दोस्ती कैसी होनी चाहिए?
दोस्ती शब्द एक ऐसा है जिसमे दो लोग एक होते हैं. अगर आप कहें मेरे 10 दोस्त हैं तो ऐसा असंभव है कि उन 10 में से 1अथवा 2 दो सबसे गहरे दोस्त होंगे और सभी मिलकर आपके दोस्त होंगे. आपने अक्सर सुना होगा उन दोनों की दोस्ती या उन दोनों का प्यार सबसे अच्छा है. क्या आपने कहीं सुना है 50 लोगों की दोस्ती? 50 लोगों की भीड़ को आपने जरूर सुना होगा.
दो बहुत पक्के दोस्त थे. कोई भी काम होता दोनों साथ-साथ ही करते. एक दिन दोनों जंगल में गए. भूखे-प्यासे एक पेड़ के नीचे पहुँचे. पेड़ पर एक ही फल लगा था तो पहले दोस्त ने पेड़ पर चढ़कर फल तोड़ लिया और उसनेे फल के छह टुकड़े
किए. अब अपनी आदत के मुताबिक पहला टुकड़ा अपने दोस्त को दे दिया. दोस्त ने टुकड़ा खाया और बोला, 'बहुत स्वादिष्ट है भाई! ऎसा फल कभी नहीं खाया, एक टुकड़ा और दे! दूसरा टुकड़ा भी उसे दे दिया, फिर उसने एक टुकड़ा और मांग
लिया.
इसी तरह उसने पांच टुकड़े मांग कर खा लिए. जब उसने आखिरी टुकड़ा मांगा, तो पहले दोस्त ने कहा, "यह सीमा से बाहर है आखिर मैं भी तो भूखा हूं न भाई? मेरा तुम पर प्रेम है, पर तुम मुझसे प्रेम नहीं करते". और पहले दोस्त ने फल का टुकड़ा मुँह में रख लिया. मुँह में रखते ही उसने उसे तुरन्त थूक दिया, क्योंकि वह कड़वा था. और कहा 'यार तू पागल तो नहीं, इतना कड़वा फल कैसे खा लिया?
इसपर दुसरे दोस्त ने कहा, "जिन हाथों से बहुत मीठे फल खाने को मिले,एक कड़वे फल की शिकायत कैसे करूं मेरे दोस्त?" हर बार तो तू मुझे अपना हिस्सा भी देता है न?
सब टुकड़े इसलिए लेता गया ताकि तुझे पता न चले कि फल कड़वा था.
अब आप समझ ही गए होंगे कि दोस्ती कैसी होनी चाहिए? ये लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें.
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