आपको आपके अलावा कोई नहीं हरा सकता

पेशेंस एक ऐसी छुपी हुई बैंक है जिसका खजाना हर किसी के पास नहीं होता.कैसा लगता है जब आप खुद को दूसरों से कंपेयर करने लगते हो.जब आप कंपेयर करते ही हो तो आप यह क्यों नहीं सोचते कि किसी कार्य को अगर कोई और कर सकता है तो मैं क्यों नहीं कर सकता,क्या वजह है उसके पीछे.बहुत से लोग सोचते हैं ऐसा,लेकिन आज सोच लिया कल भूल गए. कितने ताज्जुब की बात है कि आसमान में उड़ रहे हेलीकॉप्टर को देखकर नीचे मर्सिडीज कार में चल रहा है इंसान सोचता है मेरे पास हेलीकॉप्टर होता तो मजा आ जाता जबकि उसी मर्सिडीज कार के पास से गुजर रही स्विफ्ट कार वाला सोचता है कि काश मेरे पास मर्सिडीज कार होती तो मजा आ जाता.लेकिन स्विफ्ट कार के पीछे से आती हुई बाइक वाला यह सोच रहा है कि काश मेरे पास स्विफ्ट कार होती तो मज़ा आ जाता.और बाइक के पीछे चल रहा है साइकिल वाला यह सोचता है कि काश मेरे पास बाइक होती तो कितना अच्छा होता.और साइकल वाले के पीछे पैदल चल रहा इंसान यह सोच रहा है कि काश मेरे पास साइकल ही होती.लेकिन वहीं जमीन पर बैठा विकलांग इंसान यह सोच रहा है कि काश मेरे सही सलामत पैर होते तो कितना अच्छा होता.यही इंसान की जिंदगी है,सारी जिंदगी वह काश मेरे पास ये होता काश मेरे पास वो होता.लियो टॉल्स्टॉय की एक फेमस स्टोरी है जिसमें  एक इंसान के घर एक रिश्तेदार आया हुआ था,वो उसकी खस्ताहाल जिंदगी को देखकर बोला,कि तुम यहां क्यों पड़े हो?पास के एक शहर में जाओ और जितनी चाहे उतनी जमीन ले लो! तो वो इंसान यह पूछता है कि भाई यह कैसे संभव है? मेरे पास तो कुछ भी नहीं कौन मुझे ज़मीन देगा?रिश्तेदार बोला,तुम इसकी फिक्र क्यों करते हो वहां तो फ्री में मिल रहा है सब कुछ.तुम्हें जमीन लेने के लिए बस चलना है सुबह से लेकर सूर्य के ढलने तक.सूर्य के ढलने तक उसी जगह पर वापस आ जाना.तुमको उतनी सारी ज़मीन मिल जाएगी वापस आ गए beautiful story cake famous story Jisme Garib Insan ke Ek rishtedar Aaya Hua Hota Hai मुझसे कहता है जो रिश्तेदार उसका आया हुआ होता है कि भाई तुम यहां क्यों पड़े हुए पास के ही एक शहर में जाओ और जितनी चाहे उतनी जमीन ले लो तो वह इंसान यह पूछता है कि भाई यह कैसे संभव है मेरे पास तो कुछ है भी नहीं कि तुम इसकी फिक्र क्यों करते हो वहां तो फ्री में मिलना है सब कुछ तुम्हें जमीन लेने के लिए सुबह से लेकर जब तक कि सामना ढल जाए तो मैं उसी जगह पर वापस आ जाना तुम को उतनी जमीन मिल जाएगी.वह इंसान बड़ा खुश हुआ कि तुमने यह तो बहुत अच्छा तरीका बता दिया मुझे अमीर बनने का. अगले ही दिन वो उसी शहर पहुँच गया जहां पर यह जमीन मिल रही होती है.वह जाकर वहां के डिस्ट्रीब्यूटर से बात करता है कि मुझे भी जमीन चाहिए तो डिस्ट्रीब्यूटर कहता है कि ठीक है आपको जमीन चाहिए तो ले लो. आपको बस करना इतना है कि आपको बस चलते जाना है. चलते जाना या फिर दौड़ते जाना है हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.लेकिन आप जहां से चलें और सूरज के ढलने तक आपको वहीं पर वापस आ जाना है.इतनी सारी ज़मीन आपकी हो जाएगी. इस बात को सुनकर तो वो इंसान बहुत खुश हो गया.अपने साथ में खाने का सामान भी लेकर आया था पानी की बोतल भी लेकर आया था और इसी के साथ उसने चलना स्टार्ट कर दिया.12:00 बजे उसे प्यास लगती है.पानी की बोतल लेकर वह पानी पीने लगा.फिर 2:00 बजे तक चलता है 2:00 बजे उसे फिर भूख लगने लगती है,सोचा कि क्या मैं खाना खाने में समय व्यर्थ करूँ, चलते-चलते ही वह हाथ में खाने को लेकर खाने लगता है.