जब मन अशांत हो तो ये याद रखना,:Motivational thoughts by Kuldeep Singh

कोई भी इंसान जीवन में तरक्की नहीं कर सकता जब तक उसका खुद पर कंट्रोल न हो,जबतक आपको कोई दूसरा कंट्रोल कर रहा है आप बढ़ ही नहीं सकते,कोई काम हो अगर आप दूसरे के भरोसे छोड़ देते हैं तो समझ कर चलना कि वो साधारण ही रहेगा,वो असाधारण तबतक नहीं बन सकता जब तक आप खुदके काम को जिम्मेदारी के साथ नहीं करते.अगर आप जिंदगी में कुछ भी बड़ा करने का जुनून रखते हैं और समय की कीमत को समझते हैं,तो उन रिश्तो को तुरंत खत्म कर दें जिन्हें आप निभा नहीं सकते.जबरदस्ती ढो रहे रिश्ते सदैव आपको कष्ट ही पहुचायेंगे.क्योंकि हर व्यक्ति दुनिया मे सीमित समय लेकर आया है,और वेवजह के रिश्ते हमेशा आपका और अपना समय खराब करते हें.अगर किसी ने आपका दिल दुखा दिया है तो ज्यादा गहराई से न सोचें कि उसे तो मैं मज़ा चखाकर ही रहूंगा,ऊंचाई पर वो लोग पहुचते हैं,जो 'बदला'लेने की नही ''बदलाव'' लाने की सोच रखते हैं.
A को मैंने एक काम दिया,A को मैंने कहा कि लो ये रुपये और काम कर लेना अपने हिसाब से,तो A को लगा कि यार ये इंसान तो मुझपर बहुत भरोसा करता है,अब A के पास 2 ऑप्शन हैं या तो वो इस भरोसे को कायम रखे और जिंदगी भर एक बेहतर रिश्ते के साथ रहे दूसरा ये कि वो रुपये लेकर नो-दो-ग्यारह हो जाये।
दूसरे केस में उसने सिर्फ कुछ चंद रुपयों का फायदा कर लिया लेकिन जीवन भर का रिलेशन तोड़ लिया.अब मुझे क्या मिला?मुझे सीख मिली,इस केस में मैं भी सतर्क हो जाऊंगा और बिना जांचे परखे किसी पर भरोसा नहीं करूंगा यानी अगली बार मैं चुनाव सही इंसान का करूँगा और जो धोखा दे गया वो 4-6 लोगों को और ठगेगा और अंत में सब जान जाएंगे कि वो आदमी भरोसे लायक नहीं है.रिश्ता बहुत गहरा हो या न हो लेकिन भरोसा बहुत गहरा होना चाहिये.दुनिया में अगर भरोसे का दूसरा अल्टरनेट है तो वो है आजमाइस,जब आप आजमाइस कर लेते हैं तो आप बेहतर तरीके से पता कर पाते हैं कि आपका भरोसा सही चीज़ पर था या नहीं,दूसरा आप हर चीज़ की आजमाइस करेंगे तो जिंदगी छोटी पड़ जाएगी तो वेल न गुड ये है कि खुदके एक्सपीरियंस और दूसरों के एक्सपीरियंस से सीखें,न कि ठोकर खा खाकर.
उदाहरण के तौर पर सूर्य के बारे में आपका क्या एक्सपीरियंस है?आप अच्छी तरह से जानते हैं कि ये पूर्व से उगेगा और पश्चिम मैं ढलेगा,क्या उल्टा होने की उम्मीद करते हैं?नहीं न.क्योंकि आप बचपन से अब तक तो इसे ऐसा ही देखते आये हैं तो आप उम्मीद कर सकते हैं कि कल परसों या आगे भी ये पूर्व से ही निकलेगा.बस ये आपका एक्सपीरियंस कहता है जिसमे आप पक्के हो.अगर कोई आपसे ये बोल दे यार मैंने सूर्य को पश्चिम से निकलते हुए देखा तो क्या आप उसकी बात मान लेंगे?नहीं मानेंगे क्योंकि आप अपने एक्सपीरियंस मैं 100 प्रतिशत पक्के हैं.तो जिन चीजों में आपको डाउट है या पक्के नहीं उनको आप क्यों चुनो?ये खुदसे सवाल करो.
