स्वभाव के शांत रहने से क्या फायदा होता है?
क्या कभी आप सोचते हैं कि भला चुप रहने का क्या फायदा है? बोलना बुरा नहीं होता लेकिन क्या बोलना है और कब बोलना है यही तय कर देता है कि हमें वापस क्या मिलना है? यदि आप अपनी इच्छा से कुछ समय के लिए बोलना छोड़ दें, तो क्या हो सकता है?
जब आप शांत हो जाते हैं तो बाहरी दुनिया के शोर को भी अच्छे से मैनेज कर लेते हैं, चुप रहने से सिर्फ आपके अंदर उठने वाले प्रश्न मष्तिष्क में घूमेंगे, लेकिन उनका शोर आपको महसूस नहीं होगा, आप देखेंगे कि मानसिक शांति कितना सुकून भरा अनुभव है.
तब आप इस संसार को नए सिरे से देखना शुरू कर पाएंगे, बिल्कुल उस तरह से जैसे कोई नवजात शिशु संसार को देखता है, शांत और शक्तिशाली मन में किसी भी प्रकार का भय, क्रोध, चिंता और व्यग्रता नहीं रहती.
यूँ तो बोलना आपके लिए एक बहुत बड़ी सुविधा ही होती है, जो आपके मन में चल रहा होता है उसे आप तुरंत बोल देते हैं, मौन आपको अभाव में भी खुश रहना सिखाता है. जब आप सिर्फ लिखकर बात कर सकते हैं तो आप सिर्फ वही लिखेंगे जो बहुत जरूरी होगा, पर क्या बोलते वक़्त आप उतना ही संतुलन रखते हैं जितना लिखते वक्त. कई बार आप बहुत बातें करके भी कम कह पाते हो, लेकिन ऐसे में आप सिर्फ कहते हो, बात नहीं करते, इंसान के बोल पाने की वजह से ही उसका जीवन आसान हो जाता है, लेकिन जब आप मौन धारण करेंगे तब आपको ये अहसास होगा कि आप दूसरो पर कितना निर्भर हैं, बिन बोले तो कोई काम संभव ही नहीं हो पाता, परंतु जब आप मौन रहकर दूसरों को ध्यान से सुनते हैं तो बहुत कुछ सीख भी लेते हैं, जैसे सामने वाला व्यक्ति क्या नजरिया रखता है, उसकी सोच किस तरह की है. बाहर के शोर के लिए तो शायद हम कुछ नहीं कर सकते, लेकिन अपने द्वारा उत्पन्न शोर को मौन जरूर कर सकते हैं.
जब आप शांत रहकर प्रकृति को देखेंगे तो आप जान पाएंगे कि बसंत में चलने वाली हवा और सर्दियों में चलने वाली हवा की आवाज भी अलग-अलग होती है, आप पाएंगे कि प्रकृति के पास आपको देने के लिए काफी कुछ है.
शांत मन स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है, और जब आप शांत रहते हैं तो आपके मस्तिष्क में नए सकारात्मक विचार आने शुरू हो जाते हैं क्योंकि आपने शांत रहकर उन बेकार की बातों को भी नजरअंदाज कर लिया होता है जो आपको परेशान करती हैं.
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