क्या दुनिया मतलबी है? | Inspirational thoughts


जब आप दूसरों को बदलने का प्रयास करना बंद कर दें इसके बजाय स्वयं को बदलने पर ध्यान केन्द्रित करें,जब आप दूसरों को जैसे हैं,वैसा ही स्वीकार करें,जब आप यह समझे कि प्रत्येक व्यक्ति उसकी सोच अनुसार सही हैं.जब आप रिश्तों से लेने की उम्मीदों को अलग कर दें और केवल देने की सोच रखे.जब आप यह समझ लें कि आप जो भी करते हैं, वह आपकी स्वयं की शांति के लिए है. जब आप संसार को यह सिद्ध करना बंद कर दें कि आप कितने अधिक बुद्धिमान है.जब आप दूसरों से उनकी स्वीकृति लेना बंद कर दे.जब आप दूसरों से अपनी तुलना करना बंद कर दें.जब आप स्वयं में शांत है.जब आप जरूरतों और चाहतों के बीच का अंतर करने में सक्षम हो जाए और अपनी चाहतो को छोड़ने को तैयार हो,जब आप अपनी ख़ुशी को सांसारिक वस्तुओं से जोड़ना बंद कर दें तो समझ लेना अब आप पूरी तरह से परिपक्व हैं।

    कर्म और लालच 


    कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई कितना खूबसूरत है
    क्योंकि लँगूर और गोरिल्ला भी अपनी ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कर लेते हैं.कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी का शरीर कितना विशाल और मज़बूत है,
    क्योंकि श्मशान तक वो अपने आपको नहीं ले जा सकता.आप कितने भी लम्बे-विशाल क्यों न हों,मगर आने वाले कल को आप नहीं देख सकते.कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी त्वचा कितनी गोरी और चमकदार है
    क्योंकि अँधेरे में रोशनी की जरूरत पड़ती है न कि रूप रंग की.कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप नहीं हँसेंगे तो सभ्य कहलायेंगे क्योंकि आप पर हंसने के लिए दुनिया खड़ी है इसलिए दिल खोलकर हँसिये.कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने अमीर हैं या दर्जनों गाड़ियाँ आपके पास हैं क्योंकि घर के बाथरूम तक आपको चल के ही जाना पड़ेगा.
    जमाना लाख चाहे ज्यादती के मौके तलाशती रहे,कर्म ऐसे करो के सम्मान की परिस्थिति पैदा होती रहे.
    एक व्यापारी था, वह ट्रक में चावल के बोरे लिए जा रहा था। एक बोरा खिसक कर गिर गया। कुछ चीटियां आयीं 10-20 दाने ले गयीं, कुछ चूहे आये 50-100 ग्राम खाकर चले गये, कुछ पक्षी आये थोड़ा खाकर उड़ गये, कुछ जानवर आए 2-3 किलो खाकर चले गए. एक मनुष्य आया और वह पूरा बोरा ही उठा ले गया.
    अन्य प्राणी पेट के लिए जीते हैं,लेकिन मनुष्य Desire यानि तृष्णा में जीता है। इसीलिए इसके पास सब कुछ होते हुए भी यह सर्वाधिक दुखी है।मनुष्य आवश्यकता पूर्ति के बाद भी अपनी दोषपूर्ण इच्छाओं को नहीं रोकता तो वह,अनियंत्रित बढ़ती ही जायेंगी और दुख का कारण बनेंगी.दुनिया  में  दो  तरह  के  लोग होते हैं एक  वो  जो  मौका आने  पर साथ छोड़ देते हैं और दूसरे वो जो साथ देने के लिये मौका ढूँढ लेते है.अच्छे  लोगों से  रिश्ता रखिये जीवन बेहतर होगा.
    जिस प्रकार फूलों के बीजों से फूल के पौधे उगते हैं,खाली जमीन पर घास फूस उगती है,उसी प्रकार अच्छे विचार हमारे जीवन में काफी सकारात्मक प्रभाव डालते हैं.

    क्या दुनिया में अच्छे लोगों की कमी है?

