेशा जीतने वाले हैं.अपने आप पर और अपने काम पर पूरा भरोसा रखें.हो सकता है आज की परिस्थितियां विपरीत हों,लेकिन आप को जारी रखना है तब तक जारी रखना है जब तक कि आप अपना लक्ष्य पा नहीं लेते.
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Kabhi kabhi me Bahut tot jata ho pr phir uth jata tha phir tot jata tha phir uth khada hota tha pr himmat tot gayi ab mai khatam ho gaya ho ab kuch nahi raha gaya h kya karo kaise apne ander motivation banaye rakho ab to sandeep maaheshwari ya aur koi motivation kam nahi ata me krishna ji ka bhakt tha pr ab vo bhakti se bhi kuch nahi ho kya karo koi bhi meri help nahi kr raha h please koi meri help karo
जवाब देंहटाएंMera contact number 8787292954
Bhai Krishna k bhakt ho to Krishna ki hi suno.. Unse achha motivation koi ni dega... Bhagvad Gita read kro.. 🙏
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