मालिक सब देख रहा है: An inspirational story with inspiring thoughts
एक था चोर और एक था उसका बेटा। एक दिन चोर खेत काटने के लिए गया और अपने बेटे को वहाँ खड़ा कर दिया टीले पर। और बोला,बेटा! देखना कहीं ऐसा न हो कि खेत का मालिक आ जाए,खेत का मालिक आ गया तो हमको पकड़ लेगा.पता लगाते रहना,देखते रहना।अगर खेत का मालिक दिखे तो चिल्ला पड़ना,फिर हम यहाँ से भाग खड़े होंगे.बस बेटा थोड़ी देर तो खड़ा रहा,फिर एक बार चिल्लाया—पिताजी! भागिए! पिताजी! भागिए!! मालिक हमें देख रहा है,वो यहीं है.इतना सुनते ही चोर और उसका बेटा भाग खड़े हुए.भागने के पश्चात् जब थोड़ा थक गए और जब कुछ दूर चले गए, तब चोर ने अपने बेटे से पूछा,बेटा! कहाँ था वह मालिक। उसने कहा—मालिक?वो तो सारी दुनिया का मालिक है जिसकी हजार आँखें हैं, उससे हम छिप नहीं सकते.वह तो छिपे हुए की भी तलाश करता रहता है, जानकारी की भी तलाश करता रहता है। घर-घर में उसकी आँखें काम करती हैं। उससे हम बच के कहीं छिप नहीं सकते थे, इसलिए मैं चिल्लाया.बेटे से ये शब्द सुनकर चोर को उसकी बुद्धि पर थोड़ा आश्चर्य हुआ फिर अंदर ही अंदर उसे अपने सारे कर्मों का पश्चाताप हुआ और उसने अपने बेटे को गले लगाया और निश्चय किया कि वो आजसे जो भी करेगा अपने सम्मान के साथ करेगा,मेहनत करेगा और अपनी मेहनत से जो मिलेगा उसे खुशी से स्वीकार करेगा जिस से वो आत्मसमान से जियेगा न कि एक चोर के नाम से.दोस्तो जीवन में धन कमाना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि बिना धन के कोई काम कर पाना थोड़ा मुश्किल है लेकिन यदि धन सम्मान के कार्यों से आये तो जीवन जीने का अलग ही आनंद है.मैंने बहुत से ऐसे लोग देखे हैं जो रोज़ मजदूरी करते हैं,एक दिन मैंने यूँ ही एक मजदूर भाई से पूछ लिया कि आप अमीर नहीं बनना चाहते क्या?उसने हंसकर कहा,नहीं हम खुश हैं.मेरे घर में मेरी बीबी है बच्चे हैं हमारा एक छोटा सा खेत भी है हम उसमें फसल उगाते हैं.हाँ मेहनत जरूर लगती है लेकिन मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि दुनिया के हर काम में मेहनत ही लगती है.पर एक बात जो आप नहीं जानते वो ये कि जिन घरों में मैंने मजदूरी की वो अमीर थे लेकिन सुखी नहीं थे,किसी को किसी न किसी तरह की बीमारी थी,हम मीठा खा सकते हैं लेकिन हम खरीद नहीं सकते वो मीठा खरीद सकते हैं लेकिन खा नहीं सकते,फिर तो मालिक ने हमें ही उनसे बेहतर बनाया है क्योंकि हम कभी न कभी तो खरीदकर खा ही सकते हैं लेकिन उन्हें उनकी बीमारियां कभी कुछ खाने नहीं देंगी.इच्छाओं का भी अपना चरित्र होता है,खुद के मन की हो तो बहुत अच्छी लगती है,दूसरों के मन की हो तो बहुत खटकती है.धनवान बनने के लिए एक-एक कण का संग्रह करना पडता है औऱ गुणवान बनने के लिए एक-एक क्षण का सदुपयोग करना पडता है.जहाँ सूर्य की किरण हो वहां प्रकाश होता है,जहाँ मां बाप का सम्मान हो,वही प्रतिष्ठा का द्वार होता है,जहाँ प्रेम की भाषा हो वही परिवार होता है.दो पल के गुस्से से प्यार भरा रिश्ता बिखर जाता हैं,होश जब आता हैं तो वक्त निकल जाता है.दूसरों को मिटाने की धुन में
आदमी ख़ुद को यूँ मिटाता है
जैसे चुभने की फ़िक्र में काँटा
शाख़ से ख़ुद ही टूट जाता है
परिवार के साथ धैर्य प्यार कहलाता है,औरों के साथ धैर्य सम्मान कहलाता है,स्वयं के साथ धैर्य आत्मविश्वास कहलाता है.इसलिए स्वयं के साथ धैर्य न केवल मानसिक दुखों को दूर रखता है वल्कि मन को भी शांति पंहुचाता है.दुख और तकलीफ कुदरत की वो प्रयोगशाला है जहां आपकी काबिलियत,आत्मविश्वास और धैर्य को परखा जाता है,जो इस परख में खरा उतरा वो इतिहास रच जाता है और जो नहीं उतरा वो शिकायतें ही करते रह जाता है.इंसान वही श्रेष्ठ है जो बुरी स्थिति में फिसले नहीं एवं अच्छी स्थिति में उछले नही.आंखें कितनी भी छोटी क्यों न हों,ताक़त तो उनमें सारा आसमान देखने की है.
मित्रता में 2 नियम हमेशा याद रखना,दोस्त जब सुख में हो तो बिना आमंत्रण के मत जाना और दुख में हो तो आमंत्रण का इंतज़ार मत करना.
आदमी ख़ुद को यूँ मिटाता है
जैसे चुभने की फ़िक्र में काँटा
शाख़ से ख़ुद ही टूट जाता है
परिवार के साथ धैर्य प्यार कहलाता है,औरों के साथ धैर्य सम्मान कहलाता है,स्वयं के साथ धैर्य आत्मविश्वास कहलाता है.इसलिए स्वयं के साथ धैर्य न केवल मानसिक दुखों को दूर रखता है वल्कि मन को भी शांति पंहुचाता है.दुख और तकलीफ कुदरत की वो प्रयोगशाला है जहां आपकी काबिलियत,आत्मविश्वास और धैर्य को परखा जाता है,जो इस परख में खरा उतरा वो इतिहास रच जाता है और जो नहीं उतरा वो शिकायतें ही करते रह जाता है.इंसान वही श्रेष्ठ है जो बुरी स्थिति में फिसले नहीं एवं अच्छी स्थिति में उछले नही.आंखें कितनी भी छोटी क्यों न हों,ताक़त तो उनमें सारा आसमान देखने की है.
मित्रता में 2 नियम हमेशा याद रखना,दोस्त जब सुख में हो तो बिना आमंत्रण के मत जाना और दुख में हो तो आमंत्रण का इंतज़ार मत करना.
Post a Comment