हर परेशानी एक अच्छा अवसर लेकर आती है
साधारणतय एक इंसान को एक बोरी गेंहू उठाकर रखने में बड़ी परेशानी आ सकती है, लेकिन अगर उस बोरीे में बता दिया जाए कि 1 करोड रुपये हैं तो वो उसे उठाकर दौड़ने भी लगेगा. बस यही लोगों की ज़िन्दगी में भी हो रहा होता है, उन्हें ज़िन्दगी बोझ तब लगती है जब इसमें कोई मकसद ही न हो. पता ही न हो कि हम जो कर रहे हैं उस से कुछ होगा भी या नहीं. वेसे सच तो ये है कि पता तो किसी को कुछ नहीं होता. ध्वनि तरंगों की सुनने योग्य आवृति (Frequency) 20 हर्ट्ज से 20 हज़ार हर्ट्ज होती है, लेकिन कम आवृति में भी असर बहुत अधिक होता है.
एक कही गयी बात का भाव दिल तक समा जाता है और एक से मन अशांत हो जाता है. इसलिए जब आप लोगों को संबोधित करें तो आपके शब्दों में जिम्मेदारी झलकनी चाहिए. कुछ लोग हमेशा शांत स्वभाव के होते हैं, इसका अर्थ ये नहीं कि वे बोल नहीं रहे तो वेवकूफ हैं. ऐसे लोग बहुत अच्छे ऑब्जर्वर होते हैं, वे ध्यान से चीजों को सुनते हैं, देखते हैं, सोचते हैं और वे सही समय पर जटिल से जटिल निर्णय आसानी से ले लेते हैं.
जब हम मुसीबतों से जूझ रहे होते हैं, तब सिर्फ हम ही अकेले होते हैं कोई साथ नहीं होता. परिस्थितियां ही कुछ ऐसी हो जाती हैं. उस समय आपका विश्वास,भरोसा सब ख़त्म होने लगता है. तब वही वक़्त होता है जब इंसान के धैर्य और हिम्मत की असली परीक्षा होती है.
उस वक़्त में ही तो आपको सही निर्णय,धैर्य और जोश रखना है न कि तब जब आपका अच्छा वक़्त होता है. इसलिए बिलकुल घबराएं नहीं, वक़्त जरूर बदलता है. जीवन में आने वाली हर परेशानी एक अच्छा अवसर लेकर आती है.
जो लोग नकारात्मक सोचते हैं वो इसे समझ नहीं पाते और अवसर खो देते हैं वहीं अच्छी सोच के व्यक्ति चुनौती स्वीकार करते हैं और अवसर का लाभ उठाते हैं. हम अपने सामने किसी भी चीज़ को देख रहे हैं आपकी आंख और उस चीज़ तक कि दूरी के बीच कितने ही धूल के कण (Micro dust) उड़ रहे हैं, लेकिन वो आपको साधारणतय दिखते नहीं है.
वहीं जब आप रात को आकाश में हम टोर्च मारकर देखते हैं तो प्रकाश जितनी दूरी तय करता है उसके साथ ही हमें धूल के वो कण साफ नजर आते हैं. प्रकृति में दो तरह के ऑब्जेक्ट होते हैं, एक वो जो खुदसे प्रकाश उत्सर्जित करते हैं. और दूसरे वो जो दूसरे ऑब्जेक्ट से उत्सर्जित प्रकाश को परावर्तित करते हैं जैसे कि पृथ्वी का चंद्रमा.
असल में किसी भी चीज़ का कोई रंग नहीं होता वल्कि उस पर पड़ने वाली लाइट से जो रंग वस्तु द्वारा अवशोषित नहीं हो पाता वही रंग हमें दिखता है, उदाहरण के तौर पर अगर आप लाल रंग के कीड़े को साधारण रोशनी में लाल ही कहोगे.
अगर उसे मरकरी लाइट मैं देखेंगे तो वो काला दिखाई देगा, अब कीड़ा तो वही है. बस कलर रिफ्लेक्शन यानी परावर्तन के कारण हमें वो अलग अलग रंगों का दिखता है.
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