लेकिन वह चलना बंद नहीं करता. देखो कितनी हिम्मत है उसके अंदर. चलता ही जा रहा है,वह हिम्मत नहीं आ रहा है.उसे जब एहसास होता है कि अब तो 5:00 बज गए 6:00 बजे के आसपास तो सूरज भी ढल जाएगा. तो 5:00 बजे के अंदर भी उसके अंदर लालच आता है कि थोड़ा सा और चल लेता हूं मैं. अभी थका तो हूं नहीं, दौड़ कर वापस सब कवर कर लूंगा. तो वह और आगे बढ़ा चला जाता है इस तरीके से 5:30 बज जाते हैं.अब 5:30 बजे से वह वापस दौड़ना शुरू कर देता है. तेजी से दौड़ता है.और दौड़ते-दौड़ते वह अपने स्टार्टिंग पॉइंट के 1 किलोमीटर की दूरी पर होता है.उसे 1 किलोमीटर की दूरी का अपना स्टार्टिंग पॉइंट दिखाई दे रहा था लेकिन सूरज तो अब लगभग ढलने पर है.सूरज ढलने में अभी एक-डेढ़ मिनट ही बचा होता है.उसने अब तक इतनी दौड़,दौड़ ली थी कि उसके पैर अब जवाब दे चुके थे.अब वो क्या करता? उसने फिर से तेजी से दौड़ना शुरू कर दिया और अंतत 500 मीटर की दूरी पर वह गिर जाता है.लेंड-डिस्ट्रीब्यूटर वहीं खड़ा-खड़ा ये देख रहा होता है उसे यह कहता है कि हां जल्दी करो.आओ-आओ जल्दी आओ. लेकिन अब उसके पैर तो जवाब दे चुके थे उसके पास इतनी क्षमता नहीं बची थी कि वह उठकर खड़ा भी हो सके. फिर भी वह पूरी कोशिश करता है और एक बार फिर से 100 मीटर की दूरी तय करता है और जैसे ही 100 मीटर और चलता है वह फिर दोबारा से गिर जाता है.लैंड डिस्ट्रीब्यूटर उसे फिर से कहता है कि बस थोड़ा सा और! लेकिन थोड़ा सा और कर-कर के तो वह मर ही चुका था.उसके ह्रदय न अब काम करना बंद कर दिया था.उस लैंडलॉर्ड से यह पूछा गया कि अब तक कितने लोग जमीन हासिल कर चुके हैं तो वह कहता है कि सच बताऊं तो एक भी नहीं !इसकी वजह यही थी कि हर इंसान वहां पर इसीलिए आता था कि मैं ज्यादा से ज्यादा जमीन ले लूं और जमीन लेने के लिए हर इंसान उसी तरीके का तरीका आजमाता था जो इस इंसान ने आजमाया. यह तो भी इतना करीब आ गया था बाकी तो 2-4 किलोमीटर पीछे ही लुढक जाते हैं. दोस्तों इस कहानी का मतलब सिर्फ यह है कि इंसान को जरूरत से ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए.जो अपने काम पर यकीन रखते हैं,जिन्हें खुद पर यकीन होता है उन्हें कोई नहीं हरा सकता.जो लालच के साथ काम करते हैं, हो सकता है कि उन्हें बहुत कुछ मिल जाए और शायद मिलता भी है,लेकिन वह दौड़ते-दौड़ते इतनी गलतियां कर चुके होते हैं कि आगे चलकर वह  बहुत बुरी तरह से फँस जाते हैं.इंसान को हमेशा हिम्मत रखनी चाहिए,कोई भी परिस्थिति हो,कम से कम किसी और पर नहीं तो अपने ऊपर तो हमेशा भरोसा रखना चाहिए.क्योंकि इंसान की हिम्मत हमेशा दहाड़ नहीं मचाती,कभी-कभी हिम्मत शांत भी रहती और दिन के आखिरी पड़ाव पर फिर से कहती है कि मैं कल फिर से कोशिश करूंगी.अगर आप सोचोगे हजारों मील तक पहुंच जाऊं,तो हजारों मील को कवर करने के लिए शुरुआत तो एक छोटे से कदम से ही करनी पड़ेगी. आप कोई भी काम करना चाहते हों, काम भी आपको बहुत चाहता है लेकिन आपको बस उसे हासिल करने के लिए काम करने की जरूरत पड़ती है.एक समस्या आपके लिए अपनी बेहतरीन कोशिश का मौका होती है कि आप उसमें इतना बेहतर कर जाओ कि बेहतरीन शब्द भी छोटा लगने लगे.पानी का बुलबुला होता है जैसे हवा का एक झोंका आता है फूट जाता है और वहीं रेगिस्तान में खड़ा हुआ केक्टस 48 डिग्री का भी टेंपरेचर सहन कर लेता है.तो आप अपने आप को पानी का बुलबुला नहीं केक्टस जितना मजबूत करो.ये दृण विश्वास रखकर कि कितनी भी मुसीबत आ जाए कुछ भी हो जाए मुझे बस हारना नहीं है.