किसी भी रिश्ते में शिकायत करने से पहले ये सोचना कि उस रिश्ते को बनने का आधार स्वार्थ था या बिना स्वार्थ।अगर रिश्ता स्वार्थ की बुनियाद से बना था तो जीवन भर कुछ न कुछ मागने की ही हसरत करेगा देगा कुछ नहीं,अगर बिना स्वार्थ के बना था तो मागेगा कुछ नहीं और आपके लिए उन चीजों को जमा करने पर ध्यान देगा जिन्हें पैसों से खरीदा नहीं जा सकता यानी समय,खुशी,प्यार;ये चीजें आपको वही दे सकता है जिसने आपको खुदसे पहले रखा हो.क्या बेचकर हम खरीदें फुर्सत ऐ जिंदगी?सब कुछ तो गिरवी पड़ा है जिम्मेदारी के बाजार में.कर्मों की आवाज़ शब्दों से भी ऊँची होती है.तब तक कमाओ जब तक महंगी चीज सस्ती ना लगने लगे,चाहे वो सामान हो या सम्मान.कुदरत की अदालत में वक़ालत बड़ी प्यारी है,ख़ामोश रहिये कर्म कीजिये,आपका मुकदमा ज़ारी है.मेहनत से उठा हूँ, मेहनत का दर्द जानता हूँ,आसमाँ से ज्यादा ज़मीं की कद्र जानता हूँ,लचीला पेड़ था जो झेल गया आँधियाँ,मैं मग़रूर दरख़्तों का हश्र जानता हूँ,छोटे से बड़ा बनना आसाँ नहीं होता,जिन्दगी में कितना ज़रुरी है सब्र जानता हूँ,मेहनत बढ़ी तो किस्मत भी बढ़ चली,छालों में छुपी लकीरों का असर जानता हूँ,कुछ पाया पर अपना कुछ नहीं माना,क्योंकि आख़िरी ठिकाना मेरा मिट्टी का घर जानता हूँ.किसी मनुष्य की बुराई को बताना अधिकतर लोगों की आदत होती है,
पर बुराई में अच्छाई ढूँढना ख़ास लोगों की पहचान होती है.समय की कीमत अखबार से पूछो जो सुबह चाय के साथ होता है वही रात को रद्दी हो जाता है.ज़िन्दगी मे जो भी हासिल करना हो.उसे वक्त पर हासिल करो क्योंकि ज़िन्दगी मौके कम और अफसोस ज्यादा देती है.भरोसा और आशीर्वाद​ कभी दिखाई नही देते लेकिन असम्भव को सम्भव​ बना देते हैं.
ये दबदबा, ये हुकूमत, ये नशा,ये दौलतें.ये सब किरायेदार है,ये सब घर बदलते रहते है.आज किसी के पास तो कल किसी के पास.मुस्कुराहट, अपनापन, स्वभाव और बोली ये सब अपने हैं,जो आपके पास हमेशा रहते हैं तो क्यों न इनका अच्छे से प्रयोग किया जाए.इनसे ही हम सब फलते फूलते है.प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा.विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी,साथ चाहिये तो समय खर्च करना होगा.रिश्ते तो बहुत महँगी चीज़ हैं जनाब,मुफ्त तो  हवा भी नहीं मिलती,एक साँस भी तब आती है,जब एक  साँस छोड़ी जाती है.क्षमा "उन फूलों के समान हैं जो कुचले जाने के बाद भी "खुशबू "देना बंद नहीं करते.शब्दों का भी अपना एक 'स्वाद' है,बोलने से पहले स्वयं 'चख' लीजिये.अगर खुद को अच्छे नहीं लगेंगे तो,दूसरों को कैसे अच्छे लगेंगे.

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