कभी रोते हो क्या किसी के लिये?बुरे वक्त में समझ आती हैं ये बातें.

बहुत प्रेम था आपको उससे?पर अब कहां चला गया वह प्रेम?बड़ी तकलीफ होती है न जब दिल टूटता है? आप किसके लिए रोते हैं? उसके लिए जिसे आपके दुखों की कोई परवाह ही नहीं थी.आपके आने जाने से उसको कोई फर्क ही नहीं था. कौन है जो आपको समझता है? कल तक तो वही समझती थी आपको,आज क्या हुआ?तो अब आप क्या चाहते हैं?क्या आप उसे वापस पाना चाहते हैं?फिर तो वही होगा जो पहले हुआ था,किसी के जाने से किसी की जिंदगी नहीं रुकती, लेकिन उसकी कमी हमेशा महसूस होती है,आप महसूस करते हैं न? दूसरे को वह दुख,दर्द और तकलीफ महसूस नहीं हो सकती जो आपको होती है.कोई और नहीं बल्कि आप पल-पल मरते हो अपने दुख में.दुख तो होता ही होगा बहुत होता होगा.आपने बंदिशों वाला प्रेम क्यों कर लिया?प्रेम तो स्वतंत्र होता है,कहीं आपने उसे बंदिशों में तो नहीं जकड़ दिया?किसी से इतना प्रेम मत करो कि जब बिछड़ने की बारी आये तो आप उसके दुख को बर्दाश्त ना कर सकें.अगर आपका दिल अच्छा है तो यह आवश्यक नहीं है कि वह सामने वाले का भी दिल आपके जैसा अच्छा ही हो.दुनिया बड़ी स्मार्ट है हर चीज के दो-दो विकल्प रखती है, आप स्मार्ट क्यों नहीं बनते ? आपको भी स्मार्ट होना चाहिए!अगर नहीं बनेंगे तो आप इस्तेमाल कर दिए जाएंगे.समय बहुत बलवान होता है.जब आप कमजोर होंगे,परेशान होंगे तब यही दुनिया,यही आपके अपने लोग,आपका इस्तेमाल करना सीख जाएंगे,यह सुनिश्चित है.और यदि ताकतवर होंगे तो इस्तेमाल करने लायक होंगे.यह आवश्यक नहीं है कि आप किसी को धोखा नहीं देते,वल्कि यह आवश्यक है कि आप किसी के धोखे से कैसे बच पाते हैं.आप कितने भी अच्छे बने रहें इससे फर्क नहीं पड़ता,आप कितना दिमाग का इस्तेमाल करते हैं इससे फर्क पड़ता है.हर  चीज़ वश में की जा सकती है,पाई जा सकती है.जानते हैं हम जानवरों से अलग क्यों है?क्योंकि बुद्धि के रूप में हमें कुदरत ने एक खजाना दिया है,इसलिए शोक मनाने से अच्छा है,खुद को किसी काम में लगा दें या व्यस्त कर दें और प्रयास करें सही दिशा में.क्या ये संभव है कि आप पूर्व की दिशा में जा रहे हैं और पश्चिम के रास्ते पर पहुंच जाएं,यह संभव नहीं है.यदि आपको पूर्व दिशा की तरफ जाना है तो पूर्व दिशा की चीजों के बारे में सोचना पड़ेगा,पश्चिम के बारे में नहीं.आंखें आपकी होंं या मेरी,बस इतनी सी ख्वाहिश है बस नम न हों.जरूरी नहीं हमेशा बुरे कर्मों की वजह से ही दर्द सहने को मिले,कई बार जरूरत से ज्यादा अच्छे होने की भी कीमत चुकानी पड़ती है.हम तो नर्म पत्तों की शाख हुआ करते थे छीले इतने गए कि खंजर हो गए.समय,सेहत और संबंध इन तीनों पर कीमत का लेबल नहीं लगा होता लेकिन जब हम इन्हें खो देते हैं तब इनकी कीमत का एहसास होता है.हम सब एक दूसरे के बिना कुछ नहीं हैं यही रिश्तो की खूबसूरती है. खुशी से संतुष्टि मिलती है और संतुष्टि से ख़ुशी मिलती है.

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