आखिरी फैसला:दिल छू लेने वाली प्रेरणादायक कहानी

एक दिन मैंने सब कुछ छोड़ने का फैसला किया,मेरे रिश्ते,मेरी भावनाएं सबको किनारे कर मैंने अपनी जिंदगी को ही छोड़ने का फैसला किया.मैं एक पेड़ के पास जाता हूं और पूछता हूं भगवान से,क्या आप मुझे एक ऐसा कारण बता सकते हैं कि मैं अपना जीवन ना छोडूं?तो उनका जवाब मुझे अचंभित कर गया.उन्होंने कहा कि तुम अपने आसपास के पेड़ पौधों को देखो,खासकर उस बांस के पेड़ को देखो.तो मैंने जवाब में हाँ कहा. उन्होंने आगे कहा कि तुम उस बांस के पेड़ और उसके बीजों को देखो जो मैंने लगाए हैं.मैंने उसे लगाने में उसकी बहुत हिफाजत की है.मैंने उसे प्रकाश दिया, मैंने उसे पानी दिया,जीवन की सारी उपयोगी चीजें जो उसे चाहिए थीं मैंने उसे दीं.और वह बढ़ने लगा.लेकिन अभी तक मुझे बांस के पेड़ ने कोई बीज नहीं दिए.पर मैंने उस बाँस के पेड़ को छोड़ा नहीं. इसके विपरीत अगले ही वर्ष जो मैंने दूसरा पौधा लगाया,वह बहुत ही तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन अभी तक बाँस के पेड़ में मुझे कोई फल नहीं दिया.पर फिर भी मैंने उसे अभी तक छोड़ा नहीं.3 साल के बाद भी मुझे उस बांस के पेड़ से कोई भी बीज प्राप्त नहीं हुआ, चौथे साल मैंने देखा कि उस बांस के पेड़ में से अब तक भी कोई बीज नहीं निकला था.फिर मैंने इसके विपरीत देखा कि जो दूसरा पेड़ मैंने लगाया था और जो बांस का पेड़ लगाया था उन दोनों की लंबाई में फर्क था, केवल 6 महीने के बाद ही बांस का पेड़ 100 फीट तक बढ़ गया और इसके लिए मुझे 5 सालों का इंतजार करना पड़ा मैंने ये भी देखा कि वह अब पहले की तरह कमजोर नहीं है,काफी मजबूत हो चुका है.फिर उन्होंने कहा कि क्या तुम यह जानते हो मेरे बच्चे!तुम भी अभी परेशानियों के दौर से गुजर रहे हो और यही परेशानियां आगे चलकर तुम्हारी जड़ों को मजबूत करेंगी.जिस तरह मैंने इस बाँस के पेड़ को नहीं छोड़ा,विश्वास करो मैं तुम्हें भी नहीं छोडूंगा.तुम अपने आप आपकी तुलना दूसरों से मत करो.जिस तरह से बाँस के पेड़ का एक उद्देश्य था, वैसा ही दूसरे पेड़ों का कोई दूसरा उद्देश्य है.लेकिन उन सबने मिलकर इस जंगल को खूबसूरत बनाया है.इसी प्रकार से समय सबको मौका देता है कि तुम कितनी ऊंचाइयों पर जाते हो.जैसे ये बाँस का पेड़ कितनी ऊंचाई पर चला गया, जिसका मैंने 5 वर्ष तक इंतज़ार किया.ईश्वर की बताई हुई इस बात से मुझे काफी हौसला मिला और जब मैं वापस घर आया तो मेरे अंदर इस बात की संतुष्टि थी कि ईश्वर ने मुझे छोड़ा नहीं, तो फिर मैं क्यों छोड़ दूं?और उन्होंने मुझे यह सिखा दिया कि ईश्वर को मत बताओ की परेशानी कितनी बढ़ी है जबकि परेशानियों को यह बता दो कि ईश्वर बहुत बड़ा है.मेरी इस कहानी का उद्देश्य आपके अंदर वो हिम्मत जगाना था जो कभी-कभी आपके अंदर कम पड़ जाती है.जब आप जीवन के दौर में कभी-कभी निराशा और हार महसूस करते हैं.
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