यह कोई मायने नहीं रखता कि आप कितने धीरे जा रहे हो,आप कितने भी धीरे जाओ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि आप चलते जा रहे हो,यही सबसे ज्यादा मायने रखता है.इंसान के अंदर सब कुछ मर जाए लेकिन उसका जुनून जिंदा रहे तो उस इंसान के हारने के कोई चांस नहीं होते.अक्सर देखा जाता है कि लोग इतनी जल्दी में होते हैं कि उनके पास टाइम नहीं होता मुझे तो यह समझ में नहीं आता कि सभी के पास तो 24 घंटे होते हैं.उनके पास अपने करीबी रिश्तों की कद्र करने का समय नहीं होता बाकी जो उल्टी सीधी चीजें होती हैं उनके लिए उनके पास बहुत टाइम होता है.इस दुनिया में सबसे ज्यादा कीमती समय ही है लेकिन टाइम का यह मतलब नहीं है कि आप अपने रिश्तों की तरफ कोई ध्यान ना दो. आप महसूस करो हम इंसानों की जिंदगी में सबसे ज्यादा इंपोर्टेंस किस चीज का है? हम जो भी कुछ करते हैं किसके लिए करते हैं?आपको इस चीज का जवाब मिल जाएगा. अगर आपके पास उनके लिए टाइम नहीं है तो आप से ज्यादा बदकिस्मत कोई नहीं है.किसी इंसान के अंदर नॉलेज की कमी होना इतना शर्म की बात नहीं है, इस दुनिया में हर एक इंसान अपने-अपने फील्ड में स्पेशलिस्ट होता है कोई पूरी तरह से हर चीज का विद्वान हो भी नहीं सकता.अगर किसी के अंदर सीखने की इच्छा ही नहीं है तो इससे ज्यादा शर्म की और क्या बात हो सकती.एक ही काम होता है और करने का अलग-अलग होता है.स्वामी विवेकानंद एक मंदिर के पास से जा रहे थे, उस मंदिर का निर्माण चल रहा था. वहां जाकर मंदिर बना रहे राज मिस्त्री से पूछते हैं कि आप क्या कर रहे हो? गर्मी का टाइम था बहुत तेज धूप पड़ रही थी तो वह तुरंत चिल्लाया,अंधे हो क्या? दिखाई नहीं दे रहा कि मैं क्या कर रहा हूं.स्वामी विवेकानंद हैरान हो गए और सोचने लगे कि देखो यह काम तो कर रहा है लेकिन इसको काम करने की कितनी इच्छा है.मतलब वह अपने काम को सिर्फ बोझ के तौर पर कर रहा है.स्वामी विवेकानंद चुपचाप वहां से चले गए.आगे जैसे ही जा रहे थे तो एक और मंदिर का काम चल रहा है.वहां पर भी उनके दिमाग में यह चलता है कि चलो देख लेते हैं यहां क्या जवाब मिलने वाला है.इस मंदिर के राजमिस्त्री से पूछते हैं आप क्या कर रहे हो?तो उसका जवाब सुनकर स्वामी विवेकानंद चोंक जाते हैं.वह जवाब देता है कि मैं एक सौभाग्यशाली काम कर रहा हूं शायद जीवनभर में ऐसा काम कभी मिल पाता कि मुझे मंदिर बनाने का सौभाग्य मिलेगा.तो स्वामी विवेकानंद उसकी बातों को सुनकर वहां से वापस होते हैं.उस मंदिर से निकल कर दोबारा सोचते हैं कि पिछले वाले राजमिस्त्री से एक बार और पूछ लिया जाए शायद उसका दिमाग बदल गया हो, अब की बार सही से जवाब दे दे.तो वह दोबारा से जाते हैं उसके पास.पहले वाले मंदिर के पास जाकर उससे पूछते हैं कि भाई तुम क्या कर रहे हो? इतना सुनते ही उसकी आंखें लाल हो गईं मानो भूचाल सा आ गया हो.बस वह समझ चुके थे कि हां मैंने दोनों बार कंफर्मेशन कर ली अब यह  बदलने से रहा.तीसरी बार पूछूंगा तो सिचुएशन गड़बड़ हो जाएगी.मतलब काम तो दोनों की एक से कर रहे थे,लेकिन दोनों की लगन में ज़मीन आसमान का अंतर था. इसलिए किसी भी काम को करने से पहले अपने आप से यह जरूर पूछ लें कि मैं इस काम को कब तक कर सकता हूं?यह खराब हो जाए या बिल्कुल फेल हो जाए, फिर भी आप उसे करेंगे क्या?तो आप उस काम को भविष्य में भी बहुत अच्छे से कर सकेंगे.श्रीमद भगवत गीता में भी लिखा है कर्म करना  कर्म न करने से श्रेष्ठ है.
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