आप दिल की सुनते हैं या दिमाग की?

खुशियों के लिए हम जी रहे हैं, क्या कुछ ऐसा हो सकता है कि हम सदा खुश रहें? हां जरूर! लेकिन यहां दिमाग नहीं दिल की सुन ने की बात है. बहुत से लोगों के मन में ये सवाल आता होगा कि हम कैसे पता करें कि ये आवाज़ हमारे दिल की है या दिमाग की? हमारा दिमाग हमें वो झूठे सपने दिखाता है जो सच नहीं होते, याद करें जब आप कल्पना करते हैं किसी चीज़ की जो आपने देखी नहीं, और जब आप उसे देख लेते हैं तो क्या वो वेसी निकलती है, जैसी आपने कल्पना की होती है?शायद नहीं. लेकिन जब आप मायूस होते हैं, तो आपकी हार्ट बीट धीमी हो जाती है और जब गुस्सा करते हैं तो तेज़ हो जाती है, क्या दिल आपको कुछ गलत बताता है? नहीं, पर हम उसकी कभी नहीं सुनते. दिमाग हमेशा पैसे की या कीमती चीजों की और आकर्षित होता है लेकिन दिल हमेशा प्यार,भावनाओं की और आकर्षण पैदा करता है जिनकी असली जिंदगी में कोई कीमत नहीं, लेकिन हम इनके बगैर जीना भी नहीं चाहते.

हमारा दिल हमें बताता है कि ये दुनिया कभी हमारी नहीं है, बड़े से बड़े और छोटे से छोटे सब यहीं सिमट गए, कोई यहां से एक सुई के बराबर भी कुछ न ले जा सका. सभी लोग यह अच्छी तरह जानते हैं परंतु फिर भी हम अपनी खुशियों के लिये ही जीते हैं. जिस भी दिन हम दूसरों को खुशियां देना सीख गए, उस दिन हम सही मैं जीना सीख गए.हम जो कमाते हैं वो पैसा तो खर्च हो जाता है लेकिन हमारे कर्म जो हमने किये वो खर्च नहीं होते. एक मीटिंग में 40 लोगों का ग्रुप था, स्पीकर ने सबको 40 गुब्बारे दिए और सभी को अपने अपने गुब्बारे पर उनका नाम लिखने को कहा, अब स्पीकर ने सभी गुब्बारों को एक कमरे में रखवा दिया और पूरे ग्रुप से कहा आपके पास 5 मिनट हें जाओ और अपना-अपना बैलून लेकर आओ, ग्रुप का हर इंसान अपना बैलून खोजने में जुट गया, लेकिन 5 मिनट बाद हर कोई कमरे से खाली हाथ निकला, तब स्पीकर ने कहा अब सभी लोग फिरसे कमरे में जाओ और एक बैलून उठाना जिसपर किसी का भी नाम लिखा हो,उसे पुकारना. और इस तरह से जब सभी लोग कमरे से बाहर आये तो सबके हाथ में उनके खुदके नाम लिखा हुआ बैलून था.

बस यही तो हर इंसान करता है, अपनी खुशियों की तलाश. लेकिन अंत में बेरंग हो जाता है. अगर हम दिल से दूसरों की खुशियों के लिए जियें तो खुदमें एक अलग सुख की अनुभूति होती है. समय ही इंसान को कमजोर और शक्तिशाली बना देता है. आपके मन में कभी न कभी ये प्रश्न उठता होगा कि वो कौन सा समय है जो किसी काम को करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है? तो इसका उत्तर है कि जो आज आपको मौका मिला है उसे ही आखिरी समझकर अपना फैसला लेकर संबंधित कार्य कर देना चाहिए. फिर करेंगे, ये सोचकर जो लोग काम छोड़ देते हैं उनके लिए वो फिर कभी नही आता. जिंदगी मौका सिर्फ एक बार लाती है बाकी फिर हर चीज़ इतिहास ही बनकर रह जाती है. इसलिए कोई भी काम कल पर न टालें, आज ही सबसे खास है. इसलिए आज को ही महत्वपूर्ण समझें. आपने बहुत से लोगों को ये कहते सुना होगा कि काश मैं ऐसा कर लेता तो ये हो जाता. सबसे बड़ी बात डिसिशन लेने की है एक इंसान के पास जब मौके आते हैं तो साथ मैं उलझन भी होती है कि इस कार्य को करूं या न करूँ? क्या ये सही है? कहीं कुछ गलत न हो जाये. और लोगों से राय ले लूं क्या? और जब लोगों से राय ली तो और उलझन पैदा हो गई. सीधा और सरल सा जवाब है जब भी जिंदगी मौका दे तो चूकें नहीं, अपना डिसिशन लें और सकारात्मक सोच के साथ अपनी पूरी ऊर्जा लगा दें उस काम को बेहतर से बेहतरीन बनाने के लिए.

अगर किसी इंसान की आंखों पर पट्टी बांधकर उसे हम 500 मीटर ऊँचे स्थान पर बैठा दें और उसकी पट्टी खोलकर उसे नीचे देखने को कहें तो क्या होगा?वो घबरा जाएगा कि ये मैं कहाँ आ गया.लेकिन उसी 500 मीटर की ऊँचाई को वो खुद चढ़कर कवर करता है तो वो घबराएगा नहीं और खुदमें गर्व महसूस करेगा कि ये उसने स्वयं किया है.बस यही तो है सफलता.सफलता एक धीमा प्रोसेस है,जिसमे आपकी निष्ठा,संयम,मेहनत,बुद्धि,प्रयास और लगन की जरूरत होती है.इसलिए कभी घबराएं नहीं कि मैं ही क्यों असफल हो रहा हूँ,वल्कि विश्वास रखें कि जिंदगी की असफलताऐं वो सीढ़ियां हें जो एक दिन आपको सफलता तक ले जाती हैं.

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