    कोई व्यक्ति सिर्फ अच्छे और सुंदर वस्त्रों से अच्छा नहीं हो जाता,जब तक कि उसके अंदर के विचार और दृष्टिकोण शुद्ध न हो.किसी के व्यक्तित्व की असली धरोहर उसका नम्र व्यवहार,दूसरों के प्रति उसका सकारात्मक दृष्टिकोण और अहंकाररहित वाणी ही हें.जो मनुष्य हर बात मैं खुदको प्राथमिकता और दूसरों को कमतर दिखाने का प्रयास करता है उसका जीवन उस पानी के बुलबुले जैसा है जो खुदसे बना और थोड़ी सी हवा के झोंके से फूट गया.
    जब मै कभी मार्किट में दुकान पर जाता हूँ तो देखता हूँ किसी को किसी से कोई मतलब नहीं,सब्ज़ी की दुकान पर एक व्यक्ति बुखार में खड़ा था लेकिन लोगों ने उसको प्राथमिकता नहीं दी,क्योंकि वो उनके घर का सदस्य नहीं था,लेकिन फिर जब वही लोग अपने जीवन से परेशान होते हैं और शिकायत करते हैं दुनिया बहुत मतलबी है.आखिर ये मतलबी दुनिया कोनसी है,जवाब है ये हम स्वयं हें,हम दूसरों को अपने लिए अच्छाई होते देखना पसंद करते हैं लेकिन जब स्वयं एक अच्छाई कर भी दें तो साल भर उसी का रोना रोते हैं कि मैंने तो अच्छा किया था पर मेरे साथ किसी ने नहीं दिया.क्या हम ये बाद वाला वाक्य भूल सकते हैं,यानी हम अच्छा ये सोचकर नहीं करेंगे कि कोई वापस हमारे साथ वही करेगा वल्कि बस करेंगे.अगर हर व्यक्ति ये समझ गया तो सबकी शिकायतें खत्म हो जाएंगी.हर व्यक्ति छोड़िए 1000 मैं से 50 भी समझ गए तो भी दुनिया स्वर्ग बन ना शुरू हो जाएगी.ऐसा नहीं है कि हम नहीं कर सकते,हम करते ही नहीं हैं,आप बिना बीमारी के दवाई क्यों लेंगे भला,लेकिन बीमारी होते ही आप रुकेंगे नहीं तुरंत दवा लेंगे.क्योंकि वहां ये बाध्यता है,जानते हैं ये पैसे आपकी खुशी से नहीं जा रहे लेकिन मजबूरी से जा रहे हैं.

    हर व्यक्ति विशिष्ट है

    हम सभी के अंदर अच्छाई और बुराई छुपी है,एक उदाहरण से समझें,एक बार एक बूढ़ा व्यक्ति समान से भरी ठेली को गली में मोड़ रहा था,समान इतना था कि मुश्किल से वो उसे खींच पा रहा था गली के मोड़ पर एक ड्रेनेज का गड्ढा था शायद उसकी कमजोर नजरों ने उसे नही देख पाया और ठेली को मोड़ते ही उसका एक पहिया उसमे धंस गया,अब मैन गली पर उस बूढ़े व्यक्ति की वजह से जाम लगने लगा,मैं एक पल ये सब देखा और तुरंत अपनी बाइक से उतरकर उसकी ठेली को गड्ढे से निकालने का प्रयास करने लगा,इतना देखते ही भीड़ से 2 और व्यक्ति मदद के लिए आये और बड़ी आसानी से उसे गड्ढे से निकाल दिया.तब मैंने विचार किया कि लोग बस उस पहले का इंतज़ार कर रहे थे,जो मदद करेगा.परिंदे रुक मत तुझमे जान बाकी है
    मन्जिल दूर है, बहुत उड़ान बाकी है
    आज या कल मुट्ठी में होगी दुनियाँ
    लक्ष्य पर अगर तेरा ध्यान बाकी है
    यूँ ही नहीं मिलती रब की मेहरबानी
    एक से बढ़कर एक इम्तेहान बाकी है
    जिंदगी की जंग में है हौसला जरुरी
    जीतने के लिए सारा जहान बाकी है.
    बात इतनी मीठी रखो कि कभी वापिस लेनी
    पड़ जाए तो ख़ुद को कड़वी ना लगे.
    चावल अगर कुमकुम के साथ मिल जाऐं तो किसी के मस्तक तक पहुंच जाते हैं
    और दाल के साथ मिल जाऐं तो खिचड़ी बन जाते है
    अर्थात हम कौन हैं उसके महत्व से ज्यादा किनकी संगत में हैं यह बहुत महत्वपूर्ण है.
    दुध, दही, छाछ,माखन,घी
    सब एक ही कुल के हो कर भी
    सबकी कीमत अलग अलग है क्योंकि श्रेष्ठता जन्म से नही बल्कि अपने कर्म,अपनी कला,और अपने गुणोंं से प्राप्त होती है.
    दिन मे एक बार अपने दिल की अदालत में ज़रूर जाया करें सुना है,वहाँ कभी भी गलत फैसले नहीं हुआ करते.
    कुछ चीजे समीप जाने पर बगैर मांगे मिल जाती है जैसे बर्फ के पास शीतलता,अग्नि के पास गरमाहट और गुलाब के पास सुगंध फिर भगवान् से मांगने की बजाये
    निकटता बनाओगे तो सब कुछ अपने आप मिलना शुरू हो जायेगा.
    मन ऐसा रखो कि किसी को बुरा न लगे,दिल ऐसा रखो कि किसी को दुःखी न करें,रिश्ता ऐसा रखो  कि उसका अंत न हो.
    कोई भी व्यक्ति हमारा मित्र या शत्रु बनकर संसार में नही आता.हमारा व्यवहार और शब्द ही लोगो को मित्र और शत्रु बनाते है.
    संसार में केवल मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है,जिसका जहर और मिठास उसके दांतों में नही बातों में है.हम क्या हैं ये हमारे कर्म बताते हैं,हमारा प्रभाव क्या है ये हमारा व्यवहार बताता है,हम कैसा दृष्टिकोण रखते हैं ये हमारी वाणी की नम्रता बताती है.

