यहाँ तो हर कोई सिकंदर है | Hindi Stories
हर इंसान अपनी जुबान के पीछे छुपा हुआ है, अगर उसे समझना है तो उसे बोलने दें. किसी को तभी तक पहचानना मुश्किल है जब तक वह चुप है. सिकंदर,अलेक्जेंडर द ग्रेट (July 356BC-June 323BC) को कौन नहीं जानता? ऐसा माना जाता है कि सिकंदर जब अपने देश मैसेडोनिया (Mecodonia) लौट रहा था तब वो घायल और बीमार था. कई महीनों तक बिस्तर पर पड़े रहने के बाद उसे एहसास हुआ कि वो विश्व पर विजय तो हासिल कर गया परंतु मृत्यु पर विजय नहीं पा सकता.
उसे ये महसूस हुआ कि उसकी जीती गयी रियासतें, उसकी विशाल सेना, उसका इकट्ठा किया गया धन, रत्न और उत्तम तलवारें उसके किसी काम की नहीं रहीं. आज उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे. उसने अपने सेनापतियों को अपने पास बुलाकर कहा कि में अब इस दुनिया से जाने वाला हूँ, लेकिन मेरी 3 इच्छाएँ हैं! क्या तुम मेरी 3 अंतिम इच्छाएँ बिना रुकावट के पूरी करोगे? सेनापतियों ने तुरंत उसकी तीनों अंतिम इच्छाएँ पूरी करने का वादा किया.
तब सिकंदर बोला कि मेरी पहली इच्छा है कि मेरा इलाज करने वाला वेध ही मेरे ताबूत को खींचकर मेरी कब्र तक ले जाएगा. दूसरी इच्छा ये है कि जब मेरे ताबूत को कब्र तक ले जाया जाए तब रास्ते में मेरे इकट्ठे किये हुए सोना-चाँदी, रत्न और बहुमूल्य पत्थर बिखेरे जाएं.
तीसरी और आखिरी इच्छा ये है कि मेरे ताबूत मैं से मेरे दोनों हाथ बाहर दिखाई देने चाहिए. आसपास खड़े लोगों को सिकंदर की ये आश्चर्यजनक इच्छाएँ सुनकर आश्चर्य हुआ लेकिन किसी की कुछ पूछने की हिम्मत नहीं हुई.
तभी सिकंदर के एक सेनापति ने सिकंदर का हाँथ चूमा और उसे अपने सीने से लगाकर कहा कि हे राजा, हम आपको ये विश्वास दिलाते हैं कि आपकी तीनों इच्छाएँ आपके कहे अनुसार पूरी की जाएंगी. लेकिन कृपया हमें ये बताएं कि इन आश्चर्यजनक इच्छाओं के पीछे क्या कारण है?
यह सुनकर सिकंदर ने एक गहरी सांस ली और कहा कि में दुनिया को तीन पाठ सिखाना चाहता हूं, जोकि में मृत्यु के करीब आकर अब सीख पाया हूँ. मैं वेध के जरिये अपना ताबूत इसलिए ले जाना चाह रहा हूँ क्योंकि लोगो को यह जानना चाहिए कि कोई वेध भी आपको मौत के चंगुल से बचा नहीं सकता, इसलिए ये जिंदगी उसकी दी हुई नहीं है.
दूसरा ये की में अपने रास्ते में सोना-चाँदी, हीरे जवाहरात और बेशकीमती पत्थर रास्ते में इसलिए चाहता हूं कि इन्हें इकट्ठा करने में मैंने अपना जीवन नष्ट कर दिया और में इन्हें अपने साथ जरा भी नहीं ले जा सकता.
तीसरा ये कि मैं अपने हाथ ताबूत से बाहर इसलिए रखना चाहता हूं कि लोग देखें और सीखें कि में खाली हाथ आया और खाली हाथ चला गया. और इस तरह सिकंदर की तीनों इच्छाएँ पूरी की गईं. फिर कई दिनों पश्चात, एक दिन सिकंदर की माँ ओलिम्पिआस (Olympias) रोती हुई कब्रगाह मैं गई, और पागलों की तरह इधर-उधर किसी को ढूंढ रही थी, कहाँ है मेरा बेटा सिकंदर, कहाँ है?
तभी पास की कब्र से एक व्यक्ति ने आकर सिकंदर की माँ से पूछा, आप किसे ढूँढ रही हो? वो तुरंत बोली, मैं विश्व-विजेता सिकंदर की माँ हूँ.
मेरा बेटा सिकंदर कहाँ है? तब मुस्कुराते हुए उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, यहाँ कोई सिकंदर नहीं या यूँ समझ लो कि यहाँ दफन हर माँ का बेटा कभी सिकंदर ही था.
जब एक इंसान कोई फ़ोन खरीदता है तो वो उसका मालिक हो जाता है, घर बनवाता है तो वो उसका मालिक हो जाता है, गाड़ी खरीदता है तो गाड़ी का मालिक हो जाता है और जब दुनिया छोड़ता है तो उन चीजों का मालिक कोई और हो जाता है. जब इंसान इन छोटी छोटी चीजों को खुदके मालिक के तौर पर देखता है तो ये इतनी बड़ी दुनिया इसका भी कोई मालिक होगा न?
किसी ने क्या खूब कहा है, "जिस पल एक इंसान की मृत्यु हो जाती है,उसी पल से उसकी पहचान एक बॉडी के रूप में हो जाती है. वे लोग भी उस इंसान को नाम से नहीं पुकारते, जिन्हे प्रभावित करने के लिये उसने अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर दी. ये लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें.
Post a Comment