शेयर मार्केट में Merger और Equity Stock: पूरी जानकारी, प्रक्रिया, प्रभाव व निवेशकों के लिए गाइड
शेयर मार्केट में “Demerger” एक बेहद महत्वपूर्ण कॉर्पोरेट एक्शन है, जिसका असर न सिर्फ कंपनियों की संरचना पर पड़ता है, बल्कि निवेशकों के पोर्टफोलियो और शेयरों की कीमतों पर भी दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ता है। जहां “Merger” में दो कंपनियां एकजुट होती हैं, वहीं Demerger इसका उल्टा है: यहां एक बड़ी कंपनी खुद को दो या अधिक स्वतंत्र कंपनियों में विभाजित कर देती है।
Demerger क्या होता है?
Demerger, जिसे हिंदी में “विघटन” या “विभाजन” भी कहा जा सकता है, एक कॉर्पोरेट री-स्ट्रक्चरिंग प्रक्रिया है जिसमें कोई बड़ी कंपनी अपने व्यवसाय या Asset के एक हिस्से को अलग कर स्वतंत्र कंपनी (या कंपनियों) में बदल देती है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यवसायिक दक्षता बढ़ाना, अलग-अलग क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना, या Shareholder Value unlock करना होता है।
संक्षेप में:
कंपनी का एक डिवीजन, यूनिट या सब्सिडियरी स्वतंत्र कंपनी बन जाती है।
मूल कंपनी के शेयरधारकों को नई बनी कंपनी में भी शेयर मिलते हैं।
नई कंपनी अपना स्वतंत्र प्रबंधन, फंड और रणनीति रखती है।
Demerger के प्रकार
Spin-off
कंपनी अपने किसी विभाग या बिजनेस को स्वतंत्र कंपनी बना देती है और उसके शेयर अपने शेयरधारकों को वितरित करती है।
Split-up
कंपनी पूरी तरह से विभाजित होकर दो या अधिक स्वतंत्र कंपनियां बनती हैं, मूल कंपनी अस्तित्व खो देती है।
Equity Carve-out
कंपनी अपनी सब्सिडियरी को पब्लिक कर देती है—IPO द्वारा उसके कुछ शेयर बेचती भी है, कुछ अपने पास रखती है।
Divestiture
व्यवसाय का एक हिस्सा किसी तीसरी कंपनी को बेच दिया जाता है।
Demerger क्यों किया जाता है?
Core business पर ध्यान केंद्रित करने के लिए: कंपनी चाहती है कि वह अपने मुख्य बिजनेस पर फोकस रखे और गैर-मुख्य क्षेत्रों को हटा दे।
Shareholder Value Unlock करना: जब अलग-अलग बिजनेस या यूनिट्स स्वतंत्र हो जाते हैं, तो उनकी समीक्षा और वैल्यूएशन बेहतर तरीके से की जा सकती है।
Regulatory दबाव: किसी क्षेत्र में Monopoly रोकने या गवर्नमेंट ऑर्डर के तहत भी Demerger होता है।
Tax लाभ या Cost Cutting: अलग-अलग कंपनियों के तौर पर ऑपरेशन चलाने में टैक्स या लागत से जुड़े फायदे मिल सकते हैं।
वर्कफोर्स/प्रबंधन के विवाद: प्रबंधन या बोर्ड के बीच लक्ष्य या रणनीति में टकराव।
Demerger की प्रक्रिया
Identifying Division:
वह बिजनेस यूनिट या डिवीजन पहचाना जाता है, जिसे अलग करना है।
Board Approval:
कंपनी बोर्ड प्रक्रिया को मंजूरी देता है, प्रस्ताव पास होता है।
Legal & Regulatory Compliance:
SEBI, NSE/BSE, NCLT व अन्य रेगुलेटर से स्वीकृति।
Shareholders Approval:
Shareholder की सहमति ली जाती है।
Asset Transfer and Restructuring:
नए संस्थान/कंपनी में एसेट्स, लायबिलिटी, कर्मचारी, कॉन्ट्रैक्ट आदि ट्रांसफर होते हैं।
Share Allotment:
पुराने शेयरहोल्डर को नई कंपनी में प्रपोर्शनल शेयर दिए जाते हैं।
New Company Listing:
यदि सार्वजनिक कंपनी है, तो शेयर मार्केट में नई कंपनी की लिस्टिंग होती है।
Demerger का शेयरधारकों पर असर