    कुदरत के दिव्य संदेश

    एक बार एक चालक इंसान की दोस्ती काल यानि मृत्यु से हो गई,वह इंसान पूरी तरह स्वार्थ,अहंकार और भोग विलासिता में लिप्त रहता था,पर उस व्यक्ति को अपनी मृत्यु से बहुत डर लगता था।जब वो अपने मित्र यानि काल से मिला तो उसने कहा कि तुम मेरे मित्र हो अब तो मैं निश्चिंत हूँ क्योंकि एक मित्र तो दूसरे मित्र के प्राणों की रक्षा करता है और तुम भला अपने मित्र को क्यों मरने दोगे,इस पर काल ने कहा,बेशक मैं तुम्हारा मित्र हूँ परंतु अगर मैं अपने कर्तव्य से विचलित हुआ तो मेरे स्थान पर किसी अन्य को तैनात कर दिया जाएगा और वो तुमपर जरा भी रहम नहीं करेगा,इसलिए मेरे दोस्त मरना तो तुम्हे भी है एक दिन,परंतु मित्र होने के नाते मैं तुम्हे मृत्यु पूर्व चार दिव्य संदेश भेजूंगा ताकि तुम मरने से पहले अपनी सब ज़िम्मेदरियों को भलीभाँति निभा सको,ये सुनकर उस चालक व्यक्ति के मन से मौत का भय निकल गया। उसने सोचा जैसे जैसे मृत्यु आने के संदेश आएँगे मैं मरने से पूर्व अपने सभी कार्य पूर्ण कर लुँगा,और तब तक ऐशो-आराम से जिंदगी जियूँगा.दिन बीतते गये उस व्यक्ति की मृत्यु की घड़ी आ पहुँची। डाक्टरों ने जवाब दे दिया और कहा कि अब आपका बच पाना मुश्किल है।
    तब उस व्यक्ति ने अपने सामने काल को खड़ा पाया और धिक्कारते हुए कहा कि तुम तो धोखेबाज़ दोस्त निकले तुमने कहा था कि मौत आने से पहले चार दिव्य संदेश भेजोगे और आज मेरी मौत सामने है पर मुझे कोई संदेश नही आया।इस पर काल ने जवाब दिया,  मित्र तुम्हे भी चारों संदेश आए थे परन्तु तुमने उन सभी को न केवल नज़रअंदाज़ कर दिया बल्कि ढक कर छुपा दिया।सबसे पहले संदेश में मैंने तुम्हारे सुंदर काले बालों को सफ़ेद कर दिया.यह आने वाली विपदा का पहला संदेश था। यह तुम्हें चेतावनी थी कि अपने जीवन को सादा करके विलासताओं से मुक्त हो जाओ.पर इस संदेश का तुम्हारे ऊपर जरा भी असर नहीं हुआ।तुमने तो इस संदेश को छुपाने के लिए बनावटी रंग लगा कर अपने बालों को फिर से काला कर लिया और पुनः जवान दिखने की कोशिश करने लगे।
    आज भी वह दिव्य श्वेत संदेश तुम्हारे सिर पर रंगे हुए बालों की जड़ों से दिखाई दे रहे है।
    कुछ समय बाद तुम्हें दूसरा संदेश नेत्रों की ज्योति मंद करके भेजा गया। उस समय तो तुम्हें अंतर्मुखी हो जाना चाहिए था और अपने बचे हुए कार्यों को निपटा लेना चाहिए था.पर तुमने तो हद करदी और आँखों पर मोटे शीशे चढ़ाकर अपनी पुरानी स्वार्थ और धन संग्रह की दिनचर्या में ही लगे रहे.तीसरे संदेश में मैंने तुम्हारे दाँतो को हिलाया और कुछ को तोड़ दिया शायद तुम इसे समझ पाते,पर ये क्या इसमें तो तुम हलका नरम और तरल भोजन खाने लगे और तुमने जबरदस्ती नकली दाँत लगवाये और संसार के स्वादिष्ट भोजन और भोग विलास में निरंतर लिप्त रहे.इस संदेश के बाद तो तुम्हे स्वार्थ और अहंकार से मुक्त होकर जीना चाहिए था.
