जीवन में बदलाव क्या है?
बदलाव जीवन में आवश्यक है परंतु जब ये एक बाध्यता के रूप में हो तो व्यक्ति इसे तुरंत स्वीकार नहीं कर पाता.
एक सनकी व्यक्ति हमेशा तनावग्रस्त, चिंतित, अवसाद और स्वार्थ से भरा रहता था. यहाँ तक कि उसके मित्र, परिजनों का भी यह मानना था कि उसे खुद में बदलाव लाना चाहिए. ऐसा नहीं था कि वह बदलना नहीं चाहता था. उसने तो खुद भी बदलने की बहुत कोशिश की, किंतु वह वैसा ही रहा.
मित्र और परिजन जितना भी समझाते वह उतना ही अशक्त और फँसा हुआ महसूस करता. एक दिन उसके सबसे पक्के मित्रों में से एक ने उससे कहा, "मत बदलो बिल्कुल मत बदलो तुम जैसे हो मुझे वैसे ही पसंद आते हो". ये सुनकर उसे आश्चर्य तो हुआ किन्तु उसे काफी अच्छा महसूस हुआ.
अब उसके कानों में उस मित्र के शब्द संगीत की तरह गूंजते रहे, मत बदलो बिल्कुल मत बदलो तुम जैसे हो वैसे ही मुझे पसंद आते हो. वह तनाव रहित हो गया और उसे बहुत आराम का अनुभव हुआ क्योंकि अब बदलने की कोई बाध्यता नहीं थी. और अब वह अचानक बदल गया.
आखिर इस कहानी का मतलब क्या है? दरअसल वह तब तक नहीं बदल सकता था जब तक उसे ऐसा कोई आदमी नहीं मिल जाता जो उससे प्यार करता, चाहे वह बदले या न बदले. यही वह तरीका था जिसकी वास्तव में उसे जरूरत थी.
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