यह भी गुज़र जाएगा:An inspirational story

एक राजा ने अपने सुनार को आदेश दिया कि मेरे लिए एक अंगूठी बनाकर उसमें कोई ऐसी चीज़ लिखो जो मेरे अच्छे दिनों में मेरी खुशी को बढ़ने न दे और जब मैं निराश हो जाऊं तो मुझे उत्साह से भर दे.
सुनार को अंगूठी बनाने में तो कोई परेशानी नहीं हुई लेकिन उसमें लिखने के लिए वैसी उपर्युक्त चीज़ पाना तो सचमुच टेडी खीर था.उसने बहुत सोचा लेकिन उसे ऐसा वाक्य नहीं मिला जो अच्छे और बुरे दिनों में बराबर काम कर जाए.अंत में सुनार एक विद्वान के पास गया और पूछा,"मैं अंगूठी में ऐसी कोनसी चीज़ लिखूं जो राजा की खुशी को बैलेंस करने के साथ साथ जब वो उदास हों तो उन्हें हिम्मत भी दे.
इसपर विद्वान ने उसे लिखने के लिए ऐसा वाक्य दिया जिससे राजा की जरूरत पूरी हो गई.
विद्वान ने कहा,"अंगूठी पर इस वाक्य की खुदाई करो:यह भी गुज़र जाएगा.जब राजा विजय की घड़ियों में इसे देखेगा,तो यह उसके अहंकार को कम कर देगा.जब निराशा के पलों में उसकी नज़र इसपर पड़ेगी,तो यह उसमें आशा या उम्मीद का संचार करेगा."
दोस्तों,यदि आप एक सिक्के को सौ बार उछालेंगे तो उसके चित या पट होने की संख्या मामूली अंतर के साथ लगभग बराबर होगी.जीवन में भी यही होता है.अच्छे दिन आते हैं तो कभी बुरे दिन भी आते हैं,पर जो इंसान इसे खुशी से स्वीकार कर जीवन को सिर्फ आनंद से जीना सीख गया वो आज भी खुश दिखेगा और कल भी.

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