    फिर अन्तिम संदेश के रूप में मैंने तुम्हें रोग तथा पीड़ाओ को भेजा परन्तु तुमने योग और परहेज़ पूर्वक सात्विक जीवन शैली को नही अपनाया और पीड़ा नाशक दवाईयाँ ले कर अपने जंजर शरीर को अपनी लालसा पुर्ति करने के लिए ढोते रहे.बताओ मैंने अपनी मित्रता मैं कहाँ खोट रखा,मेरे बताएँ अनुसार तुम्हें चार संदेश आएँ पर तुमने इन दिव्य संदेशों को दबाने के लिए एक बनावटी रास्ता तैयार कर लिया।
    जब उस चालक मनुष्य ने काल के चार संदेशों को समझा तो वह फूट-फूट कर रोने लगा और अपनी नादानी पर पश्चाताप करने लगा.उसने स्वीकार किया कि मैंने इन दिव्य चेतावनी भरे संदेशों को नहीं समझा।
    वह सदा यही सोचता रहा कि अभी क्या जल्दी है अभी कुछ और आनंद भोग लूँ, कुछ और प्रतिस्पर्धा कर लूँ, कुछ और अहंकार दिख लूं इस दुनिया को,कुछ और प्रोपर्टी ख़रीद लूँ।काल ने कहा,आज तक तुमने जो कुछ भी किया, राग-द्वेष, स्वार्थ,अहंकार और भोगों के लिए किया।जो भी जान-बूझकर सृष्टि के दिव्य नियमों को तोड़ता है, वह अक्षम्य है.ये सुनकर उस व्यक्ति ने सोचा क्यों न इसे धन का लालच दे दूं शायद ये मेरे प्राण बक्स दे,उसने काल से कहा,दोस्त तुम सही कहते हो तुमने अपना वादा पूरा किया,पर मैं तुम्हे अपनी करोड़ों की संपत्ति,धन,गाड़ियां और हीरे जवाहरात देना चाहता हूं,इन्हें लेकर तुम सारे सुखों का आनंद ले सकोगे पर इनके बदले मुझे जीने दो.
    इस पर काल मुस्कुराया,तुम मनुष्यों को यही आता है,मैं किसी मनुष्य की इन बातों में नहीं आता,मेरे लिए ये सारी चीज़ें व्यर्थ हें.अब तुम्हारी करोड़ों की सम्पत्ति का कोई लाभ नही है।वह चालाक मनुष्य अपने सामने खड़ी मौत को देख कर हाय-हाय करके रोने लगा और सभी सम्बन्धियों को पुकारने लगा पर उसकी मदद के लिए कोई नही आया। अतंत: काल ने उसके प्राण हर लिए।जीवन को सबके लिए अच्छा सोचने में लगाया जाए,आप जिस भी जगह या पद पर हें उसमे मैं और मेरा न करके अपने कर्तव्यों को सही से निभाएं.
    कुदरत जब सज़ा देती है तो कोई मौका नहीं देती,उस से पहले बस संकेत देती है,जो मनुष्य उन संकेतों को समझता है वो सदा खुश रहता है.और जो अपने धन,पद,खूबसूरती या शरीर का अभिमान करते हैं और दूसरों को अपने आगे कुछ नहीं समझते उनपर कुदरत बस मुस्कुराकर यही सोचती है कि तुम मेरे नियमों को नहीं समझ पाओगे,चिंता मत करो एक दिन लपेटे में जरूर आओगे.