पुराने शेयरधारकों को नई कंपनी में भी स्वचालित तौर पर शेयर मिल जाते हैं।
पोर्टफोलियो में एक के बजाय दो (या अधिक) कंपनियों के शेयर आ जाते हैं।
दोनों कंपनियों के बिजनेस और मुनाफे अलग-अलग होने के कारण, शेयर वैल्यू भी बदल सकती है।
कभी-कभी Demerger के बाद मार्केट में शेयर मूल्य में अस्थायी गिरावट आती है, लेकिन लंबे समय में फोकस्ट बिजनेस से वैल्यू ग्रोथ संभावना बढ़ जाती है।
उदाहरण:
जब रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने Jio Platforms, Reliance Retail, आदि को अलग-अलग कंपनियों के रूप में Demerge किया, तो RIL के निवेशकों को स्वचालित तौर पर इन कंपनियों के भी शेयर मिले।
Demerger के फायदे
फोकस्ड बिजनेस: प्रत्येक नई कंपनी अपनी-अपनी बिजनेस स्ट्रेटेजी पर केंद्रित हो सकती है।
शेयरहोल्डर वैल्यू अनलॉक: निवेशक अपने पोर्टफोलियो में स्वतंत्र कंपनियों की ग्रोथ के अनुसार लाभ ले सकते हैं।
मार्केट अपील: अलग-अलग बिजनेस मॉडल पर आधारित कंपनियां अलग-अलग निवेशकों को आकर्षित करती हैं।
बेहतर प्रबंधन: स्वतंत्र कंपनियों में Accountability व कार्य क्षमता अधिक होती है।
बाजार की स्थिति में सुधार: श्रेणीबद्ध कंपनियों से प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, उपभोक्ता व् निवेशकों को बेहतर विकल्प मिलते हैं।
Demerger के नुकसान
प्रक्रिया जटिल: लीगल एवं रेगुलेटरी आवेदन, मंजूरी, शेयर अलॉटमेंट में समय व खर्च अधिक।
ऑपरेशनल अस्थिरता: ट्रांजिशन पीरियड में बिजनेस डिस्रप्शन।
ब्रांड वैल्यू कमजोर: कभी-कभी संयुक्त ब्रांड का प्रभाव कम हो जाता है।
कर्मचारियों पर अनिश्चितता: नई कंपनी में रोल/नौकरी की अनिश्चितता हो सकती है।
शेयर वैल्यू में गिरावट: शुरुआत में शेयर मार्केट में अस्थिरता देखी जा सकती है।
Taxation और Holding Period
शेयरधारकों के लिए Demerger पर तत्काल टैक्स लागू नहीं होता, बल्कि नए शेयर बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है।
पुरानी कंपनी के Cost of Acquisition और Holding Period नए शेयर में ट्रांसफर हो जाते हैं।
निवेशकों के लिए:
Demerger योजनाओं की आधिकारिक जानकारी, Swap Ratio, शेयर अलॉटमेंट और कंपनी की नई स्ट्रेटेजी जरूर जानें।
Transition के दौरान portfolio performance की नियमित समीक्षा करें।
निवेश का फैसला तात्कालिक मार्केट मूवमेंट नहीं, बल्कि कंपनी के मूल बिजनेस और पोटेंशियल पर करे।
निष्कर्ष
Demerger शेयर बाजार में कंपनियों के value unlocking और बेहतर फोकस का एक साधन है। इससे न सिर्फ कंपनी बल्कि निवेशकों को भी फायदे मिल सकते हैं, बशर्ते आप प्रक्रिया, कानूनी पहलुओं और मार्केट ट्रेंड्स को समझकर रणनीतिक निवेश करें। Demerger आने वाले समय में भारतीय शेयर बाजार के dynamism को और बढ़ाएगा।
FAQs
Q1. Demerger और Merger में मुख्य अंतर क्या है?
Merger में दो कंपनियां मिलती हैं, जबकि Demerger में एक कंपनी खुद को विभाजित कर देती है।
Q2. Demerger के बाद निवेशकों को क्या मिलता है?
मूल कंपनी के शेयरहोल्डर को नई बनी कंपनी में भी अनुपातिक (proportionate) शेयर्स मिलते हैं।
Q3. क्या Demerger के तुरंत बाद शेयर बेचना चाहिए?
यह निवेशक की रणनीति और कंपनियों के लॉन्ग टर्म पोटेंशियल पर निर्भर करता है; शुरुआत में अस्थिरता रहती है।
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