    आशा की किरण

    सूर्यास्त के समय एक बार सूर्य ने सबसे पूछा, मेरी अनुपस्थिति मे मेरी जगह कौन कार्य करेगा?समस्त विश्व मे सन्नाटा छा गया। किसी के पास कोई उत्तर नहीं था,तभी  कोने से एक आवाज आई.दीपक ने कहा "मै हूं  ना"मै अपना पूरा  प्रयास  करुंगा.

    ठीक ऐसे ही कुछ लोग अपने घर में बोलते हैं कि मेरे बिना ये घर ये दुकान ये समाज या फिर ये दुनिया चल नहीं पाएगी,लेकिन कुदरत ने अपनी व्यवस्थाओं को सम्पूर्ण करके रखा है,किसी के न होने पर किसी की ज़िंदगी नही रुक सकती हैं,यदि वो इंसान अच्छा है तो सदा हमारे दिल में निवास करता है अन्यथा वो सिर्फ पुतला बनकर रह जाता है.आपकी सोच  में ताकत और चमक होनी चाहिए। छोटा बड़ा होने से फर्क  नहीं पड़ता,सोच  बड़ी  होनी चाहिए। मन के भीतर  एक दीप जलाएं और सदा मुस्कुराते रहें।
    मतलब बहुत जानदार होता है,निकल जाने के बाद हर रिश्ता हल्का कर देता है.हर बीतते दिन के बाद हमें लगता है कि हमने कुछ पाया,जबकि सच तो ये है कि हर रोज़ कुछ न कुछ पीछे छूट जाता है जो फिर लौटकर नहीं आता है.इंसान का पतन उस समय ही शुरू हो जाता है जब वो अपनों को गिराने की सलाह दूसरों से लेने लगता है.पैरों के कारण पंछी जाल में और जुबान के कारण इंसान जाल में फंसता है.एक इंसान को सबसे ज्यादा गुस्सा तो तब आता है जब कोई खुद गलत होकर भी उसे गलत साबित करने की कोशिश करता है.कौन,कब,किसका और कितना अपना है ये सिर्फ वक़्त बताता है.थोड़ा गुरुर भी जरूरी है जीने के लिए,ज्यादा झुककर चलो तो दुनिया पीठ का पायदान बना लेती है.दुनिया में बहुत कम लोग ही ऐसे हैं जो जैसे दिखते हैं वेसे होते हैं.अहंकार में अंधे इंसान को न अपनी गलतियां दिखती हैं न ही दूसरे इंसानों में अच्छी बातें.जिंदगी तस्वीर भी है और तक़दीर भी,फर्क तो रंगों का है,मनचाहे रंगों से बने तो तस्वीर और अनजाने रंगों से बने तो तक़दीर.उन जख्मों को भरने में वक़्त लगता है जिनमे अपनों की मेहरबानियां शामिल होती हैं.

    आपका सरल और सहज व्यवहार

    संसार में वैभव रखना,धनवान होना कोई बुरी बात नहीं है। इससे तो बहुत से शुभ कार्य हो सकते हैं। बुराई तो धन के अभिमान में डूब जाने और उससे मोह करने में है। यदि कोई व्यक्ति धनी होते हुए भी मन से पवित्र रहे तो वह एक प्रकार का साधु ही है.जैसे जल में कमल की तरह खिला हुआ निर्मल फूल.संतोषी जीवन,सादगीपूर्ण जीवन, प्रेरणा देने वाला जीवन, मिलावट और बनावट रहित जीवन,नेक रास्ते पर चलने वाला जीवन और सबकी फिक्र करने वाला जीवन ही सबसे सुखमय और आनंदमय होता है.

    एक तस्वीर जिसने कार्टर को हिला दिया


    "The vulture and the little girl"
    इस तस्वीर में एक गिद्ध भूखसे मर रही एक छोटी लड़की के मरने का इंतज़ार कर रहा है ! इसे एक साउथ अफ्रीकन फोटो जर्नलिस्ट केविन कार्टर ने 1993 में सूडान के अकाल के समय खींचा था और इसके लिए उन्हें पुलिट्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ! लेकिन कार्टर इस सम्मान का आनंद कुछ ही दिन उठा पाए क्योंकि कुछ महीनों बाद 33 वर्ष की आयु में उन्होंने अवसादसे आत्महत्याकर ली !
    क्या हुआ ?दरअसल जब वे इस सम्मान का जश्न मना रहे थे तो सारी दुनिया में प्रमुख चैनल और नेटवर्क पर इसकी चर्चा हो रही थी. उनका अवसाद तब शुरू हुआ जब एक फोन इंटरव्यू के दौरान किसी ने पूछा कि उस लड़की का क्या हुआ ? कार्टर ने कहा कि वह देखने के लिए रुके नहीं क्यों कि उन्हें फ्लाइट पकड़नी थी ! इस पर उस व्यक्ति ने कहा,"मैं आपको बता रहा हूँ कि उस दिन वहां दो गिद्ध थे जिसमें एक के हाथ में कैमरा था" इस कथन के भाव ने कार्टर को इतना विचलित कर दिया कि वेअवसाद में चले गये और अंत में आत्महत्या कर ली,किसी भी स्थिति में कुछ हासिल करने से पहले मानवता आनी ही चाहिए. कार्टर आज जीवित होते अगर वे उस बच्ची को उठा कर यूनाईटेड नेशन्स के फीडिंग सेंटर तक पहुँचा देते जहाँ पहुँचने की वह कोशिश कर रही थी. 

    दुनिया के छुपे हुए कारण

    आजकल सवाल उठते हैं कि अपराध क्यों बढ़ रहे हैं,अपराध की शुरुआत व्यक्ति के स्वयं के घर से शुरू हो जाती है जहां संस्कार रूपी माहौल पनपता है या क्लेश रूपी माहौल.एक छोटा बच्चा जो देखता है सुनता है वही सीखता है और उसे दोहराता है इसलिए संस्कार ही अपराध रोक सकते हैं सरकार नहीं.इंसान पैसे से अमीर होकर बादशाह नही हो जाता,सच्चा बादशाह वही है जो दिलों को जीत लेता है.
    कुछ लोग हमेशा ख़ुश व संतुष्ट रहते हैं,इसलिए नहीं की उनके जीवन में सबकुछ ठीक होता है,बल्कि उनकी सोच हर हाल में सकारात्मक होती है.सबकुछ ठीक किसी के साथ होता ही नहीं,अगर कोई कहे कि मैं पूरी तरह से अपने जीवन से संतुष्ट हूँ तो निश्चित ही वह झूठ बोल रहा है,जीवन दुख और सुख दोनों का संगम है,परंतु दुख में भी सुखी वही है जो स्वयं को हर स्थिति में मजबूती से निपटने के लिए खड़ा रखता है.मौत से पहले जी लेने का अर्थ है अपनी सामर्थ्य अथवा इन नेमतों का सदुपयोग कर लेना,और यह बेहद जरूरी है,बाद में तो कोई अवसर मिलने से रहा। जो आज और अभी मिला है वो कभी न मिला था न मिलेगा,ये दौलत, ये बाहुबल, ये सत्ता की ताकत कुछ भी साथ नहीं जाने वाला। जिन के लिए ये सब कर रहे हो उन के भी काम नहीं आने वाला है.एक नफरत है जिसको पल भर में महसूस कर लिया जाता है और एक प्रेम है जिसका यकीन दिलाने के लिए सारी जिंदगी भी कम पड़ जाती है.हमें क्या करना है और कैसे करना है इसका बेहतर निर्णय निर्णय करने के लिए पहले हम कहाँ हैं और किधर बढ़ रहे हैं ये जानना जरूरी है.कोई ऐसा इंजीनियर मिले तो बताना साहब,मुझे इंसान को इंसान से जोड़ने वाला पुल बनाना है,बहते हुए आंसुओं को रोकने वाला बांध बनाना है,और सच्चे संबंधों में पड़ती दरारों को भरवाना है.किसी के दिल को ठेस पहुँचाकर माँफी माँगना बहुत ही आसान है लेकिन खुद चोट खाकर किसी को माँफ करना बहुत मुश्किल.वृद्ध  अतीत में जीता है इसलिये  निराश  रहता है युवा  भविष्य में जीता है इसलिये परेशान रहता है बच्चा वर्तमान में जीता है इसलिये प्रसन्न रहता है.इसलिये सदैव वर्तमान मे जियें और प्रसन्न रहे.यही ज़ज़्बा रहा तो
    मुश्किलों का हल भी निकलेगा,जमीं बंजर हुई तो क्या वहीं से जल भी निकलेगा,न हो मायूस न घबरा अंधेरों से मेरे दोस्त,इन्ही रातों के दामन से सुनहरा कल भी निकलेगा.

    कोई टिप्पणी नहीं

    Blogger द्वारा संचालित.